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Maqbool Sherwani Martyrdom Day: मकबूल ने पाकिस्‍तानी घुसपैठियों को किया था गुमराह, फिर सीने पर खाईं 14 गोलियां, पढ़िए शहीद की वीरता के किस्‍से

7 नवंबर को जम्मू कश्मीर में मकबूल शेरवानी शहादत दिवस (Maqbool Sherwani Martyrdom Day) के रूप में मनाया जाता है। शहीद मकबूल शेरवानी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने 1947 में बिना अपनी जान की परवाह किए कश्मीर पर कब्जा करने के मकसद से घुसे पाकिस्तानी सैनिकों को बारामुला से आगे बढ़ने से रोकने में अहम भूमिका निभाई थी। सच पता चलने पर सूली पर चढ़ाया।

By Jagran NewsEdited By: Monu Kumar JhaUpdated: Tue, 07 Nov 2023 11:52 AM (IST)
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Maqbool Sherwani Martyrdom Day: अगर 'मकबूल' न होता तो आज कश्मीर भी भारत का न होता।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। ( Maqbool Sherwani Martyrdom Day) 7 नवंबर को जम्मू कश्मीर में मकबूल शेरवानी शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी को देखते हुए उपराज्यपाल कार्यालय ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि 'महान देशभक्त मकबूल शेरवानी को उनके शहादत दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि। भारत के वीर सपूत मकबूल शेरवानी ने कम उम्र में देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। उनका साहस, अदम्य भावना और देशभक्ति पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।'

— Office of LG J&K (@OfficeOfLGJandK) November 7, 2023

पाकिस्तानी सैनिकों को श्रीनगर पहुंचने का बताया गलत रास्ता

शहीद मकबूल शेरवानी वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने 1947 में बिना अपनी जान की परवाह किए कश्मीर पर कब्जा करने के मकसद से घुसे पाकिस्तानी सैनिकों (Pakistani Army) को बारामुला से आगे बढ़ने से रोकने में अहम भूमिका निभाई थी। शेरवानी पाकिस्तानी सैनिकों को श्रीनगर तक पहुंचने के लिए लगातार गलत रास्ता बता रहे थे।

हमलावरों ने कश्मीरी लोगों का किया था कत्ले आम

मालूम हो हमलावरों ने उस समय बारामुला और उसके आसपास के इलाकों में काफी लूटपाट मचाई थी। उन्होंने कश्मीरी औरतों के साथ दुष्कर्म भी किया। कश्मीरी लोगों का कत्ले आम किया। मकबूल को विचार आया कि अगर ये लोग श्रीनगर तक पहुंच गए तो फिर कश्मीर पूरी तरह से तहस-नहस हो जाएगा।

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मकबूल के साथियों ने सड़कों पर लगाया अवरोध

मकबूल शेरवानी अपनी चतुराई दिखाते हुए हमलावरों को श्रीनगर एयरपोर्ट तक जल्द पहुंचाने का पहले तो झांसा दिया। फिर उन्हें गलत रास्तों पर भटकाते रहे।

इसी दौरान शेरवानी और उसके कुछ साथियों ने कई स्थानों पर सड़कों के बीच अवरोधक लगा दिए ताकि उनकी गाड़ियां आगे न जा सके और उसके बाद पुलों को भी तोड़ा ताकि पाकिस्तानी हमलावरों को अधिक समय तक श्रीनगर पहुंचने से रोका जा सके।

असलियत मालूम होने पर मारी थी 14 गोलियां

लेकिन जैसे ही पाकिस्तानी हमलावरों को मकबूल की असलियत मालूम हुई तो उन्होंने उसे सूली पर लटका दिया। साथ ही शरीर के कई हिस्सों में कीलें ठोंकी गईं। इतने से भी उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने 14 गोलियां भी दागीं।

वह सात नवंबर, 1947 को शहीद हो गए थे। उनकी याद में उत्तरी कश्मीर में झेलम किनारे स्थित ओल्ड टाउन बारामुला में मकबूल शेरवानी की कब्र और स्मारक बनाए गए।

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