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क्या जम्मू-कश्मीर में वाकई संभव है अनुच्छेद 370 की वापसी, विशेषज्ञों ने इसे क्यों बताया NC का 'माइंडगेम'?

नेशनल कान्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली का झांसा देकर लोगों को गुमराह कर रही है। पार्टी ने विधानसभा सत्र में विशेष दर्जे की बहाली के लिए प्रस्ताव पारित किया है लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ भावनात्मक कार्ड खेलने की कोशिश है। नेकां के घोषणापत्र में जनहित मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है।

By Jagran News Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Fri, 08 Nov 2024 09:36 AM (IST)
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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली पर बवाल
रजिया नूर, श्रीनगर। विधानसभा सत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) विशेष दर्जे के नाम पर अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए प्रस्ताव पारित करने की कश्मीर में झांसे वाली हवा चलाकर आम नागरिकों को गुमराह कर रही है। इंटरनेट मीडिया पर भी यह मुद्दा खूब प्रसारित हो रहा है।

वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि नेकां का भावनात्मक कार्ड मुद्दे से ध्यान हटाने का प्रयास है। जबकि नेकां के घोषणापत्र में जनहित मुद्दों पर किसी को परवाह नहीं है। बता दें कि नेकां नेता और कार्यकर्ता जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 फिर बहाल करने का झांसा देकर लोगों के सामने जश्न मनाकर खुशी मनाकर यह अहसास करवा रहे हैं कि उन्होंने घोषणापत्र में शामिल अपने वादे को पूरा किया है।

विशेष दर्जे की बहाली में झोलझाल?

राजनीतिक विशेषज्ञ रशीद परवीन ने कहा कि विशेष दर्जे की बहाली संबंधी प्रस्ताव में काफी झोलझाल है। यह आम लोगों की समझ में आसानी से नहीं आएगा। इसी का नेकां फायदा उठा रही है। स्पष्ट रूप से देखें तो इस प्रस्ताव में 370 का कोई जिक्र नहीं है। प्रस्ताव में विशेष दर्जा देने की बात पर जोर दिया है। विशेष दर्जे की बात करें तो यह देश के कई राज्यों को केंद्र सरकार ने दिया है।

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नेकां ने अपने चुनावी एजेंडे में अनुच्छेद 370 की बहाली को ही प्राथमिकता दी थी, लेकिन सत्ता में आते ही इस पार्टी ने अपने सुर बदल लिए। जम्मू कश्मीर में एक कंपीटेटिव पालिटिक्स है और उसकी मजबूरी में नेशनल कान्फ्रेंस के लिए यह प्रस्ताव लाना जरूरी था।

नेकां कहती कुछ और है, करती कुछ और- विशलेषक

अंजर मोहजो नामक एक और राजनीतिक विशलेषक ने कहा कि नेकां का यह हमेशा तरीका रहा है कि जब वह सत्ता में नहीं होती है तब वह कहती कुछ और है। सत्ता में आते ही उनके सुर बदल जाते हैं। एक दिन पहले मंगलवार को जब इस पार्टी ने सदन में 370 के हवाले से प्रस्ताव पारित करवाया तो प्रस्ताव पारित होने के चंद मिनट बाद ही मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला यह कहकर सदन से चले गए कि पार्टी ने अपना वादा पूरा कर दिया है।

मुख्यमंत्री को चाहिए था कि वह इस प्रस्ताव पर खुलकर अपनी बात रखते। नेकां सिर्फ लोगों में अलगाववादी भावनाओं को पैदा करने की कोशिश कर रही है। आम लोगों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान और निशान अब इतिहास का हिस्सा हो चुका है। अनुच्छेद 370 निरस्त हो चुका है और सर्वोच्च न्यायालय भी इस पर मुहर लगा चुका है। बावजूद जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भूत लगातार उपस्थिति का जता रहा है।

सोपोर के मोहम्मद शरीफ ने कहा कि आखिर क्यों 370 के नाम पर कश्मीरियों को गुमराह किया जा रहा है। कश्मीर में क्या समस्याएं खत्म हो गई हैं। सर्दियों में बिजली संकट पर किसी की नजर नहीं है।

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