गांदरबल आतंकी हमला: आतंकियों और उनके समर्थकों की अब खैर नहीं! सबूत जुटाने के लिए NIA चला रही सर्च ऑपरेशन
Ganderbal Terrorist Attack जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में हुए आतंकी हमले के बाद इलाके में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। एनआईए के अधिकारी हमले का सबूत जुटाने के लिए घटनास्थल पर सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। चार से छह संदिग्ध तत्वों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया गया है। सोनमर्ग इलाके में हुए आतंकी हमले में सात लोगों की मौत हो गई थी।
पीटीआई, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में एक सुरंग निर्माण स्थल पर हुए घातक आतंकी हमले में सात लोग मारे गए। जिसके बाद सुरक्षा बलों ने सोमवार को इलाके में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया, जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी साक्ष्य जुटाने के लिए घटनास्थल की तलाशी ले रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि सेना, सीआरपीएफ और पुलिस के जवान आसपास के इलाकों में आतंकियों और उनके समर्थकों का पता लगाने के लिए तैनात हैं। सुरक्षाबलों की गश्त, विशेष नाकों के साथ अभियान में खोजी श्वान और ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस मामले में नहीं हुई है कोई गिरफ्तारी
बता दें कि चार से छह संदिग्ध तत्वों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि हमें उम्मीद है कि हम कुछ सुराग जुटा पाएंगे, जिससे हम हमले में शामिल आतंकियों तक पहुंच पाएं। अज्ञात आतंकवादियों ने उस समय हमला किया जब सुरंग परियोजना पर काम कर रहे मजदूर और अन्य कर्मचारी देर शाम अपने शिविर में लौट रहे थे। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों (जिनकी संख्या कम से कम दो थी) ने मजदूरों के समूह पर अंधाधुंध गोलीबारी की जिसमें एक डॉक्टर सहित 7 लोगों की जान चली गई।
2006 के बाद यह मजदूरों पर सबसे घातक हमला
अधिकारियों ने बताया कि दो मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि चार अन्य और डॉक्टर ने बाद में दम तोड़ दिया। हमले में घायल पांच लोगों का इलाज चल रहा है। मृतकों की पहचान डॉ. शाहनवाज, फहीम नासिर, कलीम, मोहम्मद हनीफ, शशि अबरोल, अनिल शुक्ला और गुरमीत सिंह के रूप में हुई है।
यह जून 2006 में कुलगाम जिले के यारीपोरा इलाके में हुए हमले के बाद कश्मीर में गैर-स्थानीय मजदूरों पर सबसे घातक हमला था जिसमें नेपाल और बिहार के नौ मजदूर मारे गए थे।
कंपनी के शिविर को खाली कराया गया
इस बीच, आतंकी हमले का निशाना बनी निर्माण कंपनी के शिविर को पूरी तरह खाली करा लिया गया है। यहां रहने वाले अधिकारियों व कर्मियों को सोनमर्ग व गुंड क्षेत्र में आवासीय सुविधा प्रदान की गई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमले में लिप्त आतंकियों के बारे में कुछ अहम सुराग जटाए गए हैं और जल्द ही उन्हें चिह्नित कर लिया जाएगा।
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एलजी मनोज सिन्हा ने कही ये बात
एनआईए के अधिकारियों ने आज दोपहर घटनास्थल का दौरा किया ताकि जांचकर्ताओं को हमले के अपराधियों तक पहुंचाने के लिए सबूत जुटाए जा सकें। इस बीच, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को कहा कि सुरक्षा बल गांदरबल में हुए क्रूर हमले में निर्माण श्रमिकों की हत्या का बदला लेंगे और आतंकवादी तथा उनके सहयोगी इसे आने वाले समय में याद रखेंगे।
मनोज सिन्हा ने पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की और पाकिस्तान पर शांति को बाधित करने के लिए क्षेत्र में निर्दोष लोगों को मारने की कोशिश करने का आरोप लगाया। एलजी सिन्हा ने कहा, "हम कल के कायरतापूर्ण हमले को नहीं भूलेंगे।" एलजी ने कहा कि पड़ोसी देश से अभी भी खतरा है।
जंगली क्षेत्र घुसपैठियों का रहा है रूट
इस जंगल क्षेत्र का इस्तेमाल अक्सर एलओसी पर गुरेज सेक्टर में घुसपैठ करने वाले आतंकी गांदरबल-श्रीनगर पहुंचने के लिए या दक्षिण कश्मीर की तरफ जाने के लिए करते रहे हैं, क्योंकि गगनगीर का जंगल और पहाड़ इनके लिए एक प्राकृतिक रूट हैं। इसे ध्यान में रखते हुए विशेष नाके लगाए जा रहे हैं।
शिविर में बीते कुछ दिनों के दौरान आने जाने वाले लोगों को चिह्नित करने के लिए सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि पुलिस को संदेह है कि हमलावरों ने खुद या उनके किसी मददगार ने हमले से पहले जरूर शिविर की रैकी की है। अहम सुराग भी हाथ लगे
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