पुलवामा हमले में पाक की साजिश को बेनकाब करने वाले NIA अधिकारी गृहमंत्री पदक से सम्मानित
गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को दिल्ली में आयोजित एक समारोह में श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को एक्सीलेंस इन इन्वेस्टिगेशन पुरस्कार से सम्मानित किया। पुलवामा हमले में पाक की साजिश को बेनकाब करने वाले NIA अधिकारी राकेश बलवाल को ये सम्मान दिया गया। पुलवामा के समय वह जम्मू में NIA के SP थे श्रीनगर के एसपी रहते हुए टार्गेट किलिंग के खौफ से आजादी में अहम भूमिका निभाई थी।
जागरण संवाददाता, जम्मू: पुलवामा कांड का उल्लेख होते ही हरेक वो शख्स सिहर जाता है, जिसने जोरदार धमाके की आवाज के बीच काले धुंए के गुब्बार में इंसानी मांस के लोथड़े हवा में उड़ते देखे। पूरा देश इस घटना से उद्वेलित था। सभी को पता था कि यह घिनौना और कायराना हमला पाकिस्तान द्वारा पोषित जिहादी संगठन जैश ए मोहम्मद ने किया है,लेकिन इसे साबित करने के लिए कोई सुबूत हाथ नहीं लग रहा था।
हमले में लिप्त आतंकी सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में एक-एक कर मारे जा रहे थे और हमले की गुत्थी ज्यों की त्यों बनी हुई थी। मामले की जांच का जिम्मा राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए के हवाले किया गया। एनआईए जम्मू कश्मीर के तत्कालीन एसपी राकेश बलवाल के लिए मामला जिंदगी का सबसे बड़ी चुनौती बन चुका था।
गृहमंत्री शाह ने एनआईए अधिकारी राकेश बलवाल को किया सम्मानित
यह वही राकेश बलवाल हैं जिन्हें आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पुलवामा हमले की गुत्थी सुलझाने और पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए सम्मानित किया है। राकेश बलवाल के लिए यह मामला निजी तौर पर भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि वह जम्मू कश्मीर की मिट्टी में ही पैदा हुए थे। मणिपुर कैडर के 2012 बैच के आईपीएस राकेश बलवाल जम्मू प्रांत में जिला उधमपुर के रहने वाले हैं। वह साल 2018 में प्रतिनियुक्ति के आधार पर एनआईए में आए थे। उनके मुताबिक, जांच का सिरा हाथ नहीं आ रहा था, कोई ओवरग्राउंड वर्कर या आतंकी जो इस मामले में शामिल था, जिंदा नहीं मिल रहा था। मार्च 2019 में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए एक विदेशी आतंकी इद्रीस भाई और उसके साथी से दो मोबाइल फोन मिले थे।
आतंकियों के फोन से मिले खास इनपुट
हमें इतना ही पता था कि इद्रीस और उसके साथ मारा गया आतंकी पुलवामा के गुनाहगारों में शामिल हैं। इनके पास से बरामद दोनों फोन बुरी तरह क्षतिग्रस्त थे, जम्मू कश्मीर पुलिस ने इनके डेटा की जांच का प्रयास किया था लेकिन सफल नहीं हो पाई। इनमें पुलिस ने अपने मालखाने में जमा करा दिया था। एक दिन याद आया कि यह दोनो फोन दिल्ली में इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम-इन के पास भेजे जाएं तो बात बन सकती है। जम्मू कश्मीर पुलिस से यह दोनों फोन दिल्ली भिजवाए गए। वहां संबधित विशेषज्ञों ने कड़ी मेहनत की और कुछ दिनों बाद राकेश बलवाल को सूचित किया कि उन्होंने इन दोनों फोन पर अन्य ऐप्स के जरिए हुई चैट के अलावा कई तस्वीरों को रिकवर कर लिया है।
तस्वीरों के जरिए एनआईए अधिकारी ने बढ़ाई जांच
राकेश बलवाल ने अपनी टीम के साथ मिलकर तस्वीरों की जांच शुरु की। उन्हें इसमें कुछ आतंकियों के तस्वीरें मिली, जिनमें से एक इद्रीस भाई था। उसकी तस्वीर को जब ध्यान से देखा गया तो ऑनलाइन शापिंग प्लेटफार्म अमेजन द्वारा भेजा गया एक डिब्बा नजर आया। तस्वीर में नजर आ रहे उस डिब्बे पर लिखे डिस्पैच नंबर और अन्य अंकों के आधार पर उन्होंने पता लगाया कि यह डिब्बा कश्मीर में कहां आया है। अमेजन के संबधित लोगों ने बताया कि इसमें कैमिकल, चाकू व अन्य सामान वैजुल इस्लाम के पते पर भेजा गया है।
वैजुल इस्लाम को श्रीनगर के पास से पकड़ा गया। वैजुल इस्लाम के पकड़े जाने के बाद भी जांच कोई ज्यादा आगे नहीं बड़ रही थी। इसी दौरान फोन में कुछ और तस्वीरें मिली,जिनमें आतंकी आइईडी तैयार करते नजर आ रहे थे। आतंकियों की पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगनाओं के साथ बातचीत भी मिली और इसी दौरान इंशा बशीर पकड़ी गई। उसका बाप भी पकड़ा गया। उसके घर में पुलवामा के गुनाहगार ठहरते थे। इंशा बशीर की तस्वीर एक पाकिस्तानी आतंकी के साथ मिली । यह वही पाकिस्तानी था जिसका फोन अब मामले की जांच को आगे बढ़ा रहा था।
तस्वीरों की जांच के दौरान इद्रीस भाई के फोटो के साथ एक कश्मीरी युवक की तस्वीर भी मिली। उसका नाम शाकिर बशीर मागरे है। उसे पकड़ा गया। शाकिर ने ही हमले वाले दिन करीब पांच किलोमीटर तक हमले में इसतेमाल कार चलाई थी। उसकी दुकान हमले वाली जगह से कुछ ही दूरी पर थी। शाकिर बशीर अपना मुंह नहीं खोल रहा था। वह पूरी तरह से जिहादी मानसिकता से ग्रस्त था। कोई रास्ता न देखकर उसे इंशा बशीर और इद्रीस भाई की एक रुमानी तस्वीर दिखाई गई। शाकिर बशीर तस्वीर को देखकर गुस्से में आ गया। उसे यकीन नहीं आ रहा था कि एक विदेशी आतंकी जो जिहाद और इस्लाम की बात करता है, एक कश्मीरी लड़की के साथ अवैध संबंध रखता है। शाकिर बशीर ने तस्वीर देखने के बाद जो खुलासा किया, उससे सभी की बांछे पूरी तरह खिल गई।
उसने बताया कि जिसे इद्रीस भाई समझा जा रहा है, वह इद्रीस भाई नहीं है। वह पुलवामा हमले का मुख्य सूत्रधार उमर फारूक है। उमर फारूक कोई आम आतंकी कमांडर नहीं है बल्कि जैश ए मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद का भतीजा है। उमर फारूक का पिता इंब्राहितम अत्तहर आईसी-814 विमान को हाइजैक करने में भी शामिल रहा है। इसके बाद जांच तेजी से आगे बड़ी और पुलवामा हमले में जैश ए मोहम्मद व पाकिस्तान की भूमिका पूरी तरह स्पष्ट हो गई। राकेश कुमार बलवाल के मुताबिक, पूछताछ और जांच के दौरान आपको सूझ बूझ के साथ संयम का परिचय देना जरुरी होता है।आपको एक एक सूचना, एक बात पर ध्यान देना है। उमर फारूक ने फोन पूरी तरह नष्ट नहीं किए थे, हालांकि उसे इसके लिए कहा गया था।