विश्वकप में भारत की हार पर नारे लगाने वाले स्टूडेंट्स पर नहीं होगी UAPA के तहत कार्रवाई, महबूबा मुफ्ती बोली- 'बच गया भविष्य'
शेरे कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सकास्ट) के सात छात्रों पर देश विरोधी नारे लगाने के मामले में अब यूएपीए (UAPA) के तहत कार्रवाई नहीं होगी। छात्रों के खिलाफ UAPA के तहत लगाए गए सभी आरोप वापस ले लिए गए हैं। वहीं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर लिखा कि युवाओं का भविष्य बर्बाद होने से बच गया है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। विश्व कप क्रिकेट प्रतियोगिता में ऑस्ट्रेलिया के साथ मुकाबले में भारत की हार पर भड़काऊ और आपत्तिजनक नारेबाजी करने के आरोपित शेरे कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सकास्ट)कश्मीर के सात छात्रों पर अब यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम )के तहत कार्रवाई नहीं होगी। उनके खिलाफ अब सिर्फ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 505 और 3506 के तहत ही कार्रवाई होगी। आरोपित छात्रों के खिलाफ यूएपीए के तहत लगाए गए सभी आरोप वापस ले लिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि 19 नंवबर को विश्व कप क्रिकेट प्रतियोगिता के फाइनल में भारत के हार के बाद स्कास्ट कश्मीर के शुहामा गांदरबल स्थित कैंपस में कुछ स्थानीय छात्रों ने पाकिस्तान समर्थक नारेबाजी की थी। उन्होंने भारत का पक्ष लेने वाले कई छात्रों को धमकाया। इसके बाद एक छात्र ने गांदरबल पुलिस में लिखित शिकायत करते हुए सात छात्रों के नाम भी बताए। पुलिस ने आरोपित छात्रों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम की धारा 13 के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 505 और 506 के तहत मामला दर्ज कर लिया।
आरोपित छात्रों के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किए जाने का कश्मीर के विभिन्न राजनीतिक संगठनों ने विरोध किया। पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इसकी आलोचना की और इसे कश्मीर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात बताया। हालांकि पुलिस ने पहले ही दिन स्पष्ट कर दिया था कि जांच के आधार पर आरोपित छात्रों के खिलाफ लगाई गई धाराओं में बदलाव किया जा सकता है। पुलिस ने कहा था कि यह मामला सिर्फ पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने से संबंधित नहीं है, बल्कि इसे घटना के पूरे संदर्भ में देखे जाने की जरूरत है।
लोगों को डराने के लिए लगाए थे नारे
पुलिस ने कहा कि यह नारे कुछ शरारती और बदमाश प्रवृत्ति के छात्रों ने जानबूझकर उन छात्रों व लोगों को डराने के लिए लगाए थे जो उनकी विचारधारा से असहमत हैं। यह उन लोगों को चिह्नित कर उन्हें आतंकित करने व उन्हें नुकसान पहुंचाने की नीयत से किया गया कृत्य है। इसके अलावरा यह एक असामान्य बात को सामान्य व सही साबित करने के बारे में भी है कि यहां हर एक भारत से खुलेआम घृणा करता है। इस तरह की गतिविधियां खेल भावना के तहत अपनी पसंद की किसी टीम को समर्थन में नहीं बल्कि आतंकियों और अलगाववादियों के नेटवर्क के सहयोग व समर्थन के लिए की जाती हैं ।
आरोपित छात्रों की तरफ से अदालत में मामले की पैरवी कर रहे एडवोकेट शफीक बट ने बताया कि यूएीपीए की सभी धाराओं को हटा लिया गया है लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 505 और 3506 के तहत आरोप बरकरार रखे गए हैं। इन मामलों में आरोपित छात्रों को जमानत दी गई है। धारा 153 ए धर्म, जाति, जन्मस्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सदभाव को बिगाड़ने के मामले मे लगाई जाती है। इसमें तीन वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों का प्रविधान है।
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क्या होती है धारा 505
धारा 505 विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता , नफरत पैदा करने के आशय से अफवाहें फैलाने, झूठ बोलने, जैसे मामलों में लगाई जाती है। यह एक गैर जमानती संज्ञेय अपराध है। इसमें तीन वर्ष की कारावास या आर्थिक दंड या फिर दोनों की सजा का प्रविधान है। धारा 506- आपराधिक धमकी के लिए सजा - जो कोई भी आपराधिक धमकी का अपराध करेगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
यदि धमकी मृत्यु या गंभीर चोट आदि कारित करने के लिए हो - और यदि धमकी मृत्यु या गंभीर चोट पहुंचाने के लिए हो, या आग से किसी संपत्ति को नष्ट करने के लिए हो, या मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध करने के लिए हो, या किसी अवधि के लिए कारावास, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या किसी महिला पर अपवित्रता का आरोप लगाने के लिए, किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा।
महबूबा मुफ्ती ने दी अपनी प्रतिक्रिया
जम्मू कश्मीर छात्र संघ के अक्टूबर राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुहैमी ने कहा कि सकास्ट के सभी सात छात्रों के खिलाफ लगाई गई यूएपीए की धाराओं को हटा लिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस पर अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल- जिसे एक्स भी कहा जाता है ,पर लिखा है कि मुझे यह जानकार हार्दिक प्रसन्नता हुई है कि सकास्ट के छात्रों पर लगाए गए यूएपीए की धारा को हटा लिया गया है। अंतत: इन छात्रों का भविष्य बर्बाद होने से बच गया।