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Kashmir News: अब आजादी और अलगाववाद का पाठ नहीं.. एकता, सौहार्द और युवाओं की बात; बदले कश्मीरी नेताओं के सुर

श्रीनगर अब कश्मीर की आजादी की बात नहीं.. एकता और सौहार्द का संदेश। सुरक्षाबलों पर मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप नहीं..युवाओं की शिक्षा की बात। अब पाकिस्तान का राग नहीं..बिजली-पानी की मांग। सच में कश्मीर बदल चुका है और अलगाववादियों के सुर भी। कश्मीर में बह रही बदलाव की बयार का असर अलगाववादी खेमे में साफ नजर आ रहा है।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Updated: Sat, 16 Mar 2024 06:00 AM (IST)
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अब आजादी और अलगाववाद का पाठ नहीं.. एकता, सौहार्द और युवाओं की बात। (फाइल फोटो)
नवीन नवाज, श्रीनगर। श्रीनगर अब कश्मीर की आजादी की बात नहीं.. एकता और सौहार्द का संदेश। सुरक्षाबलों पर मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप नहीं..युवाओं की शिक्षा की बात। अब पाकिस्तान का राग नहीं..बिजली-पानी की मांग। सच में, कश्मीर बदल चुका है और अलगाववादियों के सुर भी।

कश्मीर में बह रही बदलाव की बयार का असर अलगाववादी खेमे में साफ नजर आ रहा है। कश्मीर की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद के मिंबर से अक्सर कश्मीर की आजादी का नारा देने वाले घाटी के प्रमुख मजहबी नेता व ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उदारवादी गुट के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने वर्ष 2019 के बाद पहली बार पाक रमजान में जामिया मस्जिद में नमाज-ए-जुमा अदा किया।

केंद्र सरकार और प्रदेश प्रशासन से खास अपील

मीरवाइज ने खुतबा भी दिया, लेकिन वह सिर्फ मजहबी मुद्दों और जनसमस्याओं पर केंद्रित रहे। मीरवाइज उमर फारूक ने खुतबे में कहा कि केंद्र सरकार और प्रदेश प्रशासन को चाहिए कि पाक रमजान के मौके पर देशभर की जेलों में बंद हजारों कश्मीरी राजनीतिक बंदियों को सद्भावना के तौर पर बिना शर्त रिहा करें।

अदालत के रिहा करने के बाद भी कई युवा दोबारा कैद

अदालत के रिहा करने के बाद भी कई दोबारा कैद हैं। इससे उनके स्वजन को परेशानी होती है। अगर कश्मीरी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की बात छोड़ दें तो मीरवाइज ने कहीं भी आजादी, अलगाववाद या पाकिस्तान की बात नहीं की, जबकि पहले शुक्रवार को नमाज-ए-जुमा से पूर्व खुतबा देते थे तो उसमें कश्मीर मुद्दा ही होता था।

शिया-सुन्नी के बीच एकता पर दिया जोर

उन्होंन कश्मीर में धार्मिक सद्भाव और विभिन्न इस्लामिक संगठनों, शिया-सुन्नी के बीच एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को जम्मू-कश्मीर में रहने वाले अन्य मजहबों को मानने वालों के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए। सभी को मिलकर रहते हुए, जम्मू कश्मीर की पहचान और संस्कृति का बनाए रखना है।

एक-दूसरे से आगे रहने की भावना हमें नष्ट कर देगी

उन्होंने कहा कि सामूहिकता सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा बुनियादी तरीका मानवीय, नैतिक और धार्मिक सिद्धांतों और मूल्यों का पालन करना है। अन्यथा, अंदरूनी कलह और एक-दूसरे से आगे रहने की भावना हमें नष्ट कर देगी। उन्होंने युवाओं को शिक्षा प्राप्त करने और जागरूक बनने के लिए भी प्रेरित किया।

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