जम्मू-कश्मीरः आतंकियों नहीं अब विशेषज्ञ डॉक्टरों की फौज तैयार करेगा पुलवामा
Terrorist. जम्मू-कश्मीर में आतंक का गढ़ रहा पुलवामा अब अपनी छवि बदल रहा है। यहां आतंकी नहीं अब जान बचाने वाले विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार हो रहे हैं।
By Sachin MishraEdited By: Updated: Tue, 27 Aug 2019 06:55 PM (IST)
पुलवामा, नवीन नवाज। आतंकियों की नर्सरी के रूप में कुख्यात पुलवामा अब अपनी छवि बदल रहा है। वह कट्टरवादी आतंकी नहीं अब जान बचाने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों की पौध तैयार करने के लिए तैयार हो रहा है। जिला अस्पताल पुलवामा राज्य का एकमात्र ऐसा जिला अस्पताल है, जहां डीएनबी (डिप्लोमेट नेशनल बोर्ड) के तहत चिकित्सकों के लिए छह विशेषज्ञ स्नातकोत्तर (पीजी) पाठयक्रम शुरू किए जा रहे हैं। सिर्फ यही नहीं डिजिटल इंडिया, प्रधानमंत्री डायलसिस कार्यक्रम और आयुष्मान योजना के भी यही अस्पताल नजीर पेश कर रहा है।
गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में इस समय करीब 280 आतंकी सक्रिय हैं। इनमें से 90 फीसद दक्षिण कश्मीर से ही हैं। दक्षिण कश्मीर से आने वाले आतंकियों में 80 फीसद इसी जिले से ताल्लुक रखते हैं। बुरहान वानी और जाकिर मूसा जैसे कुख्यात आतंकी भी इसी जिले से निकले हैं। 14 फरवरी को पुलवामा हमले के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद का आत्मघाती आतंकी आदिल डार भी पुलवामा का ही था। पर अब पुलवामा अपनी छवि बदलने की तैयारी में है।
डीएनबी के तहत छह विशेषज्ञ कोर्स होंगे
जिला अस्पताल पुलवामा के मेडिकल सुपरिनटेंडेट राशिद पारा ने बताया कि जिला अस्पताल पुलवामा में डीएनबी के तहत मेडिसन, गायनकोलॉजी, सर्जरी, एनेस्थेसिया और पीडियाट्रिक्स समेत छह पीजी पाठयक्रम शुरू किए जा रहे हैं। अगले तीन साल में यहां से 45 विशेषज्ञ डॉक्टर निकलेंगे। यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला यह अस्पताल राज्य का पहला जिला अस्पताल है। डीएनबी के तहत पीजी कोर्स में दाखिला फीस 2.15 लाख रुपये रखी गई है। मेडिकल सुपरिनटेंडेट राशिद पारा ने बताया कि पांच अगस्त से लेकर अब तक इस अस्पताल में 20 हजार से अधिक लोग उपचार के लिए आ चुके हैं। यह दक्षिण कश्मीर का सबसे बड़ा अस्पताल है। सामान्य परिस्थितियों में जिला अस्पताल पुलवामा में हर माह करीब 70-75 हजार लोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास अगले छह माह के लिए सभी जीवन रक्षक दवाएं और बेबी फूड उपलब्ध हैं।
जिला अस्पताल पुलवामा के मेडिकल सुपरिनटेंडेट राशिद पारा ने बताया कि जिला अस्पताल पुलवामा में डीएनबी के तहत मेडिसन, गायनकोलॉजी, सर्जरी, एनेस्थेसिया और पीडियाट्रिक्स समेत छह पीजी पाठयक्रम शुरू किए जा रहे हैं। अगले तीन साल में यहां से 45 विशेषज्ञ डॉक्टर निकलेंगे। यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला यह अस्पताल राज्य का पहला जिला अस्पताल है। डीएनबी के तहत पीजी कोर्स में दाखिला फीस 2.15 लाख रुपये रखी गई है। मेडिकल सुपरिनटेंडेट राशिद पारा ने बताया कि पांच अगस्त से लेकर अब तक इस अस्पताल में 20 हजार से अधिक लोग उपचार के लिए आ चुके हैं। यह दक्षिण कश्मीर का सबसे बड़ा अस्पताल है। सामान्य परिस्थितियों में जिला अस्पताल पुलवामा में हर माह करीब 70-75 हजार लोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास अगले छह माह के लिए सभी जीवन रक्षक दवाएं और बेबी फूड उपलब्ध हैं।
दोगुनी होगी अस्पताल की क्षमता
जिला अस्पताल पुलवामा फिलहाल 100 बिस्तरों वाला अस्पताल है। अब इसकी क्षमता बढ़ाकर 200 बिस्तर की जा रही है। जिला उपायुक्त पुलवामा डॉ आबिद रशीद ने कहा कि हम पुलवामा को कश्मीर का ही नहीं पूरे जम्मू कश्मीर का एक बड़ा हेल्थ सेंटर बनाने की ओर अग्रसर हैं। अस्पताल की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। डीएनबी कोर्स पुलवामा में शुरू होना इस पूरे इलाके के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार होगा। दक्षिण कश्मीर के लोगों की विशेष उपचार के लिए श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल और शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (सौरा) पर निर्भरता भी कम होगी। डिजिटल राह पर भी पुलवामा अस्पताल
जिला अस्पताल पुलवामा पूरी तरह से डिजिटल है। देश के किसी भी कोने में बैठे डॉक्टर वीडियो कांफ्रेंस के जरिए इस अस्पताल के डॉक्टरों से ही नहीं, भर्ती रोगियों के साथ भी संवाद कर सकते हैं। उनके लिए बेहतर चिकित्सा परामर्श उपलब्ध करा सकते हैं। इसके अलावा अस्पताल में जारी विभिन्न उपचार गतिविधियों की भी लगातार निगरानी होती है। कितने मरीज आए, कौन डॉक्टर कब उपलब्ध होगा, ब्लड बैंक की स्थिति क्या है, किस मरीज को क्या उपचार दिया जा रहा है, सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है। प्रधानमंत्री डायलसिस कार्यक्रम में भी आगे
जिला अस्पताल पुलवामा में प्रधानमंत्री डायलसिस याेजना का लाभ भी स्थानीय लोगों को लगातार मिल रहा है। अब स्वास्थ्य बीमा योजना भी लागू की जा रही है। वादी में बीते 20 दिनों से जारी कानून व्यवस्था की स्थिति में भी स्थानीय डॉक्टर विभिन्न माध्यमों से जरुरतमंद लोगों को लगातार डायलसिस सेवा उपलब्ध करा रहे हैं। कई बार डॉक्टर खुद एंबुलेंस भेजकर ऐसे मरीजों को अस्पताल में बुला रहे हैं। शोपियां से बेटी के डायलसिस के लिए आए ग्रामीण ने कहा कि मैं डॉक्टर वाहिद का शुक्रगुजार हूं। मेरी बेटी को डायलसिस की जरूरत होती है। चिकित्सक से संपर्क न होने के कारण मैं बहुत परेशानी में था कि क्या करूं और डॉ वाहिद ने मुझे खुद सूचित किया कि मैं अपनी बच्ची को लेकर अस्पताल आ जाऊं। मेरी बेटी का डायलसिस हुआ और इस समय वह बेहतर है। जानें, क्या है डीएनबी
डीएनबी अर्थात डिप्लोमेट नेशनल बोर्ड मेडिकल में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों और डॉक्टरेट पाठ्यक्रमों का संयुक्त कार्यक्रम है। कोई भी एमबीबीएस चिकित्सक 50 साल की आयु तक इस कार्यक्रम के तहत स्नातकोत्तर डिग्री ले सकते हैं। यह कोर्स तीन वर्ष के लिए होते हैं। इस दौरान चिकित्सकीय जिम्मेवारियां, आफिस की जिम्मेवारी और आपातकालीन जिम्मेवारियों का भी निर्वहन करते हैं। इस दौरान उन्हें वर्कशॉप और अकादमिक कार्यक्रमों में भी शामिल होना होता है। उनके काम, ज्ञान और क्षमता का समय-समय पर मूल्यांकन होता है। इस दौरान उन्हें स्टाइपेंड भी मिलता है। मास्टर आफ सर्जरी और मेडिसन कार्यक्रम में चयनित न होने वाले चिकित्सक डीएनबी कार्यक्रम को चुनते हैं। जम्मू-कश्मीर की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।जिला अस्पताल पुलवामा फिलहाल 100 बिस्तरों वाला अस्पताल है। अब इसकी क्षमता बढ़ाकर 200 बिस्तर की जा रही है। जिला उपायुक्त पुलवामा डॉ आबिद रशीद ने कहा कि हम पुलवामा को कश्मीर का ही नहीं पूरे जम्मू कश्मीर का एक बड़ा हेल्थ सेंटर बनाने की ओर अग्रसर हैं। अस्पताल की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। डीएनबी कोर्स पुलवामा में शुरू होना इस पूरे इलाके के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार होगा। दक्षिण कश्मीर के लोगों की विशेष उपचार के लिए श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल और शेर-ए-कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (सौरा) पर निर्भरता भी कम होगी। डिजिटल राह पर भी पुलवामा अस्पताल
जिला अस्पताल पुलवामा पूरी तरह से डिजिटल है। देश के किसी भी कोने में बैठे डॉक्टर वीडियो कांफ्रेंस के जरिए इस अस्पताल के डॉक्टरों से ही नहीं, भर्ती रोगियों के साथ भी संवाद कर सकते हैं। उनके लिए बेहतर चिकित्सा परामर्श उपलब्ध करा सकते हैं। इसके अलावा अस्पताल में जारी विभिन्न उपचार गतिविधियों की भी लगातार निगरानी होती है। कितने मरीज आए, कौन डॉक्टर कब उपलब्ध होगा, ब्लड बैंक की स्थिति क्या है, किस मरीज को क्या उपचार दिया जा रहा है, सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है। प्रधानमंत्री डायलसिस कार्यक्रम में भी आगे
जिला अस्पताल पुलवामा में प्रधानमंत्री डायलसिस याेजना का लाभ भी स्थानीय लोगों को लगातार मिल रहा है। अब स्वास्थ्य बीमा योजना भी लागू की जा रही है। वादी में बीते 20 दिनों से जारी कानून व्यवस्था की स्थिति में भी स्थानीय डॉक्टर विभिन्न माध्यमों से जरुरतमंद लोगों को लगातार डायलसिस सेवा उपलब्ध करा रहे हैं। कई बार डॉक्टर खुद एंबुलेंस भेजकर ऐसे मरीजों को अस्पताल में बुला रहे हैं। शोपियां से बेटी के डायलसिस के लिए आए ग्रामीण ने कहा कि मैं डॉक्टर वाहिद का शुक्रगुजार हूं। मेरी बेटी को डायलसिस की जरूरत होती है। चिकित्सक से संपर्क न होने के कारण मैं बहुत परेशानी में था कि क्या करूं और डॉ वाहिद ने मुझे खुद सूचित किया कि मैं अपनी बच्ची को लेकर अस्पताल आ जाऊं। मेरी बेटी का डायलसिस हुआ और इस समय वह बेहतर है। जानें, क्या है डीएनबी
डीएनबी अर्थात डिप्लोमेट नेशनल बोर्ड मेडिकल में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों और डॉक्टरेट पाठ्यक्रमों का संयुक्त कार्यक्रम है। कोई भी एमबीबीएस चिकित्सक 50 साल की आयु तक इस कार्यक्रम के तहत स्नातकोत्तर डिग्री ले सकते हैं। यह कोर्स तीन वर्ष के लिए होते हैं। इस दौरान चिकित्सकीय जिम्मेवारियां, आफिस की जिम्मेवारी और आपातकालीन जिम्मेवारियों का भी निर्वहन करते हैं। इस दौरान उन्हें वर्कशॉप और अकादमिक कार्यक्रमों में भी शामिल होना होता है। उनके काम, ज्ञान और क्षमता का समय-समय पर मूल्यांकन होता है। इस दौरान उन्हें स्टाइपेंड भी मिलता है। मास्टर आफ सर्जरी और मेडिसन कार्यक्रम में चयनित न होने वाले चिकित्सक डीएनबी कार्यक्रम को चुनते हैं। जम्मू-कश्मीर की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें