Article 370 का प्रस्ताव पारित होने के बाद भी कुछ नहीं बदलेगा, बैकफुट पर कांग्रेस; क्या होगी नेकां की रणनीति
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की पहली विधानसभा में राज्य के विशेष दर्जे के की बहाली को लेकर जमकर बवाल हुआ। हालांकि इससे जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर कुछ भी बदलने नहीं जा रहा है। यह केवल एक राजनीतिक बहस का विषय रहेगा। नेकां के लाए इस प्रस्ताव से कांग्रेस बैकफुट पर है। अन्य पार्टियां भी नेकां के सामने बौने साबित हो रहे हैं।
नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा का पहला सत्र संपन्न हो चुका है। इसमें जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली को लेकर शुरू हुआ हंगामा बाहर भी जारी है और यह रावी दरिया के पार देश के विभिन्न भागों में भी गूंजने लगा है।
हालांकि इससे जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर कुछ भी बदलने नहीं जा रहा है। यह केवल एक राजनीतिक बहस का विषय बनकर विभिन्न पार्टियों के लिए गुणा-भाग का माध्यम रहेगा।
खुद को बैकफुट पर महसूस कर रही कांग्रेस
इस सत्र ने यह भी साफ कर दिया है कि सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस कानून व्यवस्था संबंधी संवेदनशील मामलों से खुद को यथासंभव अलग रखते हुए खुद को विकासात्मक मुद्दों पर केंद्रित रख अपने राजनीतिक जनाधार को बढ़ाने का प्रयास करेगी।दूसरी तरफ भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह विशेष दर्जे के मुद्दे पर किसी भी तरह की बहस की गुंजायश का मौका नहीं देने जा रही है।
इस पूरे क्रम में राष्ट्रीय स्तर पर जहां कांग्रेस खुद को बैकफुट पर महसूस करती नजर आ रही है, वहीं प्रदेश में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी इत्तेहाद पार्टी जैसे दल नेशनल कॉन्फ्रेंस के समक्ष बौने साबित हो गए हैं।
4 नवंबर को शुरू हुआ था विधानसभा सत्र
जम्मू-कश्मीर विधानसभा का सत्र चार नवंबर को शुरू हुआ था। इससे पहले ही सभी को मालूम था कि अनुच्छेद 370 का मुद्दा सदन में गूंजेगा और नेशनल कॉन्फ्रेंस जिसके चुनाव घोषणापत्र में इसकी पुनर्बहाली एक मुख्य बिंदू है, इस पर प्रस्ताव लाएगी।
सत्र शुरू होने पर पीडीपी के वहीद उर रहमान परा ने प्रस्ताव लाया, जिसकी स्पीकर ने पुष्टि नहीं की, लेकिन तय हो गया था कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अब प्रस्ताव लाएगी।
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