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'उनके प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं', राजनयिकों के दौरे पर भड़के उमर अब्दुल्ला; राहुल गांधी को भी दी सलाह

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने के केंद्र के फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह चुनाव भारत का आंतरिक मामला है और विदेशियों को यहां चुनाव प्रक्रिया की निगरानी के लिए बुलाने की जरूरत नहीं है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर में बुधवार को दूसरे चरण के लिए मतदान हो रहा है।

By naveen sharma Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 25 Sep 2024 01:18 PM (IST)
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राजनयिकों के जम्मू-कश्मीर दौरे पर उमर अब्दुल्ला ने उठाए सवाल
राज्य ब्यूरो, श्रीगनर। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों का निरीक्षण करने के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने के केंद्र के निर्णय की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव भारत का आतंरिक मामला है और मुझे नहीं पता कि विदेशियों को यहां चुनाव प्रक्रिया का जायजा लेने, निगरानी करने के लिए क्यों बुलाया जाना चाहिए था। विदेशी राजनयिकों को आप कश्मीर में चुनाव दिखा रहे हो तो फिर विदेशी पत्रकारों को क्यों यहां आने से रोका जाता है।

16 देश के राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा श्रीगनर

नई दिल्ली स्थित विदेशी दूतावासों और उच्चायुक्तों के 16 देश के राजनयिकों का एक प्रतिनिधिमंडल, कश्मीर में जारी चुनाव प्रक्रिया का जायजा लेने आज सुबह ही यहां श्रीनगर पहुंचा है। इस प्रतिनिधिमंडल को विदेश मंत्रालय ने आमंत्रित किया है। जम्मू कश्मीर 10 वर्ष बाद और पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

'यह हमारा अपना आंतरिक मामला'

आज यहां सोनवार स्थित मिशनरी स्कूल में बने मतदान केंद्र में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा कि जब कोई दूसरा देश कश्मीर को लेकर कोई टिप्पणी करता है तो भारत सरकार कहती है कि यह हमारा अपना आंतरिक मामला है।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आज अचानक ही केंद्र सरकार विदेशी पर्यवेक्षकों को आमंत्रित करती है और उन्हें चुनाव प्रक्रिय का जायजा लेने के लिए कश्मीर में विभिन्न मतदान केंद्रों में सैर करा रही है। अगर विदेशी राजनयिक आ सकते हैं तो फिर विदेशी पत्रकारों पर रोक क्यों लगाई जाती है। चुनाव के समय विदेशी राजनयिकों को कश्मीर में पर्यटकों की तरह लाना कई सवाल पैदा करता है।

उनके प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है- उमर अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हमारे लिए एक आंतरिक मामला है, और हमें उनके (विदेशी राजनयिकों के) प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। यहां चुनाव में लोगों की भागीदारी जिसे केंद्र सरकार अपनी उपलब्धि बता रही है, केंद्र सरकार सरकार की वजह से नहीं है।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यहां लोगों को अपमानित किया, यहां लोगों को प्रताड़ित करने, उनकी आवाज को बंद कराने के लिए, हर तरीका इसतेमाल किया गया और इसके बावजूद इसके बावजूद लोग चुनाव में भाग ले रहे हैं, मतदान कर रहे हैं। इसलिए यह ऐसा कुछ नहीं है जिसका भारत सरकार को प्रचार करना चाहिए। लेकिन, वैसे भी, वह ऐसे ही हैं।

दूसरे चरण में जताई अच्छे मतदान की उम्मीद

नेकां उपाध्यक्ष ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता को 10 वर्ष बाद पुन: अपने प्रतिनिधि चुनने का अवसर मिला है। पहले चरण में हुए अच्छे मतदान के बाद हमें दूसरे चरण में भी अच्छे मतदान और अच्छे परिणाम की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अब तक के चुनाव प्रचार में हमने देखा है, चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो, उसकी रैलियां और चुनाव प्रचार उत्साहजनक रहा है। हमें उम्मीद है कि यह उत्साह मतदाताओं में भी दिखेगा।

उमर ने कहा- पार्टी के लिए तीनों चरण महत्तवपूर्ण

नेकां के लिए दूसरे चरण के मतदान के महत्व संबंधी सवाल के जवाब में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सभी चुनाव और मतदान दिवस महत्वपूर्ण होते हैं। मैं दो सीटों से चुनाव लड़ रहा हूं, इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। अगर में एक सीट से भी चुनाव लड़ रहा होता तो भी यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता। यह मेरे बारे में नहीं है, यह पूरी पार्टी के बारे में है। पहला चरण जितना महत्वपूर्ण था, तीसरा चरण भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा। हां, इसमें मेरी व्यक्तिगत हिस्सेदारी है, लेकिन पार्टी के लिए तीनों चरण महत्वपूर्ण हैं।

चुनाव परिणाम पर भी कही ये बात

चुनाव में अपनी जीत संबंधी सवाल के जवाब में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उम्मीद पर दुनिया कायम है। मैं मतदाताओं तक जितना पहुंच सकता था,पहुंचा, हमने मेहनत की और मुझे उम्मीद है कि अच्छा होगा। बाकी सब तो खुदा के हाथ में हैं और उउसके बाद मतदाताओं के हाथ में। देखें,आठ अक्टूबर को क्या फैसला आता है।

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पीडीपी पर भी साधा निशाना

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती द्वारा गांदरबल और बडगाम में नेशनल कॉन्फ्रेस द्वारा बोगस वोटिंग कराए जाने के आरोपों पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पीडीपी को अपनी हार सामने नजर आ रही हे। इसलिए यह आरोप लगाए जा रहे हैं। कोई भी इनकी जांच कराए।

पीडीपी को अपने उम्मीदवार से बहुत उम्मीद थी,लेकिन वह मतदाताओं में कोई प्रभाव छोड़ने में विफल रहा है। ऐसे में मैं क्या कर सकता हूं।अगर बडगाम में काेई उम्मीदवार मेरे पक्ष में चुनाव प्रक्रिया से अपना नाम वापस लेता हैं तो उसमें मेरा कोई दोष नहीं है।

पीडीपी बडगाम में अपनी पार्टी का समर्थन पाकर बहुत खुश थी, लेकिन मुंतजिर मोहिउद्दीन ने पार्टी के खिलाफ जाकर मुझे समर्थन देने की घोषणा कर दी। इसके बाद पीडीपी नाराज हो गई और हम पर और अपनी पार्टी पर हमला करना शुरू कर दिया।

पीडीपी ने साफ तौर पर दीवार पर लिखी इबारत को समझ लिया है। बडगाम और गांदरबल को भूल जाइए, वह बिजबेहाड़ा में भी जीत जाएंगे तो भाग्यशाली होंगे। इसलिए मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता।

उमर अब्दुल्ला ने राहुल गांधी को दी सलाह

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बुधवार को जम्मू-कश्मीर दौरे संबंधी सवाल के जवाब में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस को जम्मू में ज्यादा ध्यान देना चाहिए। यह अच्छी बात है कि राहुल गांधी कांग्रेस के चुनाव प्रचार में पूरी तरह सक्रिय हैं। मुझे उम्मीद है कि राहुल कश्मीर में एक या दो सीटों पर प्रचार करने के बाद जम्मू पर ध्यान देंगे।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस कश्मीर में क्या प्रदर्शन करती है, उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण जम्मू में कांग्रेस का प्रदर्शन है। जम्मू में कांग्रेस जितना बेहतर करेगी, उतना ही उसके और गठंबंधन के लिए बेहतर होगा। दुर्भाग्य से, कांग्रेस ने जम्मू के मैदानी इलाकों में उतना काम नहीं किया है, जितना नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), उससे उम्मीद करती है।

उमर ने कहा जम्मू में गठबंधन ने जो सीटें दीं, उनमें से अधिकांश कांग्रेस पार्टी को मिलीं, फिर भी जम्मू में कांग्रेस का अभियान अभी शुरू होना बाकी है। अब केवल पांच दिन का प्रचार अभियान बचा है। इसलिए मुझे उम्मीद है कि घाटी में इस एक सीट पर राहुल के प्रचार समाप्त करने के बाद, कांग्रेस अपना पूरा ध्यान जम्मू के मैदानी इलाकों पर केंद्रित करेगी।

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