दरबार मूव की बहाली की तैयारी कर रही उमर अब्दुल्ला सरकार, कैबिनेट बैठक में होगा फैसला; सियासी बहस शुरू
जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव की प्रथा को फिर से शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। वन मंत्री जावेद राणा ने कहा कि अगली कैबिनेट बैठक में इस पर फैसला लिया जाएगा। भाजपा इसका विरोध कर रही है जबकि कांग्रेस ने इसका स्वागत किया है। पीडीपी का कहना है कि नेकां सिर्फ दिखावे के लिए ऐसा कह रही है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में समाप्त हो चुकी दरबार मूव (सचिवालय स्थानांतरित) की प्रथा प्रदेश सरकार इस वर्ष पुन: प्रारंभ करने की तैयारी कर रही है। वन एवं पर्यावरण मंत्री जावेद अहमद राणा ने शनिवार को इस प्रथा की पुनर्बहाली पर प्रदेश सरकार द्वारा गंभीरता से विचार करने का दावा कर एक नयी सियासी बहस को जन्म दे दिया है।
उन्होंने कहा अगली कैबिनेट बैठक में इसका फैसला लिया जाएगा। भाजपा ने इसका कड़ा विरोध किया है, जबकि कानूनविद्ध मानते हैं कि इसे बहाल करने के लिए उपराज्यपाल की अनुमति जरूरी होगी। पीडीपी ने कहा कि नेकां सिर्फ दिखावे लिए ऐसा कह रही है। वहीं कांग्रेस ने दरबार मूव प्रथा का स्वागत किया।
दरबार स्थानांतरण की परंपरा वर्ष 1872 में डोगरा शासक महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में शुरू हुई थी, जिन्होंने जम्मू व श्रीनगर में मौसम की चरम स्थितियों में शाही दरबार को गर्मियों के छह माह जम्मू से श्रीनगर और सर्दियों के छह माह श्रीनगर से जम्मू में रखने की परंपरा शुरू की थी। यह प्रथा वर्ष 1947 के बाद भी जारी रही। बाद में यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रभावी होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में दरबार मूव की प्रथा को उपराज्यपाल प्रशासन ने वर्ष 2021 में समाप्त कर दिया था।
इस बीच, वन मंत्री जावेद राणा ने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर की राजधानी को श्रीनगर और जम्मू के बीच स्थानांतरित करने की प्रथा को फिर शुरू करने पर विचार कर रही है। मैं सटीक तारीख और महीना नहीं बता सकता। लेकिन मुझे उम्मीद है कि अगली कैबिनेट बैठक में दरबार मूव की बहाली के बारे में फैसला लिया जाएगा।
भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि वनमंत्री का दावा हास्यास्पद है। अब यह प्रथा समाप्त हो चुकी है, यह बहाल नहीं हो सकती। आज का डिजिटल युग है, आनलाइन सभी फाइलें उपलब्ध हो जाती हैं।
दोनों शहरों में आप सचिवालय व सभी कार्यालय पूरा साल बहाल रख सकते हैं, बीते चार वर्ष के दौरान हमने यह व्यावहारिक रूप से अनुभव किया है। नेकां अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए दरबार मूव बहाली की बात कर रही है।
नेकां केंद्र या भाजपा को नहीं करेगी नाराज : पीडीपी
पीडीपी की युवा इकाई के नेता और विधायक वहीद उर रहमान परा ने कहा कि दरबार मूव को सिर्फ जम्मू और कश्मीर के बीच दूरी बढ़ाने के लिए भंग किया गया है। नेकां को इसे बहाल करना चाहिए, लेकिन मुझे नहीं लगता कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ऐसा कुछ करेंगे, जिससे केंद्र सरकार या भाजपा नाराज हो।
उमर विवाद को जन्म दे रहे
जम्मू-कश्मीर मामलों के जानकार एडवोकेट अजात जम्वाल ने कहा कि कैबिनेट में लिए फैसले तभी लागू होते हैं जब उपराज्यपाल उन्हें सहमति देते हैं। क्या उपराज्यपाल उन्हें दरबार मूव बहाल करने देंगे, जिसे उन्होंने स्वयं बंद कराया है। उमर जानते हैं कि अगर वह ऐसा कोई फैसला लेंगे तो वह एक नए विवाद को जन्म देंगे।
संबंध मजबूत होते हैं: सुरिंदर उपमुख्यमंत्री
सुरिंदर चौधरी ने कहा कि दरबार मूव बहाल होना चाहिए। इस प्रथा से जम्मू और कश्मीर के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक संबंध मजबूत होते हैं। दरबार मूव ने रोजगार और आजीविका को बढ़ावा दिया। हमारी सरकार इस विरासत का सम्मान करती है। लोग भी चाहते हैं कि दरबार मूव की प्रथा बहाल हो।
दरबार मूव की प्रथा अब बहाल नहीं हो सकती : भाजपा
इससे जम्मू की अर्थव्यवस्था होती है मजबूत : कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविंदर शर्मा ने कहा कि दरबार मूव बहाल होना चाहिए। अब डिजिटल जमाना है। कम से कम अधिकारियों को स्थानांतरित करना पड़ेगा। दरबार मूव सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था नहीं, यह जम्मू व कश्मीर के आपसी संबंधों को मजबूत बनाता है और जम्मू की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देता है।
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