कार्यभार संभालते ही एक्शन में उमर अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर को फिर राज्य का दर्जा देने के लिए पारित किया प्रस्ताव
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir News) के पहले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कार्यभार संभाल लिया है। अपनी पहली कैबिनेट बैठक में उन्होंने जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे की पुनर्बहाली के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। हालांकि अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित न करने पर विरोधियों ने उमर अब्दुल्ला को निशाने पर लिया है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने कार्यभार संभाल लिया है। शुक्रवार को उमर अब्दुल्ला ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक की है।
हालांकि, अपनी पहली कैबिनेट बैठक में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित न करने पर उमर अब्दुल्ला विरोधियों को निशाने पर आ गए हैं।
राज्य के दर्जे की पुनर्बहाली के लिए प्रस्ताव पारित
मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभालने के बाद उमर अब्दुल्ला (CM Omar Abdullah) ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे की पुनर्बहाली के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है।
उन्होंने बैठक में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ कोई जिक्र नहीं किया। हालांकि, कैबिनेट बैठक को लेकर प्रदेश सरकार ने कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
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पीएम मोदी से जल्द कर सकते हैं मुलाकात
सूत्रों के अनुसार, बैठक में सिर्फ राज्य के दर्जे की बहाली का प्रस्ताव लाया गया। कहा जा रहा है कि उमर अब्दुल्ला अब जल्द ही नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेंगे और उन्हें इस प्रस्ताव की जानकारी देते हुए, राज्य के दर्जे की बहाली पर जोर देंगे।
विरोधियों ने उमर अब्दुल्ला पर साधा निशाना
इस बीच, पीपुल्स कान्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की युवा इकाई के नेता वहीद उर रहमान पारा ने उमर अब्दुल्ला (CM Omar Abdullah) की आलोचना करते हुए कहा कि यह तो कैबिनेट ने राज्य के दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पारित कर एक तरह से पांच अगस्त 2019 के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया है।
पीपुल्स कान्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने कहा कि क्या कारण है कि कैबिनेट की बैठक में गुपचुप तरीके से राज्य के दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पारित किया गया है, यह तो विधानसभा में लाना चाहिए था। अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ भी कैबिनेट में कोई चर्चा नहीं है।
एलजी की अनुमति से लेना होगा निर्णय
बता दें कि उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के दूसरे बार मुख्यमंत्री बने हैं लेकिन केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री बने हैं। पहली जब उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने थे, तब की और अब की परिस्थितियां बहुत अलग-अलग हैं।
उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री तो बन गए हैं लेकिन कोई भी बड़ा और अहम फैसला लेने से पहले उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी।
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