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शपथ से पहले दादा की मजार पर दुआ और फिर CM बन पहुंचे सचिवालय, पूरे दिन बदलता रहा उमर अब्दुल्ला का पहनावा

जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उमर अब्दुल्ला (CM Omar Abdullah) ने शपथ ली। शपथ से पहले उन्होंने अपने दादा और दादी की मजार पर श्रद्धांजलि अर्पित की और हजरतबल दरगाह में दुआ मांगी। शपथ ग्रहण समारोह में उन्होंने सफेद सलवार कमीज और काली शेरवानी पहनी थी। मुख्यमंत्री बनकर सचिवालय पहुंचने पर उन्होंने शेरवानी उतार दी और सफेद सलवार कमीज के ऊपर बास्कट पहन रखी थी।

By naveen sharma Edited By: Rajiv Mishra Updated: Thu, 17 Oct 2024 08:31 AM (IST)
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शपथ ग्रहण के दिन बदलता रहा उमर अब्दुल्ला का पहनावा

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को शपथ ग्रहण की। इससे पूर्व उन्होंने अपने दादा स्व. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और दादी बेगम अकबर जहां के मजार पर जाकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के अलावा हजरबल दरगाह में दुआ भी मांगी। इस दौरान वह जहां-जहां गए वहां उनका पहनावा भी अलग-अलग रहा।

शपथ से पहले दादा की मजार पर गए उमर अब्दुल्ला

सुबह जब वह हजरबल दरगाह से कुछ ही दूरी पर डल झील किनारे स्थित अपने दादा स्व. शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और दादी बेगम अकबर जहां मजार पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो वह हल्के नीले आसमानी रंग का सलवार कमीज पहने हुए थे। उन्होंने ठंड से बचाव के लिए कोट पहना था और सिर पर तुर्की टोपी थी।

शेख मोहम्मद अब्दुल्ला नेकां के संस्थापक हैं और वह वर्ष 1948 से 1953 तक जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री और उसके बाद 1975 से 1982 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे। श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद वह हजरतबल दरगाह पहुंचे। वहां उन्होंने दुआ की।

दरगाह परिसर में एक संक्षिप्त बातचीत में उन्होंने बताया कि यहां हजरतबल दरगाह में खुदा से यही मांगा कि वह मुझे हिम्मत दें ताकि मैं लोगों की उम्मीदों पर खरा उतर सकूं। जम्मू-कश्मीर एक मुश्किल दौर देखा है, लोगों की बहुत सी उम्मीदे हैं। हमारी चुनौती यही है कि हम उनकी उम्मीदों को सही तरीके से पूरा कर सकें।

शपथ के दौरान पहने थे सलवार कमीज और शेरवानी

हजरतबल दरगाह में हाजिरी देने के लगभग सवा घंटे बाद वह एसकेआइसीसी में शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे। इस अवसर पर उमर ने सफेद सलवार कमीज और काली शेरवानी पहन रखी थी। सिर पर उनके टोपी थी, लेकिन कराकुली नहीं जो सामान्यत: कश्मीरी राजनीतिकों के सिर पर नजर आती है। उन्होंने डिजाइनर तुर्की टोपी पहन रखी थी। इस टोपी का रंग और डिजाइन उस टोपी से अलग था जो उन्होंने सुबह पहन रखी थी।

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सचिवालय पहुंचे तो उतर चुकी थी शेरवानी

मुख्यमंत्री बनकर उमर दोपहर बाद सचिवालय पहुंचे तो शेरवानी उतर चुकी थी। उन्होंने सफेद सलवार कमीज और उसके ऊपर से बास्कट पहन रखी थी। सिर पर फिर वही तुर्की टोपी थी। बता दें कि उमर अब्दुल्ला बीते चार वर्ष से कराकुली टोपी कम तुर्की टोपी ज्यादा पहन रहे हैं।

शपथ ग्रहण समारोह की ये झलकियां भी रहीं खास

  • मंत्री बने जावेद राणा ने पुंछ के मेंढर से चुनाव जीता है। उन्होंने शपथ समारोह में बंदगला सूट और सिर पर साफा गोजरी पगड़ी बांध रखी थी। राणा राजौरी-पुंछ में प्रभावशाली गुज्जर नेताओं में एक हैं।
  • मंत्री बने सतीश शर्मा ने जम्मू के छंब से टिकट न मिलने पर कांग्रेस से बगावत कर कांग्रेस-नेकां के साझा उम्मीदवार व पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता। शपथ समारोह के दौरान सतीश शर्मा ने गले में माता वैष्णो देवी की लाल चुनरी पहन रखी थी। सतीश के पिता स्व. मदन लाल शर्मा प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में एक थे। मदल लाल दो बार सांसद व जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
  • श्रीनगर जिले की रफियाबाद सीट से विधायक बने नेकां के जावेद डार ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
  • सकीना इट्टू दक्षिण कश्मीर में जिला कुलगाम के अंतर्गत डीएचपोरा की विधाायक हैं। वह तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं और पहले भी मंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने भी मंत्री पद की शपथ ग्रहण की।

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