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कश्मीरी युवा ही पुलिस में भर्ती होकर करेंगे आतंक का खात्मा, डीजीपी स्वैन बोले- आतंकियों ने 12 हजार नागरिकों को किया कत्ल

पुलिस संगठन में एसपीओ की नई भर्ती का निर्णय गत जून में लिया गया है। यह भर्ती अभियान पहले उन जिलों में चलाया जाएगा जहां बीते कुछ वर्षों के दौरान आतंकी हिंसा में अचानक बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा जिस भी जिले में यह भर्ती होगी वहां उन गांवों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनका पुलिस संगठन में प्रतिनिधित्व अन्य गांवों की तुलना में कम होगा।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Tue, 02 Jul 2024 06:00 AM (IST)
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कश्मीरी युवा ही पुलिस में भर्ती होकर करेंगे आतंक का खात्मा
 जागरण संवाददाता, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकियों और उनके तंत्र के समूल नाश के अभियान में जनभागीदारी को बढ़ाने के लिए अब आतंकग्रस्त क्षेत्रों के युवाओं को पुलिस में बतौर एसपीओ (स्पेशल पुलिस आफिसर) भर्ती करने का अभियान शुरू किया है। यह भर्ती अभियान क्रमानुसार जिला स्तर पर चलाया जा रहा है और भर्ती ग्राम व थाना क्षेत्र के स्तर पर हो रही है।

आतंकी हिंसा में अचानक बढ़ोतरी हुई

संबंधित पुलिस सूत्रों ने बताया कि पुलिस संगठन में एसपीओ की नई भर्ती का निर्णय गत जून में लिया गया है। यह भर्ती अभियान पहले उन जिलों में चलाया जाएगा, जहां बीते कुछ वर्षों के दौरान आतंकी हिंसा में अचानक बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा जिस भी जिले में यह भर्ती होगी, वहां उन गांवों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनका पुलिस संगठन में प्रतिनिधित्व अन्य गांवों की तुलना में कम होगा।

यहां चलाया गया पुलिस भर्ती अभियान

उन्होंने बताया कि इसी अभियान के तहत जिला राजौरी और ऊधमपुर में एसपीओ की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई है। यह भर्ती अभियान पुंछ, रियासी, डोडा, किश्तवाड़, सांबा, कठुआ, कुपवाड़ा, अनंतनाग और शोपियां में भी चलाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि एसपीओ की प्रस्तावित भर्ती प्रक्रिया में 18 से 28 वर्ष की आयु सीमा तक के कम से कम मैट्रिक पास या इसके समकक्ष शैक्षिक योग्यता वाले युवक ही भाग ले सकते हैं। उन्हें शारीरिक दमखम की परीक्षा, स्वास्थ्य जांच से भी गुजरना होगा। उन्होंने बताया कि चयनित एसपीओ को एक से दो माह तक का आवश्यक पुलिस प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।

सीमांत व दूरदराज के पहाड़ी गांव को प्राथमिकता

सूत्रों ने बताया कि एसपीओ की यह भर्ती प्रक्रिया उन गांवों-बस्तियों में प्राथमिकता के आधार पर चलाई जाएगी, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा, एलओसी के नजदीक हैं या दूरदराज के पहाड़ी इलाकों में हैं और जहां आतंकियों की गतिविधियों की आशंका है। उन्होंने बताया कि प्रदेश पुलिस प्रशासन ने यह अभियान केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार ही शुरू किया है। इसके तहत आने वाले खर्च को सुरक्षा संबंधी खर्च की मद से पूरा किया जाएगा।

12 हजार लोगों का आतंकियों ने कत्ल किया

पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में बीते 34 वर्ष से जारी आतंकी हिंसा के दौरान 45 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इनमें 12 हजार के करीब नागरिक हैं,जिन्हें आतंकियों ने कत्ल किया है।

उन्होंने कहा कि कोई आतंकियों के बम विस्फोट मे मारा गया तो कोई आतंकियों द्वारा किसी क्षेत्र में सामूहिक नरसंहार में मारा गया। कई नागरिकों को आतंकियों ने सुरक्षाबलों का मुखबिर होने के संदेह में कत्ल किया। उन्होंने कहा कि पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों के छह हजार जवान व अधिकारी भी इस दौरान बलिदानी हुए हैं जबकि 23 हजार आतंकी मारे जा चुके हैं।

जम्मू कश्मीर में कानून का राज रहेगा

उन्होंने कहा कि हमारे पास पक्के सुबूत है जिनके आधार पर हम साबित कर सकते हैं कि 12 हजार नागरिकों की मौत के लिए आतंकी ही पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। कुछ पत्रकार भी आतंकियों के हाथों मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता के लागू होने से जम्मू कश्मीर में आसानी से कानून का राज बहाल रहेगा,अपराधियों के खिलाफ जांच अब बिना किसी डर आगे बढ़ेगी, अपराधियों की सजा सुनिश्चित होगी।

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