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'26 जनवरी को फैसला होगा, किसने अपनी मां का दूध पिया है...', जब पहली बार 1992 में लाल चौक पर पीएम मोदी ने फहराया था तिरंगा

26 जनवरी 1992 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काफी खास है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिन 1991 में शुरू की गई एकता यात्रा श्रीनगर के लाल चौक पहुंची थी। यहां गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच पार्टी नेता मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में पीएम मोदी और तमाम नेताओं ने पहली बार तिरंगा (Lal Chowk Tricolor Hoisting and 26th January 1992) फहराया था। आइए जानते इस ऐतिहासिक पल के बारे में...

By Gurpreet Cheema Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Fri, 26 Jan 2024 12:26 PM (IST)
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26 जनवरी 1992 में पहली बार श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया।

बता कर आ रहे हैं लाल चौक, 26 जनवरी... कार्यक्रम के दिन झंडा फहराएंगे, गाजे-बाजे के साथ आ रहे हैं लाल चौक... तुम्हारे पास जितना गोला-बारूद हो तैयार रख लेना। तुम्हारे पास जितनी गोलियां हैं AK-47 में भरकर रख लेना। 26 जनवरी को फैसला हो जाएगा, किसने अपनी मां का दूध पिया है...

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। (Republic Day 2024) ये शब्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 जनवरी 1992 में कश्मीर जाने से ठीक दो दिन पहले 24 जनवरी को आतंकवादियों को ललकारते हुए कहे थे। ये उस समय की बात है जब बीजेपी अपनी एकता यात्रा  (Lal Chowk Tricolor Hoisting) निकाल रही थी। कन्याकुमारी से शुरू की गई यह एकता यात्रा 14 राज्यों से गुजरते हुए श्रीनगर पहुंचनी थी। न जाने कैसे जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के आतंकियों को इसकी भनक लग गई। इसके बाद श्रीनगर समेत पूरे जम्मू कश्मीर की दीवारों पर धमकी भरे पोस्टर लगा दिए गए।

आतंकियों द्वारा लगाए गए पोस्टरों में जो लिखा था उसे पढ़कर कोई भी घबरा जाता। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 56 इंच की छाती ठोकते हुए वहां श्रीनगर पहुंचने के ठीक 36 घंटे पहले अपने भाषण में आतंकियों से कहा। आतंकवादी कान खोलकर सुन लें। हम 26 जनवरी को लाल चौक ठीक 11 बजे आएंगे। बिना स्कियोरिटी और बिना किसी बुलेटप्रूफ जैकेट के... और वहां फैसला हो जाएगा कि किसने अपनी मां का दूध पिया है।

क्या लिखा था आतंकियों ने पोस्टर में?

आतंकियों ने एकता रैली की भनक लगते ही जम्मू कश्मीर की दीवारों पर जगह-जगह पोस्टर लगा दिए थे। इन पोस्टर में लिखा था, "अगर मां का दूध पिया है तो श्रीनगर के लाल चौक आओ, भारत का तिरंगा झंडा फहराना लेकिन अगर यहां से जिंदा वापस चले गए तो हमारी तरफ से ईनाम दिया जाएगा..."

26 जनवरी 1992 (26th January 1992) को लाल चौक पर क्या होना था?

  • लाल चौक (Lal Chowk) पर उस दिन ठीक 11 बजे क्या होने वाला था... इसे जानने के लिए हमें साल 1991 में दिसंबर पर नजर डालनी होगी। क्योंकि इसी महीने भारतीय जनता पार्टी ने नेता मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में कन्याकुमारी से कश्मीर तक 'एकता यात्रा' शुरुआत की थी।
  • इसका उद्देश्य था कश्मीर से आतंकवाद का खात्मा और आर्टिकल 370 को हटाना। इस यात्रा के तहत 14 राज्यों से गुजरते हुए श्रीनगर के लाल चौक पर पहुंचकर तिरंगा फहराया जाना था।
  • यही वह समय था जब मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) ने पीएम मोदी (Narendra Modi) के कंधे पर हाथ रखकर पत्रकारों से कहा था, "इनसे मिलिए ये हैं नरेंद्र मोदी, गुजरात से आते हैं। बहुत ऊर्जावान व मेहनती हैं।" मुरली मनोहर ही अपने एक साक्षात्कार में बताते हैं कि बीजेपी कार्यकर्ता नरेंद्र मोदी ने एकता यात्रा के मुख्य आयोजक के रूप में कार्य किया था।

जब हवाई अड्डे पर स्वागत फूल-मालाओं से नहीं बल्कि गोलियों से हुए...

अब सवाल यह है कि क्या बीजेपी राष्ट्रीय ध्वज (Tiranga at lal chowk) यहां फहरा पाई? 1992 में श्रीनगर पहुंचना अपने आप में ही एक बड़ी बात थी, खासकर जब आतंकवाद ने यहां अपने पैर पसारे हुए थे। इस यात्रा में तकरीबन एक लाख लोगों का समूह था। 

तब जम्मू में एकता यात्रा को संबोधित करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवानी भी आए थे। सरकार ने यात्रा को ऊधमपुर में रोक लिया। कुछ कार्यकर्ता रामबन तक पहुंच गए और उन्हें वहां रोका गया अलबत्ता कुछ कार्यकर्ता श्रीनगर में पहुंचने में सफल हो गए। ऐसे में सभी को श्रीनगर ले जाना एक बड़ी चुनौती थी।

क्योंकि... आगे का रास्ता आसान नहीं था। आगे कि यात्रा अब सड़क मार्ग नहीं बल्कि जहाज से की जानी थी। इसके लिए कार्गो का जहाज किराए पर लिया गया था। इस जहाज में 17 से 18 लोग बैठकर यहां पहुंचे थे। इनमें मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी के अलावा पार्टी के उपाध्यक्ष कृष्णलाल शर्मा भी शामिल थे।

जब ये सभी लोग हवाई अड्डे पर उतरे तो इनका स्वागत फूल मालाओं से नहीं बल्कि गोलियों की तड़तड़ाहट से हुआ था। इसके बाद तमाम सिक्योरिटी के साथ एकता यात्रा में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं को सुरक्षाबलों के कैंप में ठहराया गया था।

वो कीमती 15 मिनट जब लाल चौक पर झंडा फहराया गया...

1992 के दौर में आतंकियों ने यहां दहशत फैला रखी थी। उस समय हर 15 मिनट में यहां रॉकेट फायर हो रहे थे। लगातार दस फीट की दूरी पर गोलीबारी हो रही थी। कब कहां से फायरिंग हो जाए कुछ पता नहीं था। यही नहीं गोलियों के साथ-साथ गालीबारी यानी कि गालियां भी सुनाई पड़ रही थीं।

यहां तक कि ऐसा भी सुना जा रहा था कि कश्मीर के बिना पाकिस्तान अधूरा है। इसी के बीच लाल चौक पर मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में तिरंगा फहराया गया। भारत माता की जय के नारे लगाए गए। राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ ही ये यात्रा यहां पूरी हुई थी।

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