'खतरनाक थीं सोनम वांगचुक की गतिविधियां...', सुप्रीम कोर्ट में बोले लेह के DM
जोधपुर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक ने हलफनामे में बताया कि वांगचुक को 10 अक्टूबर, 2025 तक अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का अधिकार है। उन्हें एकांत में नहीं रखा गया है, बल्कि अन्य बंदियों के समान अधिकार प्राप्त हैं। वह पुलिस की निगरानी में आगंतुकों से मिल सकते हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं।
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सुरक्षा के लिए खतरा थीं सोनम वांगचुक की गतिविधियां: लेह के DM
पीटीआई, लद्दाख। लेह के जिलाधिकारी (डीएम) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था व आवश्यक सेवाओं के रखरखाव को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में शामिल थे। इसी वजह से वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था।
शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में लेह के डीएम ने इस बात से इन्कार किया कि वांगचुक को गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिया गया था या हिरासत में उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हिरासत के कारणों और सामग्री के बारे में उन्हें सूचित कर दिया गया था। लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद वांगचुक को 26 सितंबर को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया था। सरकार ने उन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया था।
डीएम ने यह हलफनामा वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जवाब में दायर किया है। याचिका में उन्होंने एनएसए के तहत वांगचुक की गिरफ्तारी को चुनौती दी है और तत्काल रिहाई की मांग की है। उनकी याचिका पर शीर्ष अदालत बुधवार को सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट को यह भी सूचित किया गया है कि वांगचुक को एनएसए के तहत उनकी हिरासत और राजस्थान के जोधपुर केंद्रीय कारागार में उनके स्थानांतरण के बारे में स्पष्ट रूप से सूचित किया गया था। उनकी पत्नी गीतांजलि को भी तुरंत टेलीफोन पर इसकी सूचना दी गई थी, जिसे उन्होंने स्वीकार किया है।
हलफनामे में डीएम ने कहा कि एनएसए की धारा-10 की आवश्यकता के अनुरूप हिरासती आदेश को निर्धारित अवधि में सलाहकार बोर्ड को संदर्भित कर दिया गया है। इस धारा के तहत वांगचुक ने कोई अभ्यावेदन नहीं दिया है। हालांकि उन्होंने राष्ट्रपति को एक पत्र भेजा है, जिसे लद्दाख प्रशासन को संदर्भित किया गया है और सलाहकार बोर्ड के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया है।
हलफनामे के अनुसार, सलाहकार बोर्ड ने बंदी को लिखित में सूचित किया है कि यदि वह चाहे तो सूचना की तिथि (10 अक्टूबर, 2025) से एक सप्ताह के भीतर अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकता है। जोधपुर केंद्रीय कारागार के अधीक्षक ने अपने हलफनामे में बताया कि वांगचुक को एकांत में नहीं रखा गया है। उन्हें एक बंदी को मिलने वाले सभी अधिकार प्राप्त हैं। उन्हें स्थानीय पुलिसकर्मी की उपस्थिति में आगंतुकों से मिलने दिया जा रहा है और वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
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