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तो ये है आतंकियों का अगला टारगेट! द्रास-कारगिल के रास्ते आतंक का नया चैनल खोलने की साजिश; 150 से अधिक घुसपैठ की सूचना

कश्मीर में एक बार फिर आतंकियों ने हमला कर दहशत फैला दी है। इस बार निशाना बनाया गया है गुलमर्ग को। यह हमला सोनमर्ग हमले के कुछ ही दिनों बाद हुआ है। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार इन हमलों का तरीका जम्मू संभाग में लगातार हुए हमलों से मेल खाता है। आतंकी अब हमला कर भागने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Fri, 25 Oct 2024 11:59 AM (IST)
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सोनमर्ग के बाद गुलमर्ग हमले ने बढ़ाई चिंता।
नवीन नवाज, श्रीनगर। सोनमर्ग (गांदरबल) के बाद अब गुलमर्ग हमले ने कश्मीर में नए खतरे की घंटी बजा दी है। स्पष्ट है कि आतंकी कश्मीर के उन क्षेत्रों को निशाना बनाने की साजिश रच रहे हैं, जो आतंकी हिंसा से अब तक मुक्त माने जाते रहे हैं।

यही नहीं अब लद्दाख के द्रास व कारगिल के रास्ते घुसपैठ का चैनल खोलने की साजिश रची जा रही है। इससे पूर्व आतंकी जम्मू संभाग के शांत क्षेत्रों को लगातार निशाना बना रहे थे।

क्या है आतंकियों की नई साजिश?

खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार इन हमलों का तरीका जम्मू संभाग में लगातार हुए हमलों से मेल खाता है। गांदरबल के गगनगीर में आतंकियों ने निर्माण एजेंसी के शिविर में घुसकर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। इन क्षेत्रों में सुरक्षाबल की तैनाती कश्मीर के अन्य हिस्सों से कम है।

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इसलिए स्पष्ट है कि आतंकी अब हमला कर भागने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। जेड मोड़ परियोजना को निशाना बनाने का अर्थ यह है कि आतंकी विकास परियोजनाओं को निशाना बना सकते हैं। कारगिल युद्ध के बाद से द्रास और कारगिल के रास्ते आतंकी घुसपैठ लगभग बंद हो चुकी थी और गांदरबल के कंगन से आगे के क्षेत्र सुरक्षाबल की नजर में पूरे शांत हो चुके थे।

गुरेज सेक्टर में मिली थी घुसपैठ की सूचना

हाल ही में द्रास से सटे कश्मीर के गुरेज सेक्टर से घुसपैठ की काफी सूचनाएं मिली। यहां से घुसपैठ करने वाले आतंकी ही गांदरबल-सोनमर्ग क्षेत्र का इस्तेमाल करते रहे हैं। वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि ऐसी खबरें भी हैं कि ईरान में शिक्षा और अन्य गतिविधियों के लिए गए कारगिल के कई शिया युवक जिहादी संगठनों के संपर्क में हैं।

यह इजरायल और अमेरिका को दुश्मन मानते हैं। इन्होंने भी कभी कश्मीर मसले पर भारत के पक्ष का समर्थन नहीं किया। वहीं, सुन्नी आतंकी संगठन पहले से ही जम्मू-कश्मीर में सक्रिय हैं। ऐसे में आशंका है कि करगिल व द्रास में भी कश्मीरी आतंकियों के मददगार और सुरक्षित ठिकाने हो सकते हैं।

एक वर्ष में 150 आतंकी गुरेज के रास्ते घुसे

एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के अनुसार, एक वर्ष में लगभग 80 से 150 आतंकी गुरेज सेक्टर से घुसपैठ कर कश्मीर में घुसे हैं। इसके अलावा उत्तरी कश्मीर और दक्षिण कश्मीर में बीते एक वर्ष के दौरान लगभग 40 आतंकी मारे गए हैं। कुछ और आतंकी पहले से भी कश्मीर में मौजूद हैं।

यह आतंकी गुरिल्ला युद्ध में दक्ष होने के साथ अमेरिकी और नाटो सेनाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों से लैस हैं। ऐसे में कारगिल में जिहादी मानसिकता का प्रचार-प्रसार नई चुनौती बढ़ा सकता है। गुलाम जम्मू-कश्मीर में गिलगित-बाल्टिस्तान में कट्टरपंथियों की गतिविधियां बढ़ने के साथ आतंकी शिविर भी स्थापित किए जाने की सूचना है।

एलओसी के पास पूरे क्षेत्र में घने जंगल व ऊंचे पहाड़

गुरेज, द्रास, कारगिल पूरे क्षेत्र में घने जंगल और ऊंचे पहाड़ है। नियंत्रण रेखा से यहीं से होते हुए सोनमर्ग-गांदरबल के साथ बांडीपोरा, गांदरबल-श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर के रास्ते भी निकलते हैं।

इन इलाकों में कई प्राकृतिक गुफाएं भी हैं, जो आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाने का काम करती हैं। यह इलाका अब आतंकरोधी ग्रिड से लगभग बाहर रहा है और आतंकी इसका लाभ उठाते दिख रहे हैं।

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