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जम्मू कश्मीर में आतंकियों के पास अमेरिकी हथियार और गुरिल्ला युद्ध का अनुभव, सुरक्षाबलों के लिए बना नई चुनौती

जम्मू कश्मीर में मुठभेड़ में मारे गए नए आतंकियों के अधिकांश हथियार अमेरिकी और नाटो सेनाओं द्वारा इस्तेमाल किए गए हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार जम्मू कश्मीर में लगभग 180 आतंकी सक्रिय हैं और इनमें से अधिकांश विदेशी हैं। इन आतंकियों के पास अमेरिकी हथियारों की मौजूदगी और अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ाई (गुरिल्ला युद्ध) का उनका अनुभव सुरक्षाबलों के लिए एक नई चुनौती बन चुका है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 15 Aug 2024 05:30 AM (IST)
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जम्मू कश्मीर में आतंकियों के पास अमेरिकी हथियार और गुरिल्ला युद्ध का अनुभव

 राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। अफगानिस्तान से मई 2021 को अमेरिकी सेना की वापसी से जम्मू-कश्मीर में आतंकी हिंसा बढ़ने की जताई गई आशंका सही साबित हो रही है। अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की ओर से छोड़े गए हथियार ही नहीं बल्कि तालिबान के साथ मिलकर नाटो सेनाओं के खिलाफ लड़ने वाले जिहादी भी जम्मू-कश्मीर में दाखिल हो रहे हैं।

बीते तीन वर्ष के दौरान विभिन्न आतंकी हमलों व मुठभेड़ में लगभग 55 सैन्यकर्मियों का बलिदान और इस दौरान मारे गए आतंकियों के पास से मिले हथियार व अन्य साजो सामान भी इसकी पुष्टि करते हैं। नए आतंकियों के अधिकांश हथियार अमेरिकी और नाटो सेनाओं द्वारा इस्तेमाल किए गए हैं।

जम्मू कश्मीर में लगभग 180 आतंकी सक्रिय

ताजा आंकड़ों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में लगभग 180 आतंकी सक्रिय हैं और इनमें से अधिकांश विदेशी हैं। इन आतंकियों के पास अमेरिकी हथियारों की मौजूदगी और अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ाई (गुरिल्ला युद्ध) का उनका अनुभव सुरक्षाबलों के लिए एक नई चुनौती बन चुका है।

आतंकियों के पास स्टेयर एयूजी राइफलें

एसएसपी रैंक के एक अधिकारी ने कहा कि वर्ष 2021 और उसके बाद से जो भी आतंकियों के वीडियो सामने आए हैं, उनमें अधिकांश में उन्हें एम249 आटोमैटिक राइफलें, 509 टैक्टिकल गन्स, एम1911 पिस्तौल और एम4 कार्बाइन राइफलों के साथ देखा जा सकता है। आतंकियों के पास स्टेयर एयूजी राइफलें भी हैं।

जम्मू-कश्मीर में स्टिकी बम और लिक्विड आइइडी भी बरामद हुई हैं। स्टिकी बम और लिक्विड आइइडी भी तालिबान ने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के खिलाफ इस्तेमाल की हैं। आतंकियों के पास से अल्ट्रा रेडिया सेट, इरीडियम सेटलाइट फोन, वाइ-फाई युक्त थर्मल इमेजिरी उपकरण भी मिले हैं।

आतंकी के पास भी एम4 कार्बाइन असाल्ट राइफल मिली

उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 से पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के पास मुख्यत: चीन निर्मित हथियार मिलते थे। अब उनके पास अमेरिकी और तुर्किये निर्मित हथियार मिल रहे हैं। डोडा में जारी मुठभेड़ में मारे गए आतंकी के पास भी एम4 कार्बाइन असाल्ट राइफल मिली है। डोडा, रियासी, राजौरी, पुंछ, कठुआ के बदनोता और अनंतनाग के कोकरनाग में भी आतंकियों ने एम4 कार्बाइन राइफल और एसाल्ट राइफल में सामान्य गोलियों के बजाय स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया है।

आतंकियों के अफगानिस्तान कनेक्शन की पुष्टि

जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिरीक्षक अशकूर वानी ने कहा कि सक्रिय आतंकियों में से अधिकांश विदेशी हैं। जिस तरह से उन्होंने बीते तीन वर्ष के दौरान यहां सुरक्षाबलों पर हमले किए हैं और जो हथियार इस्तेमाल हुए हैं, वह उनके अफगानिस्तान कनेक्शन की पुष्टि करते हैं। इसके अलावा पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट, कश्मीर टाइगर्स और गजनवी फोर्स, कश्मीर रिव्लयूशनरी आर्मी जैसे कुछ संगठनों का संबंध जैश और अल-बदर से है और इन संगठनों के पास भी अमेरिकी हथियार हैं।

सुरक्षाबलों के लिए नई चुनौती

पूर्व डीजीपी डा. शेष पाल वैद ने कहा कि अमेरिकी हथियार ज्यादा घातक हैं। जैश, अल-बदर और लश्कर के पास अमेरिकी फौज से लड़ने का पूरा अनुभव है। वह गुरिल्ला युद्ध में माहिर हैं। यह हमारे सुरक्षाबलों के लिए नई चुनौती है, लेकिन इससे जल्द ही हम निपट लेंगे।

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