Jammu Kashmir: श्रीनगर में करीब तीन दशक बाद खुले आनंदेश्वर भैरव मंदिर के कपाट, साल 1990 में इस कारण लग गया था ताला
Srinagar News आतंकवादी घटनाओं के समय जो मंदिर बंद कर दिए गए थे। उनके ताले फिर से एक के बाद एक खुलते जा रहे हैं। शनिवार को श्रीनगर के लालचौक से सटे मैसुमा में स्थित आनंदेश्वर भैरव मंदिर के कपाट तीन दशक से अधिक समय बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर खुलने के बाद यहां विशेष पूजा और हवन भी हुआ। अभी तक 50 से ज्यादा मंदिर खुले।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। आतंकवाद के चरम दौर में घाटी में जो मंदिर बंद हो चुके थे। उनके ताले फिर से खुलने का क्रम जारी है। शनिवार को श्रीनगर के लालचौक से सटे मैसुमा में स्थित आनंदेश्वर भैरव मंदिर के कपाट तीन दशक से अधिक समय बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर खुलने के बाद यहां विशेष पूजा और हवन किया गया।
आतंकवाद के कारण वर्ष 1990 में श्रद्धालुओं के लिए कर दिया था बंद
मंदिर में हवन भी हुआ। सैकड़ों स्थानीय श्रद्धालु और घाटी घूमने आए पर्यटक भी शामिल रहे। सबने प्रदेश की शांति व उन्नति के लिए प्रार्थणा की। इस मंदिर को घाटी में आतंकवाद के कारण वर्ष 1990 में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया था। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से धीरी-धीरे बंद पड़े मंदिर खोले जाने लगे हैं।
शनिवार को आनंदेश्वर भैरव मंदिर को भी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। शहर के बीचोबीच स्थित होने के चलते 1990 से पूर्व बाकी मंदिरों की तरह इस मंदिर में भी चहलपहल रहती थी। मैसुमा से क्षेत्र बसंतबाग, गंपतयार, हब्बाकदल तथा जेनदार मोहल्ला में स्थानीय हिंदू इसी मंदिर में पूजापाठ के लिए आते थे।
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लगातार 33 सालों तक मंदिरों में पसरा रहा सन्नाटा
वर्ष 1990 में आतंकवाद के बीच स्थानीय हिंदुओं का घाटी से पलायन के साथ ही यहां अधिकांश मंदिरों पर ताले लटक गए। लगातार 33 वर्ष तक मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा। स्थापना दिवस के दिन मंदिर खोला गया। आनंदेश्वर भैरव ट्रस्ट के एक अधिकारी हीरालाल कौल ने कहा कि इस मंदिर का शनिवार को स्थापन दिवस था।इसी शुभ दिन पर मंदिर के कपाट फिर से खोल दिए। इसलिए बहुत खुशी हो रही है। मंदिर श्रद्धालुओं से फिर आबाद हो गया। विशेष पूजापाठ और हवन किया गया। मंदिर सही हालत में है, लेकिन इतने लंबे समय तक बंद रहने के चलते इसकी दीवारों में सीलन हो गई है।
वर्ष 2014 की विनाशकारी बाढ़ के चलते भी मंदिर में पानी भरने से इसकी दीवारों पर चढ़ा रंग-रोगन खराब हो गया है। बीच-बीच में स्थानीय हिंदू मंदिर में जाकर इसकी साफ-सफाई किया करते थे। लेकिन अब औपचारिक तौर पर श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए हैं। मंदिर में जरूरी मरम्मत का काम भी शीघ्र शुरू किया जाएगा। दिल्ली से आए राजकुमार ने कहा कि मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि कई वर्षों बाद खुले मंदिर में वह भी मौजूद था।
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