तीन दिवसीय क्राफ्ट काउंसिल शुरू, कश्मीरी कारीगरी के मुरीद हुए विदेशी प्रतिनिधिमंडल, दस्तकारों में जगी नई उम्मीद
श्रीनगर में तीन दिवसीय क्राफ्ट काउंसिल का आयोजन किया गया है जिसमें ईरान कुवैत इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया फ्रांस उज्बेकिस्तान मलेशिया आयरलैंड और साउथ अफ्रीका के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस काउंसिल का उद्देश्य स्थानीय दस्तकारों को नवीनतम तकनीकों से अवगत कराना और उन्हें विदेशी दस्तकारों से रूबरू कराना है। काउंसिल के दूसरे दिन कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन कॉम्प्लेक्स (केआईसीसी) श्रीनगर में एक पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। घाटी न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। बल्कि यहां की हस्तकलाएं व हस्तशिल्प भी पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखते हैं। आधुनिकता व मशीनों के इस दौर में बेशक घाटी के लोग भी नवीनतम तकनीकों को आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन इस बीच हजारों कारीगर शॉल, कालीन, पेपरमाशी, वुड काविंग, नमदासाजी, मीनाकारी आदि जैसी हस्तकलाओं में अपने हाथों का कमाल दिखा इनमें रंग भर दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।
इन दस्तकारों का मनोबल बढ़ाने, इन्हें नवीनतम तकनीकों से अवगत कराने तथा विदेशी दस्तकारों से उन्हें रूबरू कराने के लिए हस्तकला विभाग द्वारा सोमवार से श्रीनगर में एक तीन दिवसीय क्राफ्ट काउंसिल का आयोजन किया गया। इस काउंसिल में ईरान, कुवैत, इंगलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, उज्बेकिस्तान, मलेशिया, आयरलैंड तथा साउथ अफ्रीका शामिल है। उसका एक प्रतिनिधिमंडल घाटी पहुंचा और स्थानीय दस्तकारों से बातचीत की।
प्रतिनिधमंडल ने किया शहर ए खास का दौरा
विदेशी प्रतिनिधमंडल सोमवार तड़के श्रीनगर पहुंचा। श्रीनगर हवाई अड्डे पर हतस्कला विभाग के निदेशक महमूद अहमद शाह व अन्य संबंधित अधिकारियों ने हवाई अड्डे पर उनका शानदार स्वागत किया।श्रीनगर पहुंचने के बाद प्रतिनिधिमंडल ने शहर ए-खास (डाउनटाउन) का दौरा किया और वहां स्थानीय दस्तकारों से भेंट की और उनकी कलाओं के बारे में उनसे जानकार प्राप्त की। स्टी टूर के ग्रुप लीडर जाकिर हुसैन ने प्रतिनिधिमंडलों ने शहर के सफाकद, कावडारा, गौजवारा, रजौरीकदल, साजगरीपोरा, सईदाकदल, जड्डीबल, अमगरीबाजार, छिरगरी मोहल्ला तथा बहूरीकदल इलाकों का दौरा किया।
वहां शालबाफी, नमदासजी, पेपरमाशी, वुडकारविंग से जुड़े दस्तकारों से बातचीत की। हुसैन ने कहा कि दौरे के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने शहर की ऐतिहासिक पत्थर मस्जिद, बड़शाह टॉम्ब व गाड़ कोचा बाजार का भी दौरा किया।
दस्तकारों में उत्साह, कहा- दस्तकारी को मिलेगा बढ़ावा
विदेशी कारीगरों के प्रतिनिधियों के घाटी दौरे को लेकर स्थानीय कारीगर उत्साहित हैं। उनका कहना है कि इससे स्थानीय दस्तकारों को लाभ मिलेगा। पेपरमाशी के प्रसिद्ध दस्तकार मोहममद मकबूल ने कहा कि यह एक अच्छा कदम है। इससे हम कारीगरों को काफी फायदा मिलेगा।
एक तो इससे हम विदेशी दस्तकारों के साथ अपनी कलाओं का आदान प्रधान भी करेंगे और दूसरा इससे दस्तकारी में अपनी भविष्य बनाने के इच्छुक हमारे युवाओं को हौसला भी मिलेगा। पश्मीना शॉल की कढ़ाई में माहिर पद्म श्री तथा शिल्पगुरु से सम्मानित कुलगाम रसूल खान ने भी इसका स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के कदम से हमारी हस्तलाओं के ढांचे को मजबूती मिलेगी।उन्होंने कहा कि तीन दशकों के दौरान यहां रहने वाले हालातों के साथ-साथ बीती सरकारों की उदासीनता ने हस्तकालों के ढांचे को कमजोर कर दिया था और हमारे हजारों स्थानीय कारीगरों का इसका खामयाजा उठाना पड़ा। इस ढांचे को पूरी तरह से पटरी पर लाने के लिए अभी बहुत ज्यादा मेहनत की दरकार है, लेकिन बीते चंद वर्षों से जिस तरह स्थानीय प्रशासन व केंद्र सरकार इस क्षेत्र के चरमराए ढांचे को मजबूत बनाने के लिए प्रयास कर रही हैं, वह काफी सराहनीय है।
इधर शहर-ए-खास का दौरा करने के बाद हस्तकला विभाग ने श्रीनगर के टीआरसी में सिथत एमपोरियम में बोन पन विषय से एक प्रदशनि का आयोजन किया जिसमें चित्रों के माध्यम से विदेशी प्रतिनिधि मंडल ने स्थानीय हस्तलाओं संबंधित जानकारी बटोरी।
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