कश्मीर में बदलाव की कहानी बयां कर रहीं तिरंगा रैलियां, गलियों-बाजारों में देशभक्ति के नारों की गूंज
Jammu Kashmir आतंक के गढ़ रहे अनंतनाग के गांव सादीवारा में स्कूली छात्रों ने 400 फीट लंबा तिरंगा लेकर रैली निकाली। इसमें ग्रामीणों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस रैली के आयोजन में प्रमुख निभाने वाले गांव के सरपंच फारूक अहमद गनई ने कहा कि यह रैली किसी एक का विचार नहीं बल्कि पूरे गांव की सोच को प्रदर्शित करता है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर: कश्मीर में क्या बदला है, यह देखना है तो वहां की गलियों और सड़कों पर घूमकर आइए। नियंत्रण रेखा से सटे सीमांत गांवों से लेकर आतंक के गढ़ रहे दक्षिण कश्मीर में तिरंगा रैलियों की धूम है। हर तरफ गूंजते देशभक्ति के गीतों के तराने साफ संदेश देते हैं कि आम कश्मीरी आतंक और अलगाव की पीड़ा से आजादी पाकर देश के स्वतंत्रता दिवस के उत्सव में खो जाने को बेताब हैं।
इन रैलियों में युवाओं और आम शहरियों की भागेदारी साफ संकेत दे रही है कि यहां सब बदल चुका है। इसके साथ ही देश के लिए बलिदान देने वाले जवानों की याद में कैंडल मार्च निकाले जा रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने 'मेरी माटी मेरा देश' अभियान के तहत सभी शहरों में तिरंगा रैलियां निकालने का आह्वान किया था। इसका खासा असर भी दिखा। कश्मीर में बीते तीन दिनों से जगह-जगह तिरंगा रैलियां निकल रही हैं। हिंदोस्तान जिंदाबाद, बलिदानियों को सलाम, यह मुल्क हमारा है-इसकी हिफाजत हम करेंगे जैसे नारे लगाते छात्रों व युवाओं की टोलियां नजर आ रही हैं।
कभी आतंकियों और अलगाववादियों का केंद्र रहे श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा रहा है। प्रदेश प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि लोगों को ऐसी रैलियों में भागेदारी के लिए प्रेरित किया गया था और इसका असर दिख रहा है।
अनंतनाग में 400 फीट लंबा तिरंगा लेकर निकले स्कूली छात्र
आतंक के गढ़ रहे अनंतनाग के गांव सादीवारा में स्कूली छात्रों ने 400 फीट लंबा तिरंगा लेकर रैली निकाली। इसमें ग्रामीणों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस रैली के आयोजन में प्रमुख निभाने वाले गांव के सरपंच फारूक अहमद गनई ने कहा कि यह रैली किसी एक का विचार नहीं बल्कि पूरे गांव की सोच को प्रदर्शित करता है।
यह रैली उन जवानों के बलिदान को समर्पित है, जिनकी वजह से हम आजाद हवा में सांस ले पा रहे हैं। तिरंगा रैली से हम जवानों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं और उनकी याद में दीये भी जलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां बुजुर्ग हों या जवान, भारत सबके दिलों में बसता है।
अलगाववादी समर्थकों को असलियत का पता चला
कश्मीर में बदलाव का जिक्र करते हुए समाज सेवी व राजनीतिक कार्यकर्ता सलीम रेशी ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि जो लोग पाकिस्तान को अपना हमदर्द समझते थे, जो यहां आतंकवाद और अलगाववाद को सही ठहराते थे, उन्हें अब अक्ल आ गई है।
उन्हें भी असलियत का पता चल गया है। वहीं, कश्मीर मामलों के जानकार रमीज मखदूमी ने कहा कि श्रीनगर में ही नहीं, अवंतीपोरा, अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां, बारामुला, बांडीपोरा, सोपोर, मागाम, नारबल, हंदवाड़ा समेत आप किसी भी शहर या कस्बे का नाम लें, हर जगह तिरंगा रैली हो रही हैं। लोलाब, बंगुस समेत वादी के दूरदराज के इलाकों में भी तिरंगा रैलियों की धूम है।
राष्ट्रध्वज तैयार करने में जुटे महिला स्वयं समूह
कश्मीर में तिरंगे की मची धूम के बीच कई महिला स्वयं सहायता समूहों और कई दर्जियों का काम भी बढ़ गया है। बांडीपोर, कुपवाड़ा, बड़गाम और श्रीनगर में लगभग एक दर्जन महिला स्वयं समूह राष्ट्रध्वज तैयार कर रहे हैं। वितस्ता समूह से संबंधित कुलसूमा ने कहा कि हमने बीते एक सप्ताह के दौरान सात हजार तिरंगे तैयार किए हैं। लालचौक में खेल सामग्री बेचने वाले दुकानदार ने कहा कि मैंने छोटे राष्ट्रध्वज रखे हैं और अब तक करीब 1200 लोग मुझसे ले चुके हैं।
हमें उम्मीद नहीं थी इतने लोग हिस्सा लेंगे: डीजीपी
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि कश्मीर की आबोहवा बदल चुकी है। हमें खुद उम्मीद नहीं थी कि लोग इस तरह से तिरंगा रैलियों में हिस्सा लेंगे। यहां छात्र व अन्य लोग विभिन्न जिलों, शहरों व कस्बों में पुलिस द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में स्वेच्छा से हाथ में तिरंगा लिए आ रहे हैं। कुछ जगहों पर तिरंगे कम पड़ गए और हमें मौके पर ही और तिरंगों का इंतजाम करना पड़ा।