Jammu Kashmir News जम्मू संभाग में हो रहे आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तान का हाथ खुलकर सामने आ रहा है। आतंकी हमलों के लिए पाकिस्तानी सेना एसएसजी कमांडो को जम्मू-कश्मीर भेज रही है। राजौरी-पुंछ में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। आतंकी अचानक हमला करते हैं और जंगल में गायब हो जाते हैं और इनमें से अधिकांश पाकिस्तानी ही हैं। आतंकियों में कुछ पाकिस्तानी सेना के सेवानिवृत्त कर्मी भी शामिल हैं।
नवीन नवाज, श्रीनगर। बचे खुचे जिहादी कैडर को बचाने और आतंक के खेल को जारी रखने के लिए पाकिस्तानी सेना अब अपने स्पेशल स्ट्राइक ग्रुप के कमांडो जम्मू कश्मीर में भेज रही है।
जिस तरह से राजौरी-पुंछ, डोडा और कठुआ में सैन्य दलों पर हमले हुए हैं या फिर पिछले सप्ताह कुपवाड़ा के मच्छल सेक्टर में एलओसी पर हमला हुआ है, उससे हमलावरों के सामान्य आतंकियों के होने के बजाय गुरिल्ला युद्ध में पूरी तरह प्रशिक्षित कमांडो होने का ही संकेत मिलता है।
लगता है कि पाकिस्तान अब कश्मीर में जिब्राल्टर-2 पर काम कर रहा है। जम्मू कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक डॉ एसपी वैद भी कहते हैं कि जिस तरह से सैन्य दलों पर आतंकी हमले हुए हैं, वह यही साबित करते हैं कि हमलावर पाकिस्तानी एसएसजी के कमांडो हो सकते हैं।
रक्षा मामलों के जानकार डॉ. अजय च्रंगू के अनुसार अगर एसएसजी कमांडो घुसपैठ करने में कामयाब रहे हैं तो यही कहा जाएगा कि पाकिस्तान अब एक बार फिर ऑप्रेशन जिब्राल्टर दोहराने जा रहा है, लेकिन वह पहले की तरह ही इस बार भी मुंह की खाएगा।
अचानक बढ़ गए आतंकी हमले
जम्मू-कश्मीर में विशेषकर राजौरी, पुंछ, रियासी, कठुआ और डोडा में बीते कुछ वर्षों के दौरान आतंकी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी आयी है। बीते चार पांच माह से इन इलाकों में आतंकी हमले अचानक बढ़ गए हैं। डोडा व कठुआ में ही मौजूदा माह में नौ सुरक्षाकर्मी बलिदानी हुए हैं। कई मामलों में बलिदानियों के शवों के साथ आतंकियों द्वारा बर्बरता भी की गई।
मजद अयूब मिर्जा का सनसनीखेज दावा
राजौरी-पुंछ में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। आतंकी अचानक हमला करते हैं और जंगल में गायब हो जाते हैं और इनमें से अधिकांश पाकिस्तानी ही हैं। पहले कहा जा रहा था कि आतंकियों में कुछ पाकिस्तानी सेना के सेवानिवृत्त कर्मी भी शामिल हैं।
गुलाम जम्मू-कश्मीर के निवासी अमजद अयूब मिर्जा ने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों पर एक सनसनीखेज दावा किया है। उनके मुताबिक पाकिस्तान के एसएसजी के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल आदिल रहमानी जम्मू कश्मीर में एक बडे़ हमले की योजना बना रहे हैं।जनरल रहमानी गुलाम जम्मू कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में लगातार दौरा कर रहे हैं।
एसएसजी घुसपैठ के लिए तैयार
मिर्जा के अनुसार, लगभग 600 एसएसजी कमांडो कुपवाड़ा क्षेत्र और जम्मू-कश्मीर के अन्य हिस्सों में घुसपैठ कर चुके हैं और लेफ्टिनेंट कर्नल सलीम जंजुआ भी इस समय जम्मू कश्मीर में किसी इलाके में है। मुजफ्फराबाद में एसएसजी की दो और बटालियनें किसी भी समय जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के लिए तैयार हैं।
अमजद अयूब मिर्जा के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने में कामयाब रहे एसएसजी कमांडो ने इस समय पीर पंजाल की पहाड़ियों के आस पासही मुख्य तौर पर सक्रिय हैं। उन्हें जिहादी तत्वों और पाकिस्तानी एजेंटों का जम्मू कश्मीर में पहले मौजूद नेटवर्क रह प्रकार से मदद कर रहा है। पाकिस्तानी सेना का मकसद भारतीय सेना की 15 और 16 कोर को जम्मू-कश्मीर के भीतरी इलाकों में उलझाए रखना है।
पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की जरूरत
जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. एसपी वैद ने कहा कि पाकिस्तानी सेना का जनरल आदिल रहमानी इस समय जम्मू कश्मीर में एसएसजी ऑप्रेशन चला रहा है। बड़ी संख्या में एसएसजी के कमांडो जम्मू कश्मीर में दाखिल हो चुके हैं, अगर यह सही है तो यह एक तरह युद्ध का एलान है। पाकिस्तान के इस छद्म युद्ध का मुंहतोड जवाब देने की जरूरत है।
कश्मीर में आतंकरोधी अभियान में शामिल सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, राजौरी-पुंछ-रियासी-डोडा-कठुआ के जिन इलाकों में हमले हुए हैं, वह सभी पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला का हिस्सा हैं और यह इलाका रणनीतिक रूप से भी बहुत अहम है।इस क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों में बढ़ोतरी का मतलब सेना की 15वीं और 16 कोर का इस क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान होना है और जिसका सीधा असर राजौरी, पुंछ व उत्तरी कश्मर में एलओसी पर सेना की ऑप्रेशनल क्षमता पर होगा।
स्पेशल हथियार कर रहे इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि इस इलाके में जो भी आतंकी सक्रिय हैं, वह स्थानीय नेटवर्क से सीमित संपर्क रखे हुए हैं। वह आबादी वाले इलाकों में बहुत कम जाते हैं। उन्होंने जिस तरह के हथियार इस्तेमाल किए हैं या फिर जिस तरह से उन्होंने सैन्य दलों पर घात लगाई है, उससे पता चलता है कि वह किसी सामान्य आतंकी ट्रेनिंग कैंप से नहीं आए हैं।रक्षा मामलों के जानकार डॉ. अजय च्रंगू ने कहा कि अगर यह सही है कि पाकिस्तानी सेना के एसएसजी कमांडो जम्मू-कश्मीर में दाखिल होने में कामयाब रहे हैं तो यह बहुत गंभीर विषय है। मैं इसे पाकिस्तान का ऑप्रेशन जिब्राल्टर-2 कहूंगा, क्योंकि 1965 में भी पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जे के लिए आप्रेशन जिब्राल्टर चलाया था।
एक बार फिर शुरू किया ऑप्रेशन
इस ऑप्रेशन के तहत पाकिस्तानी सेना के जवान और अधिकारी घुसपैठियों के भेष में भारतीय इलाके में दाखिल हुए थे। उन्होंने कई बारामुला, कुपवाड़ा, राजौरी, पुंछ में कई चोटियों पर कब्जा कर अपने ठिकाने बनाए थे। उस समय पाकिस्तान सोचता था कि इस तरह से वह स्थानीय लोगों को सशस्त्र विद्रोह के लिए तैयार कर कश्मीर पर कब्जा कर लेगा।इसके बाद जो हुआ, वह एक इतिहास है। मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तानी मौजूदा दौर में ऐसा हिमाकत करेगा और अगर करेगा तो वह मुंह की खाएगा। कश्मीर मामलों के जानकार संत कुमार शर्मा ने कहा कि 1965 और 1999 में पाकिस्तान ने पहले घुसपैठिए ही भेजे थे। खैर, उस समय और आज के दौर में बहुत अंतर है।
मुझे नही लगता कि पाकिस्तान 600 एसएसजी कमांडो यहां एक साथ भेजेगा। हां, यह जरूर कह सकते हैं कि पाकिस्तान में इस समय आंतरिक असंतोष अपने चरम पर है, बलोचीस्तान में स्थिति बेकाबू हो रही है और वह लोगों का ध्यान बंटाने के लिए कश्मीर में कोई दुस्साहस कर सकता है।
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