आतंकी हमलों में तेजी जम्मू- कश्मीर को अस्थिर करने का षड्यंत्र, ISI को रास नहीं आ रहा घाटी में शांति
जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमलों ने घाटी में शांति और विकास के माहौल को बिगाड़ने की एक बड़ी साजिश है। आतंकी संगठन पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के साथ मिलकर घाटी में अस्थिरता पैदा करने और निवेश एवं पर्यटन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इस साजिश को विफल करने के लिए सुरक्षा एजेंसियां और सुरक्षाबल चौकस हैं।
नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आ रहा निवेश, रिकॉर्ड पर्यटकों की आमद, चुनावों में आम लोगों की भागीदारी, कश्मीर मैराथन व फार्मूला कार रेस जैसे आयोजन, शांति और विकास...सीमा पार आतंक के गढ़ पाकिस्तान, उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआई और जम्मू-कश्मीर में सक्रिय कुछ तत्वों को रास नहीं आ रहे हैं।
यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर को अस्थिर करने के लिए विशेषकर घाटी में बीते एक पखवाड़े के दौरान आतंकी हमलों में तेजी लाकर एक बड़ा षड्यंत्र रचा गया है। अन्य राज्यों के श्रमिकों को निशाना बनाने के पीछे भी इसी साजिश को देखा जा रहा है।
पूरे देश में दुष्प्रचार करना चाहते हैं आतंकी
विशेषकर निर्माण परियोजनाओं में लगे श्रमिकों पर हमले कर आतंकी पूरे देश में दुष्प्रचार करना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में हालात ठीक नहीं हैं। आतंकी संगठन ऐसे हमले कर युवाओं को भर्ती के लिए उकसा रहे हैं।इस षड्यंत्र को विफल बनाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों व सुरक्षाबलों ने कार्ययोजना पर इसी के अनुरूप काम शुरू कर दिया है। प्रदेश प्रशासन और केंद्र सरकार ने भी सुरक्षाबलों को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की पूरी स्वतंत्रता दी है।
18 अक्टूबर से 2 नवंबर तक सात हमले
जम्मू-कश्मीर में 18 अक्टूबर से दो नंवबर तक घाटी में आतंकियों के सात हमलों में दो सैन्यकुली, तीन सैन्यकर्मी बलिदानी हो चुके हैं। एक अन्य हमले में एक डॉक्टर समेत सात लोगों की मौत हो गई थी।तीन अप्रवासी श्रमिक भी आतंकियों की गोलियों से जख्मी होकर अस्पताल में उपचार करा रहे हैं। गुलमर्ग व बांडीपोरा में भी सेना पर हमला हुआ है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।आतंकी हमले ISI की हताशा
इस बीच, आतंकियों के आठ मददगार पकड़े जा चुके हैं और दक्षिण कश्मीर में सिलसिलेवार ग्रेनेड हमले का एक षड्यंत्र भी विफल किया गया है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह हमले आइएसआई की हताशा है। आतंकियों ने अप्रवासी श्रमिकों और निर्माण योजनाओं से जुड़े लोगों पर जो हमले किए हैं, वह उनके लिए आसान टारगेट थे। उन्होंने यह हमले कश्मीर में निर्माण योजनाओं को प्रभावित करने के लिए ही नहीं किए हैं बल्कि वह आम लोगों के दिमाग में धारणा पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अन्य राज्य के लोगों को कश्मीर में बसने से रोकने और कश्मीरियों के आर्थिक व सामाजिक हितों के संरक्षण के लिए ऐसा कर रहे हैं।उन्हें पता है कि जब वह अप्रवासी श्रमिकों पर हमला करेंगे तो देश के अन्य भागों तक उनके एजेंडे को प्रचार मिलेगा कि कश्मीर में हालात ठीक नहीं हैं। इससे कश्मीर में निवेश भी रुकेगा और पर्यटन को भी नुकसान पहुंचेगा।प्रदेश और केंद्र के बीच टकराव पैदा करने की भी है साजिश
कश्मीर मामलों के जानकार अजय बाचलू ने कहा कि हमलों में तेजी के पीछे एक कारण यह भी है कि आतंकी यहां निर्वाचित सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव पैदा कर अस्थिरता फैलाना चाहते हैं।आतंकियों के हैंडलर जानते हैं कि यहां कानून व्यवस्था केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है। अगर वह कहीं हमला करेंगे तो प्रदेश सरकार केंद्र को जिम्मेदार ठहराएगी और विभिन्न राजनीतिक दल प्रदेश सरकार पर आरोप लगाएंगे।अगले तीन माह आतंक के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक होंगे
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हालात को भांपते हुए सभी सुरक्षा एजेंसियों को अपने कार्याधिकार क्षेत्र में स्थिति का आकलन करते हुए आतंकियों, अलगाववादियों और उनके तंत्र के समूल नाश के लिए पूर्व सक्रियता के साथ कार्रवाई करने को कहा है।जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आतंकियों के खात्मे के लिए सभी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने आपस में समन्वय के आधार पर एक प्रभावी कार्ययोजना तैयार की है। इस योजना के तहत विभिन्न क्षेत्रों में आतंकियों व उनके समर्थकों के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं। आतंकियों के नए और पुराने ओवरग्राउंड वर्करों को भी चिह्नित किया जा रहा है। सभी संवेदनशील इलाकों में अस्थायी चौकियां, नाके स्थापित करने के अलावा गश्त बढ़ाई गई है। अगले तीन माह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक होने जा रहे हैं।यह भी पढ़ें- तीन साल से कश्मीर में आतंक मचा रहा पाक आतंकी अबु उस्मान ढेर, लश्कर के कमांडर सज्जाद गुल का था राइट हैंड16 दिन में हमले व मुठभेड़
- 18 अक्टूबर: शोपियां में आतंकियों ने एक श्रमिक की हत्या की।
- 20 अक्टूबर: गांदरबल में निर्माण कंपनी के शिविर पर हमले में डाक्टर समेत सात लोगों की मौत, पांच घायल। मृतकों में कई गैर कश्मीरी भी थे।
- 24 अक्टूबर: पुलवामा में आतंकी हमले में श्रमिक घायल।
- 24 अक्टूबर: गुलमर्ग में एलओसी के निकट आतंकी हमले में तीन जवान बलिदान, दो पोर्टर की भी मौत।
- 28 अक्टूबर: जम्मू के अखनूर में आतंकियों ने की गोलीबारी। मुठभेड़ में तीन आतंकी ढेर, भारी मात्रा में हथियार बरामद।
- 1 नवंबर: बड़गाम में आतंकियों ने उत्तर प्रदेश के दो श्रमिकों को गोली मार घायल किया। बांडीपोरा में सैन्य शिविर पर हमला, नुकसान नहीं।
- 2 नवंबर: अब श्रीनगर शहर में मुठभेड़ और अनंतनाग में मुठभेड़ हुई।