उमर अब्दुल्ला ने 10 साल बाद फिर संभाली जम्मू कश्मीर की कमान; दूसरी बार पारी खेलने को तैयार
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और गठबंधन की सरकार बन गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने दूसरी बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। इससे पहले साल 2009 में कांग्रेस-एनसी गठबंधन के दौरान भी उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। आइए जानते हैं उमर अब्दुल्ला की अब तक की राजनीतिक करियर के बारे में।
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और गठंबधन की सरकार बन गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने दूसरी बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है।
इससे पहले साल 2009 में कांग्रेस-एनसी गठबंधन के दौरान भी उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। आइए जानते हैं उमर अब्दुल्ला की अब तक की राजनीतिक करियर के बारे में।
राजनीति में आने से पहले नौकरी करते थे उमर अब्दुल्ला
केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश के पहले और जम्मू-कश्मीर के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में आज कायर्भार संभालने वाले उमर अब्दुल्ला नेशनल कान्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के पौत्र और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला के पुत्र हैं। 54 वर्षीय उमर अब्दुल्ला वर्ष 2008-2014 तक जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
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शेख मोहम्मद अब्दुल्ला वर्ष 1948 से 1953 तक जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री और उसके बाद 1975 से 1982 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। उमर अब्दुल्ला की शुरुआती पढ़ाई श्रीनगर के बर्नहाल स्कूल में और उसके बाद उन्होंने लॉरेंस स्कूल सनावर से 12वीं की परीक्षा पास की।
मुंबई स्थित कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स कॉलेज से स्नातक किया है। राजनीति में आने से पूर्व उन्होंने आईटीसी लिमिटेड और ओबराय ग्रुप में भी नौकरी की है। उमर अब्दुल्ला की शादी पायल नाथ से हुई है और उनके दो बेटे हैं। पायल और उमर अब्दुल्ला दोनों बीते 10 वर्ष से अलग-अलग रहे हैं और तलाक का मुकद्दमा अदालत में चल रहा है।
जब सबसे युवा सांसद बने थे उमर अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला ने वर्ष 1998 में 28 वर्ष आयु में पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और उस समय वह संसद में पहुंचने वाले सबसे युवा सांसद थे। वर्ष 1998-99 के दौरान वह केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय और परिवहन मंत्रालय की सलाहकार समितियों के सदस्य भी रहे। वर्ष 1999 में उन्होंने दूसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री बने।
जुलाई 2001 में वह केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री बने। उन्होंने जून 2002 में नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला और उसी वर्ष उन्होंने जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए गांदरबल से पहला चुनाव लड़ा। यह उमर अब्दुल्ला का जम्मू-कश्मीर में पहला विधानसभा चुनाव था, जिसमें वह हार गए।
उमर अब्दुल्ला ने मार्च 2006 में पाकिसतान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुर्शरफ से भी वन-टू-वन मुलाकात की थी। उन्होंने वर्ष 2005 में भी लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता था।
जब संसद में दिए भाषण से बटोरी थी सुर्खियां
7 जुलाई 2008 को संसद में दिए अपने भाषण से उमर अब्दुल्ला ने पूरे देश में खूब सुर्खियां बटोरी थी। उन्होंने कहा था कि मैं मुस्लिम हूं, लेकिन भारतीय हूं और मुझे इन दोनों में कोई अंतर नजर नहीं आता। मुझे समझ में नहीं आता कि मैं न्यूक्लियर समझौते से क्यों भयभीत रहूं। यह दो मुल्कों के बीच एक समझौता है और मुझे उम्मीद है कि भविष्य में दोनों बराबर होंगे। भारतीय मुस्लिमों के दुश्मन अमेरिका या इस तरह के एटमी समझौते नहीं हैं।
वर्ष 2008 में उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव पुन: लड़ा और जीता। इसी चुनाव के बाद वह पहली बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने श्रीनगर के सोनवार और बडगाम के बीरवाह में भाग्य आजमाया। इस चुनाव में वह सोनवार सीट हार गए जबकि बीरवाह सीट जीत गए। वर्ष 2014 में नेशनल कान्फ्रेंस को बहुमत नहीं मिला था और उस समय पीडीपी-भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई थी।