जम्मू-कश्मीर को अभी नहीं मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा! क्या उमर अब्दुल्ला की कोशिश हो जाएगी नाकाम?
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के प्रस्ताव पर सुरक्षा एजेंसियों ने चिंता जताई है। उनका मानना है कि इससे पुलिस-प्रशासन में राजनीतिक दखलअंदाजी बढ़ेगी और आतंकवाद विरोधी सुरक्षा व्यवस्था कमजोर पड़ सकती है। हालांकि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें कैबिनेट के फैसले से अवगत कराएंगे और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करेंगे।
नीलू रंजन, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में नवगठित उमर अब्दुल्ला सरकार की कैबिनेट ने भले ही पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए प्रस्ताव पारित किया हो और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी उसे विचार के लिए केंद्र के पास भेज दिया हो, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां फिलहाल इसके पक्ष में नहीं हैं।
एजेंसियों को आशंका है कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने से पुलिस-प्रशासन में राजनीतिक दखलअंदाजी बढ़ेगी और उससे एंटी टेरर सिक्यूरिटी ग्रिड कमजोर पड़ सकती है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जल्द ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करके, उन्हें कैबिनेट के फैसले से अवगत कराएंगे और पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करेंगे।
आतंकवाद के ईकोसिस्टम को खत्म करना अभी बाकी
जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि लंबे समय तक जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में नहीं रखा जा सकता। लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा देने से पहले यहां का सुरक्षा की स्थिति को भी ध्यान में रखना होगा। उन्होंने गंदरबल समेत अन्य आतंकी हमलों का हवाला देते हुए कहा कि आतंकवाद पर लगाम लगाने में सफलता जरूर मिली है, लेकिन उसके पूरे ईकोसिस्टम को खत्म करने का काम अभी बाकी है।यह भी पढ़ें- विधायकों के लिए इस मॉडल की स्कॉर्पियो खरीदेगी J&K सरकार, 90 गाड़ियों के लिए खर्च होंगे 15 करोड़इसके लिए राज्य और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के बीच मौजूदा तालमेल बनाए रखना जरूरी है। इसमें जरा भी कमजोरी आतंकवाद को फिर से पैर जमाने का मौका दे सकती है। केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुलिस और प्रशासन को नियंत्रित करने के अधिकांश अधिकार अब भी उपराज्यपाल के अधीन रहेंगे, जिससे उसके कामकाज में स्थानीय राजनीतिक हस्तक्षेप की गुंजाइश कम रहेगी।
जम्मू-कश्मीर में तैनात एक स्थानीय वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में उन्हें आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई के दौरान किसी तरह की राजनीतिक दखलअंदाजी का सामना नहीं करना पड़ा। पहले यह सामान्य बात थी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।