Article 370 हटने के बाद कश्मीर में चल रही बदलाव की हवा, श्रीनगर में 33 सालों से बंद आर्य समाज स्कूल फिर खुला
आर्य समाज ट्रस्ट ने स्कूल की इस इमारत को छुड़ाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और पिछले वर्ष स्कूल को कब्जे से छुड़ा लिया। अब यह स्कूल वापस आर्य समाज ट्रस्ट के पास है। कुछ दिन पहले इस मिडिल स्कूल को नए सिरे से शुरू करने की तैयारी शुरू की गई थी। स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या अभी 35 हैं और इनमें से अधिकतर बच्चे गरीब परिवारों से हैं।
By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Wed, 13 Sep 2023 06:30 AM (IST)
जागरण संवाददाता, श्रीनगर: अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में जहां दशकों तक बंद पड़े धार्मिक स्थल खोले जा रहे हैं, वहीं अतीत का हिस्सा बन चुके शैक्षणिक स्थान खोलने के प्रयास भी जारी हैं। श्रीनगर के डाउन टाउन के सराफ कदल क्षेत्र में स्थित आर्य समाज स्कूल 33 वर्षों तक लगातार बंद रहने के बाद सोमवार को खोल दिया गया।
यह स्कूल कश्मीर में आतंकी हिंसा का दौर शुरू होने के साथ ही वर्ष 1990 में बंद हो गया था। हालांकि हालात का फायदा उठाकर स्कूल की दो मंजिला इमारत को एक स्थानीय व्यक्ति ने अपने कब्जे में लेकर इसमें नक्शबंदी पब्लिक स्कूल के नाम से एक निजी स्कूल शुरू किया था।
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आर्य समाज ट्रस्ट ने स्कूल की इस इमारत को छुड़ाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और पिछले वर्ष स्कूल को कब्जे से छुड़ा लिया। अब यह स्कूल वापस आर्य समाज ट्रस्ट के पास है। कुछ दिन पहले इस मिडिल स्कूल को नए सिरे से शुरू करने की तैयारी शुरू की गई थी।
लखनऊ की रहने वालीं स्कूल की प्रिंसिपल ने अपना नाम न बताने पर कहा कि स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या अभी 35 हैं और इनमें से अधिकतर बच्चे गरीब परिवारों से हैं। ये सभी बच्चे यहीं आसपास के क्षेत्रों से हैं और इन्हें स्कूल भेजने के लिए हमें इनके घर जाकर इनके अभिभावकों से मिलना पड़ा।
प्रिंसिपल ने कहा, इन बच्चों से हम कोई फीस नहीं लेते। बच्चों की संख्या अभी कम है, लेकिन हमें उम्मीद है कि इनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ेगी। उन्होंने कहा, हम इन बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे और उन्हें खेलों व अन्य गतिविधियों में शामिल करने की भी कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने आर्य समाज ट्रस्ट के चेयरमैन अरुण चौधरी के आग्रह पर घाटी आकर इस स्कूल की भागदौड़ संभालने की जिम्मेदारी ली और मैं इस जिम्मेदारी को निभाने की कोशिश कर रही हूं। प्रिंसिपल ने कहा, यहां के बच्चे काफी गुणी है। बस इन्हें तराशने और संवारने की जरूरत है।
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