Zojila Tunnel पर काम जोरों पर, 40 फीसदी से ज्यादा ड्रिलिंग का काम पूरा; दिसंबर 2026 तक पूरा होगा प्रोजेक्ट
Zojila Tunnel कश्मीर घाटी और लद्दाख क्षेत्र के बीच हर मौसम में संपर्क कायम रखने वाली रणनीतिक जोजिला सुरंग का काम तेज गति से चल रहा है और 40 फीसदी से ज्यादा खुदाई हो चुकी है। दिसंबर 2026 तक इस परियोजना के पूरा होने की उम्मीद है।
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Sun, 09 Apr 2023 05:12 PM (IST)
जोजिला (जम्मू-कश्मीर), पीटीआई: कश्मीर घाटी और लद्दाख क्षेत्र के बीच हर मौसम में संपर्क कायम रखने वाली रणनीतिक जोजिला सुरंग का काम तेज गति से चल रहा है और 40 फीसदी से ज्यादा खुदाई हो चुकी है। कंपनी ने कहा कि उसे दिसंबर 2026 तक इस परियोजना के पूरा होने की उम्मीद है।
सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण राजमार्ग बंद रहता है
सुरंग परियोजना श्रीनगर-कारगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11,578 फीट की ऊंचाई पर शक्तिशाली जोजिला दर्रे के माध्यम से रणनीतिक महत्व की है क्योंकि सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण राजमार्ग बंद रहता है, जिससे लद्दाख क्षेत्र कश्मीर से कट जाता है। सिंगल-ट्यूब जोजिला सुरंग मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में बालटाल से लद्दाख के कारगिल जिले के द्रास शहर में मिनिमर्ग तक 18 किमी की पहुंच सड़क के साथ 13 किमी लंबी है।
भारत सरकार द्वारा एक बड़ा गेम चेंजर है यह परियोजना
यह परियोजना भारत सरकार द्वारा एक बड़ा गेम चेंजर है। सोनमर्ग से मिनिमर्ग तक की परियोजना की कुल लंबाई 31 किमी है। सोनमर्ग से बालटाल तक यह 18 किमी है और फिर बालटाल से मिनीमार्ग तक की मुख्य सुरंग 13 किमी है। मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के प्रोजेक्ट हेड हरपाल सिंह ने बताया कि दोनों परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। एमइआइएल सुरंग का निर्माण कर रहा है।सिंह ने कहा कि जनवरी में एक के बाद एक हुए हिमस्खलन के कारण सर्दियों में दो महीने के लिए काम रोकना पड़ा। जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। निर्माण कंपनी के लगभग 38 उपकरण बर्फ के नीचे दब गए थे जिन्हें अभी तक निकाला नहीं जा सका है। यह एक अस्थायी झटका था। सिंह ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि पूरी परियोजना दिसंबर 2026 तक पूरी हो जाएगी।
13 किमी लंबी सुरंग में से कुल 6 किमी की कटिंग की गई
सिंह ने कहा कि 13 किमी लंबी सुरंग में से कुल 6 किमी की कटिंग की गई है। उन्होंने कहा कि शेष कार्य समय पर पूरा कर लिया जाएगा। प्रोजेक्ट हेड ने कहा कि कंपनी टनलिंग के आधुनिक तरीके का इस्तेमाल कर रही है जिसे न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड के नाम से जाना जाता है। इस पद्धति से हमने तीन महत्वपूर्ण चीजें हासिल की हैं। सुरंग की सुरक्षा, कार्यबल की सुरक्षा और गति।इस पद्धति का उपयोग करने से दुर्घटनाओं की संभावना बहुत कम होती है और सुरंग बनाने की गुणवत्ता और गति बहुत अच्छी होती है। यह यूरोप और उत्तरी अमेरिका में लागू एक विशेष तकनीक है। सोनमर्ग में जेड-मोड़ टनल से बालटाल तक कुल 31 किमी के प्रोजेक्ट में से 18 किमी का अप्रोच रोड है और साथ-साथ काम भी चल रहा है।
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