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Navratri 2022: उत्तर में वैष्णो देवी और पूर्वोत्तर में कामाख्या देवी की आराधना सिद्धिदायक : अभिषेक गुप्ता

राजनीतिक चिंतक और विचारक अभिषेक गुप्ता इस शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर मां कामाख्या मंदिर में दर्शन-पूजन करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि मां वैष्णो देवी की तरह ही कामाख्या मंदिर में भी नवरात्र पर दर्शन करने ने भक्तों की हर वह मनोकामना पूरी होती है।

By Vikas AbrolEdited By: Updated: Tue, 04 Oct 2022 09:06 PM (IST)
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राजनीतिक चिंतक और विचारक अभिषेक गुप्ता इस शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर मां कामाख्या मंदिर में दर्शन-पूजन करने पहुंचे।
कटड़ा, संवाद सहयोगी : शक्ति की उपासना के लिए और मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्र सर्वोत्तम अवसर होता है। इसलिए नवरात्र में शक्तिपीठों में आदिशक्ति के उपासकों की खासी भीड़ उमड़ती है। इन शक्तिपीठों में भारत के उत्तर में मां वैष्णो देवी और पूर्वोत्तर राज्य असम में स्थित कामाख्या देवी का धाम अद्वितीय है। कुछ भक्तों की मान्यता है कि वैष्णो देवी का दरबार दक्षिणमार्गी उपासकों के श्रेष्ठ है और मां कामाख्या देवी मंदिर वाममार्गी साधकों के लिए सिद्धिदायक दिव्य स्थान है। लेकिन दर्शन-पूजन वैष्णो माता दरबार की तरह ही कामाख्या मंदिर में भी कोई कर सकता है।

कई बार मां वैष्णो देवी का दर्शन कर चुके राजनीतिक चिंतक और विचारक अभिषेक गुप्ता इस शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर मां कामाख्या मंदिर में दर्शन-पूजन करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि मां वैष्णो देवी की तरह ही कामाख्या मंदिर में भी नवरात्र पर दर्शन करने ने भक्तों की हर वह मनोकामना पूरी होती है, जिसका वह लंबे समय से इंतजार कर रहे होते हैं। भारत में सबसे प्रमुख शक्ति पीठों में से एक कामाख्या मंदिर असम की राजधानी गुवाहाटी दिसपुर से सात किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि सती का योनि भाग कामाख्या स्थान पर गिरा था, जिसके बाद इस स्थान पर देवी के पावन मंदिर को स्थापित किया गया।

यह मंदिर क्यों है कुछ खास 

देश की तमाम शक्तिपीठों से कुछ अलग हैं मां कामाख्या देवी। अभिषेक गुप्ता बताते हैं कि वैष्णो देवी की गुफा में माता के तीन स्वरूप पिंडी रूप में विराजमान हैं, लेकिन कामाख्या में गुफा के अंदर योनि की आकृति है, जिसे पवित्र माना जाता है। नवरात्रि पर यहां साधकों का जोश और उत्साह देखने लायक होता है। मंदिर में भारी भीड़ रहती है। यहां महिलाएं पीरियड्स के दौरान भी दर्शन कर सकती हैं। जबकि अन्य मंदिरों में इस अवस्था में महिलाएं अपवित्र मानी जाती हैं। यह मंदिर तांत्रिकों और अघोरियों का गढ़ माना जाता है। गुप्ता ने कहा कि नवरात्र के दौरान बड़ी संख्या में तांत्रिक वहां सिद्धि प्राप्त कर रहे हैं। यह मंदिर सनातन संस्कृति की अनूठी धरोहर है। अभिषेक गुप्ता के साथ दिल्ली से आए समाजसेवी संजय सिंह भी मौजूद थे।

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