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Udhampur Lok Sabha Seat: दो धुरंधरों का चुनाव, आतंकवाद और अलगाव नहीं रहे मुद्दे; इन मांगों पर पड़ेंगे वोट!

उधमपुर-डोडा सीट पर पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। यहां से वैसे तो 10 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के प्रत्याशी जितेंद्र सिंह और कांग्रेस के उम्मीदवार लाल सिंह के बीच ही है। यहां के लोगों का कहना है कि पहले इस सीट पर आतंकवाद और अलगाववाद पर वोट पड़ते हैं लेकिन 10 सालों में काफी कुछ बदला है।

By Monu Kumar Jha Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Wed, 03 Apr 2024 02:08 PM (IST)
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Jammu Kashmir News: लोगों के लिए चिनाब में बह चुके हैं आतंकवाद व अलगाव के मुद्दे। (फाइल फोटो)
नवीन नवाज, जम्मू। डोडा में अपने घर की छत से नीचे बह रही चिनाब की तरफ इशारा करते हुए अजहर कहते हैं कि 10 वर्ष में यहां बहुत पानी बह चुका है। आबोहवा ही नहीं मुद्दे भी बदल गए हैं। अब विकास, रोजगार और पहचान की बात हो रही है। डोडा से करीब 250 किमी दूर कठुआ (Kathua News) में अपने दोस्तों संग चुनाव पर चर्चा कर रहे अभिनंदन के लिए भी रोजगार और व्यापार ही मुख्य मुद्दा है।

दोनों दूसरी बार मतदान करने जा रहे हैं और दोनों ही ऊधमपुर संसदीय क्षेत्र पर मतदाताओं के मूड का संकेत दे रहे हैं। एक समय था कि इस क्षेत्र में एक तरफ स्वायत्तता का नारा तो दूसरी तरफ आतंकवाद (Terrorism) और अलगाववाद (Separatism) को हराने का संकल्प ही प्रत्याशियों की हार-जीत को तय करता था।

लखनपुर में पंजाब सीमा अैर पाकिस्तान सीमा (Pakistan) से लेकर पीरपंजाल की पहाड़ियों के दाहिने छोर तक और वहां से कारगिल की जंस्कार घाटी तक फैली ऊधमपुर सीट (Udhampur Seat) प्रदेश की राजनीति के धुरंधरों के महामुकाबले के कारण चर्चा में है। चुनावी खींचतान और आरोप-प्रत्यारोप के बीच यह बात स्पष्ट है कि आतंकवाद का मुद्दा अब चिनाब में बह चुका है।

यही वजह है कि पांच जिलों में फैली इस सीट पर क्षेत्र के साथ स्थानीय मुद्दे तो बदलते हैं, पर व्यक्ति का नारा सब जगह व्याप्त है। पहले चरण में 19 अप्रैल को इस सीट पर भी मतदान है। यहां का मतदान प्रदेश की अन्य चार सीटों पर रुझान तय करेगा। फिलहाल 12 प्रत्याशी मैदान में हैं और इनमें भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) हैट्रिक लगाना चाह रहे हैं।

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वह 10 वर्ष की उपलब्धियों को गिना रहे हैं वहीं नामांकन से कुछ दिन पूर्व कांग्रेस में वापसी करने वाले दो बार के सांसद लाल सिंह (Lal Singh) स्थानीय मुद्दों और विकास की अनदेखी का ही आरोप लगा रहे हैं। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) की पार्टी के गुलाम मोहम्मद सरूरी मुकाबले को तिकोना बनाने में जुटे हैं।

ऊधमपुर-कठुआ क्षेत्र की हालत 2014 तक क्या थी, यह किसी से छिपा नहीं है। आज यह क्षेत्र विकास की दौड़ में आगे है। सबका साथ सबका विकास के नारे को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मेादी ने सही साबित किया है। मतदाता हमारे कामकाज को देख चुके हैं। डा. जितेंद्र सिंह, भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री

सड़कों ने दिखाई विकास की झलक

क्षेत्र का 90 प्रतिशत हिस्सा पहाड़ी है और यही वजह है कि विकास के मामले में क्षेत्र ने अनदेखी झेली है। अब सड़कों के नेटवर्क के विस्तार से दूरदराज के क्षेत्रों तक विकास की झलक पहुंची है। चिनाब की उफनती लहरों से बिजली बनाने की जिद के कारण इस क्षेत्र का महत्व बढ़ा है और रामबन, डोडा और किश्तवाड़ में कई पनबिजली परियोजनाओं पर काम चल भी रहा है।

धुरंधरों का चुनाव

मुख्य मुकाबला भाजपा बनाम कांग्रेस और उससे भी ज्यादा पीएमओ में राज्यमंत्री डा. जितेंद्र सिंह बनाम लाल सिंह के बीच नजर आता है। लाल सिंह ने 10 वर्ष बाद गत माह ही कांग्रेस में वापसी की है। वह वर्ष 2014 के संसदीय चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा का हिस्सा बने थे और भाजपा उम्मीदवार डा. जितेंद्र सिंह की जीत में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी।

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