Move to Jagran APP

Udhampur Lok Sabha Seat: हाई प्रोफाइल सीट ऊधमपुर... क्षेत्रीय पार्टी कभी नहीं जीत पाई मैदान? आखिर कैसा रहेगा चुनावी माहौल

Udhampur Lok Sabha Seat लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा कर दी है। वहीं जम्मू-कश्मीर की ऊधमपुर सीट हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है। इस सीट की सबसे बड़ी खास बात ये रही है कि इस सीट पर आज तक कोई भी क्षेत्रीय दल जीत हासिल नहीं कर पाया है। वहीं आर्टिकल 370 हटने के बाद इस सीट पर चुनावी असर क्या देखने को मिलेगा।

By Deepak Saxena Edited By: Deepak Saxena Updated: Mon, 18 Mar 2024 07:27 PM (IST)
Hero Image
क्षेत्रीय पार्टी कभी नहीं जीत पाई मैदान? आखिर कैसा रहेगा ऊधमपुर सीट पर चुनावी माहौल।
डिजिटल डेस्क, ऊधमपुर। जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव को लेकर माहौल ने तेजी पकड़ ली है। जहां इलेक्शन कमीशन ने लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का एलान कर दिया है। इस सीट पर 19 अप्रैल को चुनाव होंगे। वहीं, जम्मू-कश्मीर की ऊधमपुर सीट काफी महत्व रखती है। इस सीट पर सबसे खास बात ये है कि इस सीट पर आज तक कोई भी क्षेत्रीय पार्टी जीत का डंका नहीं बजा पाई है।

साल 1967 में अस्तित्व में आई जम्मू-कश्मीर की ऊधमपुर लोकसभा सीट पर शुरुआती दौर में कांग्रेस का राज था। लेकिन, धीरे-धीरे इस सीट पर बीजेपी ने बढ़त बना ली है। साल 2014 से डॉ. जितेंद्र सिंह बीजेपी से लगातार इस पर सांसद पद पर काबिज हैं।

अब तक नहीं जीत पाई कोई क्षेत्रीय पार्टी

इस सीट पर सबसे खास बात ये है कि इस सीट पर आज तक कोई भी क्षेत्रीय पार्टी ने जीत का डंका नहीं बजा पाया है। इस सीट पर सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस ने ही अपनी जीत का परचम लहराया है। हालांकि, इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। लेकिन, साल 2014 से लोगों की पसंद में बदलाव आया है।

छह जिलों में फैली हुई ऊधमपुर लोकसभा सीट

साल 2014 से ये सीट बीजेपी के दबदबे वाली सीट हो गई है। ऊधमपुर लोकसभा सीट छह जिले उधमपुर, रियासी, कठुआ, रामबन, किश्तबाड़ और डोडा में फैला हुआ है।

साल 1967 के उपचुनाव में डॉ. के सिंह ने कांग्रेस से जीत हासिल की । इसके बाद 1967 में कांग्रेस के जीएस ब्रिगेडर ने कमान संभाली। साल 1971 में कांग्रेस के डॉ. कर्ण सिंह ने जीत हासिल की और 1977 और 1980 में फिर से जीत हासिल कर हैट्रिक लगाई थी। साल 1984 में कांग्रेस के गिरधारी डोगरा, 1988 उपचुनाव में कांग्रेस से मोहम्मद ए खान और साल 1989 में धर्म पाल ने जीत हासिल की।

चौधरी लाल सिंह रहे जनता के पसंदीदा नेता

लेकिन, साल 1996 में एक बार सत्ता परिवर्तन हुआ और बीजेपी के चमन लाल गुप्ता को ऊधमपुर सीट से मौका मिला। 1999 में भी बीजेपी के चमन लाल गुप्ता ने जीत हासिल की थी। वहीं, साल 2004 में कांग्रेस के लाल सिंह ने जनता की नब्ज टटोली और वो इसमें कामयाब रहे और साल 2004 और 2009 में लगातार जीत हासिल की।

2014 और 2019 में BJP ने हासिल की जीत

कांग्रेस की जीत का कुनबा साल 2014 में रुक गया, जब बीजेपी के डॉ. जितेंद्र सिंह मैदान में उतरे। उन्होंने साल 2014 में ऊधमपुर सीट से जीत हासिल की। उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन नेता गुलाम नबी आजाद को शिकस्त दी थी। वहीं, साल 2019 में उन्होंने एक बार फिर जीत को दोहराया। अब देखने वाली बात ये होगी कि साल 2019 में बीजेपी के फैसलों के बाद वो एकबार फिर जीत हासिल कर पाएंगे और वो जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे।

जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही ऊधमपुर जिले में सियासी हलचलें शुरू हो गई हैं। ये सीट चुनावी माहौल को देखते हुए काफी महत्व रखती है। इस सीट पर चुनावी घोषणा के बाद इन आंकड़ों पर ध्यान देना काफी जरूरी है। ऊधमपुर में साक्षरता दर साल 2011 के अनुसार 68.49 फीसदी है। ये साक्षरता दर किसी भी चुनाव के लिए बहुत अहम होती है क्योकि बिना पढ़े लिखे लोग नेताओं के लोक लुभावन वादों में फंसकर अपने मत का सही से प्रयोग नहीं कर पाते हैं।

ऊधमपुर जिले की बारे में कुछ खास

क्षेत्रफल - 2,380 स्क्वेयर किमी

क्षेत्रफल (जंगली एरिया)-1042.06 स्क्वेयर किमी

जनसंख्या (साल 2011 के अनुसार)- 5,57,689

ग्रामीण- 4,49,481

शहरी- 1,08,208

पुरुष- 2,98,189

महिला- 2,59, 500

लिंगानुपात- 1000 पुरुषों पर 870 महिलाएं

साक्षरता दर (साल 2011 के अनुसार)- 68.49 प्रतिशत

जम्मू-कश्मीर का तीसरा सबसे बड़ा शहर

ऊधमपुर जिले में एक शहर और एक नगरपालिका परिषद है। यूकेलिप्टस के हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित यह जम्मू क्षेत्र का तीसरा सबसे बड़ा शहर और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का पांचवां सबसे बड़ा शहर है। इस शहर का नाम राजा उधम सिंह के नाम पर रखा गया, यह जिला राजधानी और भारतीय सेना के उत्तरी कमान मुख्यालय के रूप में कार्य करता है।

ऊधमपुर यूकेलिप्टस के जंगलों से भरा एक हरा-भरा क्षेत्र है। भारत के लिए रणनीतिक रूप से ये शहर महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाकिस्तान सीमा के करीब है। इस प्रकार भारतीय सेना के लिए उत्तरी कमान मुख्यालय यहीं पर स्थित है।

किरामची मंदिर है आकर्षण का केंद्र

ऊधमपुर-जम्मू राजमार्ग पर स्थित किरामची मंदिर उधमपुर में एक विशेष आकर्षण हैं, साथ ही इस क्षेत्र के अन्य मंदिर जैसे चौंतरा देवी, बबोर मंदिर, पिंगला देवी और विरासत के स्थान जैसे कि रामनगर किला, शीश महल और कई अन्य स्थान हैं। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के आसपास के इलाकों की तरह ही ऊधमपुर का भी हजारों साल पुराना एक समृद्ध इतिहास है।

प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है उल्लेख

इस क्षेत्र का उल्लेख भारत के प्राचीन ग्रंथों में किया गया है क्योंकि कश्मीर ने हमेशा भारत के सांस्कृतिक संदर्भ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐसा कहा जाता है कि ऋषि कश्यप ने इस क्षेत्र में एक झील को सूखा दिया था और कश्मीर का निर्माण किया था, जिसका बहुत बाद में जम्मू एक अलग हिस्सा बन गया।

कश्मीर की रियासत में शामिल हो गई ये सीट

लगभग 13 से 14वीं शताब्दी ईसा पूर्व पश्चिम से सल्तनतों के आगमन तक भारतीय राजाओं ने इस क्षेत्र पर शासन किया, तब से कश्मीर कई शहरों और रियासतों का हिस्सा बना रहा। जिनमें मुगलों, अफगानों द्वारा शासित रियासतें भी शामिल थीं, जबकि इसका हिस्सा बन गया। कश्मीर की रियासत जो भारत में शामिल हो गई। भारत के विभाजन और पाकिस्तान के गठन के बाद इस क्षेत्र में तीव्र संघर्ष हुआ जिसके परिणामस्वरूप ऊधमपुर और कई अन्य शहर देश की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण सैन्य अड्डे बन गए।

ये भी पढ़ें: Jammu Kashmir News: 'लोकसभा के साथ हों विधानसभा चुनाव, पर ऐसा नहीं हुआ...', NC नेता उमर अब्दुल्ला ने कही ये बड़ी बात

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।