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Ram Mandir: गिरफ्तारी के बावजूद पहुंचे अयोध्या, गोलियों के बीच ऐसे बची जान; पढ़िए जम्मू-कश्मीर के कारसेवक की संघर्ष की कहानी

Shri Ram Mandir News 1990 में अयोध्या ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में काफी तनावपूर्ण माहौल था। इसके बावजूद श्रीराम के प्रति समर्पित कारसेवक अयोध्या पहुंच ही गए। से ही समर्पित कारसेवकों में एक हैं ऊधमपुर के 75 वर्षीय सोमराज खजुरिया। दो बार गिरफ्तारी के बावजूद वे बचते हुए गोंडा पहुंचे और तीन दिन पैदल चलकर अयोध्या के पास सरयू पुल के पास पहुंच गए।

By Jagran News Edited By: Monu Kumar JhaUpdated: Wed, 10 Jan 2024 03:23 PM (IST)
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Ayodhya Ram Mandir: दो बार गिरफ्तारी के बावजूद पहुंचे अयोध्या, पग-पग पर रामदूत बने सहारा। फाइल फोटो

अमित माही, ऊधमपुर। Ram Mandir Inauguration 1990 में अयोध्या ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में काफी तनावपूर्ण माहौल था और प्रदेश सरकार के दबाव में पुलिस जगह-जगह कारसेवा के लिए जाने वाले रामभक्तों को गिरफ्तार कर रही थी, लेकिन स्थानीय लोग रामभक्तों की पूरी मदद कर रहे थे। पुलिस किसी भी परिस्थिति में कारसेवकों( Kar Sevak Heroes) को अध्योध्या पहुंचने से पहले लौटाने की रणनीति पर काम कर रही थी।

75 वर्षीय कारसेवक सोमराज खजुरिया की संघर्ष की कहानी

इसके बावजूद श्रीराम के प्रति समर्पित कारसेवक अयोध्या( Ayodhya Ram Mandir) पहुंच ही गए। कारसेवकों को पग-पग पर रामदूतों की मदद मिलती रही। ऐसे ही समर्पित कारसेवकों में एक हैं ऊधमपुर के 75 वर्षीय सोमराज खजुरिया। दो बार गिरफ्तारी के बावजूद वे बचते हुए गोंडा पहुंचे और तीन दिन पैदल चलकर अयोध्या के पास सरयू पुल के पास पहुंचे।

गोलीबारी के दौरान वे घुटने के बल लुढ़कते हुए बचाई अपनी जान

वहां एक सरदार पुलिस अधिकारी ने गुप्त तरीके से उनकी मदद की और वे अयोध्या पहुंचे। गोलीबारी के दौरान वे घुटने के बल लुढ़कते हुए सुरक्षित स्थान पहुंच कर अपनी जान बचाई थी। सोमराज खजुरिया(Somraj Khajuria) ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि वर्ष 1990 में वह संघ में जिला कार्यवाह का पद संभाल रहे थे। साथ ही राम मंदिर के लिए जारी आंदोलन में विहिप की ओर से जिले में विशेष प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे।

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बिगड़ते हालात के चलते अकेले जाने का मिला निर्देश 

सही तारीख याद नहीं है। मगर कारसेवकों पर गोली चलने की घटना से करीब 12-14 दिन पहले वह ऊधमपुर से अयोध्या जाने के लिए जम्मू परेड मैदान पहुंचे। पहले परिवार सहित कारसेवा में जाना था। मगर बिगड़ते हालात के चलते कारसेवकों को अकेले जाने का निर्देश मिला। रात वेद मंदिर अंबफला में रुके। अगले दिन अयोध्या जाने के लिए 60 लोगों के दल का चयन हुआ। चुपचाप सभी मुरादाबाद पहुंचे।

पुलिस वाले ने कराया भोजन-पानी

वहां पर सुरक्षा बलों के जवान तैनात थे। मुरादाबाद में उनके एक साथी दीनानाथ खाना खाने के बाद सुस्ता रहे थे। इसी बीच पीछे से आए एक पुलिसकर्मी के पूछने पर उनके मुंह से अयोध्या जाने की बाद बात निकल गई। उसके बाद पुलिस ने उन सभी को पकड़ लिया। बड़े प्रेम से पुलिस वाले ने भोजन-पानी कराया।

खजूरिया से पुलिस ने उनके संगठन के बारे में पूछा तो कह दिया- वह किसी संगठन से नहीं, बल्कि राम भक्त हैं। खजुरिया बताते हैं- "मुरादाबाद में गिरफ्तार होने के बाद लग रहा था कि अयोध्या नहीं पहुंच पाएंगे। दिमाग में हमेशा चलता रहता था कि आखिर अयोध्या पहुंचेंगे कैसे?

मुरादाबाद स्टेशन पर ज्यादातर गिरफ्तार लोगों को बाहर ही रखा गया था। इसी दौरान एक तीन स्टार वाला पुलिस अधिकारी मेरे पास आया और कहा कि जो भागना चाहता है, भाग जाए। वे कुछ अन्य लोगों के साथ वहां से भाग निकले।

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