तीन दिनों में ऊधमपुर में 24 मवेशियों में मिले लंपी बीमारी जैसे लक्षण
अमित माही ऊधमपुर लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) रोग ने ऊधमपुर जिले में भी अपने पांव पसारने
By JagranEdited By: Updated: Sat, 13 Aug 2022 06:22 AM (IST)
अमित माही, ऊधमपुर :
लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) रोग ने ऊधमपुर जिले में भी अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। जिले में पिछले तीन दिनों में लंपी के लक्षण वाले 24 संदिग्ध मवेशी पाए गए हैं। ऊधमपुर से एक सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है। शनिवार को पांच से छह और सैंपल जांच के लिए भेजे जाएंगे। वहीं, पशु चिकित्सा विभाग ने लंपी जैसे लक्षण वाले मवेशियों का इलाज करने के साथ ही इस रोग को दूसरे दुधारू मवेशियों में फैलने से रोने के लिए रैपिड रिस्पांस टीमें गठित कर दी है, जो दुधारू मवेशियों के पशुपालकों को बचाव व सावधानियों के प्रति जागरूक कर रही है। लंपी के संदिग्ध मामले ऊधमपुर में भी मिलने लगे हैं। पशु चिकित्सा विभाग के मुताबिक 10 अगस्त से लेकर 12 अगस्त के बीच अब तक जिले में कुल मिलाकर 24 संदिग्ध मवेशियों में लंपी संक्रमण के लक्षण पाए गए हैं। इन सभी मवेशियों के पालकों की मदद से इन मवेशियों को आइसोलेट करवाने के साथ उनका उपचार किया जा रहा है। पशु चिकित्सा विभाग के मुताबिक पिछले तीन दिनों में छह मवेशियों में लंपी के लक्षण का रिवर्सल होने लगा है। उन्होंने बताया कि अभी तक एक मवेशी का सैंपल जांच के लिए जम्मू रिसर्च लैब में भेजा गया है। पशु चिकित्सा विभाग के मुताबिक ऊधमपुर जिले में जिब क्षेत्र लंपी से सबसे अधिक प्रभावित है। विभाग के मुताबिक जिब इलाके के पास स्थित थाति, बडोला, मोंगरली आश्रम, चुंग व पाटा इलाके में लंपी के 15 संदिग्ध मवेशी मिले हैं, जबकि पंचैरी में एक, मानपा में एक, सीन ठकरां में एक, लोंडना में एक, धैमां में एक, बिलासपुल में एक व घोरड़ी के दो केस पाए गए हैं। पशु चिकित्सा विभाग ने लंपी के खिलाफ जागरूक करने के लिए सभी 17 ब्लाकों में रैपिड रिस्पांस टीमें (आरआरटी) का गठन कर दिया है। हर टीम में तीन से पांच तक सदस्य हैं, जिसमें वरिष्ठ वेटनेरी फार्मासिस्ट, वेटनेरी फार्मासिस्ट और प्रशिक्षित पैरामेडिक्स शामिल हैं, जो गांव-गांव जाकर पशु पालकों को लंपी रोग व उससे मवेशियों को बचाव के लिए जागरूक कर रहे हैं। गंभीर नहीं है रोग, मगर सावधानी जरूरी :
जिला वेटरनेरी आफिसर डा. राकेश गुप्ता ने कहा कि ऊधमपुर में पिछले तीन दिनों में लंपी के 24 संदिग्ध मामले पाए गए हैं, जिनमें से छह की स्थिति में सुधार भी होने लगा है। उन्होंने कहा कि लंपी से जिले में दुधारू पशुपालकों को घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि लंपी रोग इंसानों में होने वाला सामान्य पाक्स जैसा है। मवेशी से इंसानों में इसके होने का अभी तक कोई मामला कहीं रिपोर्ट नहीं हुआ है, मगर यह एक से दूसरे दुधारू मवेशी में फैल सकता है। इसलिए लंपी के लक्षण नजर आते ही पशुपालक संक्रमित मवेशी को आइसोलेट कर दें। पशु चिकित्सा विभाग को सूचित कर उसका उपचार कराएं। तीन से चार दिनों में यह रोग रिवर्सल होने लगता है और सप्ताह से दस दिन में मवेशी पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है। मवेशी को लंपी रोग से कोई खतरा नहीं है, मगर इस रोग की वजह से शरीर कमजोर होने के कारण मवेशी किसी और संक्रमण की चपेट में आ सकता है। ऐसा होने पर मवेशी के लिए जान पर खतरा हो सकता है। मवेशी का दूध उबाल कर पीना पूरी तरह से सुरक्षित : जिला वेटनेरी अधिकारी डा. राकेश गुप्ता ने बताया कि लंपी रोग का संक्रमण जब तक दुधारू मवेशियों में है, तब तक लोग कच्चे दूध या कच्चे दूध से बनने वाले उत्पादों का सेवन करने से बचें। मवेशियों का दूध उबाल कर पीना पूरी तरह से सुरक्षित है, क्योंकि उबले दूध में लंपी सहित अन्य किसी प्रकार का कोई संक्रमण जीवित नहीं रहता। उबले हुए दूध या उससे बने उत्पादों का सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है। लंपी रोग के लक्षण :
मवेशी के शरीर पर फोड़े जैसे चकते बन जाते हैं। मवेशी खाना-पीना छोड़ देता है मवेशी को बुखार हो जाता है। मवेशी कमजोर होने लगता है। मवेशी दूध भी कम देने लगता है। बचाव : लंपी रोग से पीड़ित मवेशी को दूसरे मवेशियों से अलग रखें मवेशी को समूह में बाहर चरने के लिए न भेजने दें, ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सके। यह संक्रमण मक्खी, मच्छर, कीट के जरिए एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलता है। इसलिए मवेशी के बाड़े को मक्खी, मच्छर और कीट मुक्त रखने के लिए उपाय करें। मवेशी को संक्रमित होने पर पशु पालन या पशु चिकित्सा विभाग से संपर्क कर उसका उपचार करवाएं। हालांकि लंपी रोग के मवेशियों से मनुष्य में फैलने का खतरा कम है, मगर सावधानी के तौर पर दूध दूहने से पहले मवेशी के थनों को अच्छे से साफ करें। दूध दूहने के बाद हाथों को अच्छी से धो लें।
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