Kanwar Yatra 2024: गंगाजल कंधे पर लेकर हरिद्वार से अमरनाथ के लिए पैदल निकला सोनू, अटूट श्रद्धा देखकर लोग अचंभित
सावन का महीना महादेव के भक्तों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं होता है। इस महीने में कांवड़िये कांवड़ लेकर भगवान भोलेनाथ को जल अर्पण करने के लिए निकलते हैं। वहीं राजस्थान के सोनू की कांवड़ यात्रा (Kanwad Yatra 2024) हर किसी को अचंभित कर रही है। दरअसल सोनू ने हरिद्वार से 18 लीटर गंगाजल भरकर अमरनाथ तक पैदल यात्रा शुरू कर दी है।
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर। राजस्थान के 26 वर्षीय सोनू ने एक अनोखी और अद्वितीय यात्रा की शुरुआत की है। उनकी ये यात्रा श्रद्धा और संकल्प की मिसाल बन चुकी है। हर की पौड़ी हरिद्वार से कांवड़ में 18 लीटर गंगा जल भरकर उसे कंधों पर लेकर बाबा बर्फानी को अर्पित करने का संकल्प लिया। इसके बाद सोनू ने 18 लीटर गंगाजल के साथ 23 दिन में 650 किलोमीटर दूरी तय कर ऊधमपुर तक का सफर पूरा किया।
18 लीटर गंगा जल भरकर पैदल पूरी करेंगे 900 किलोमीटर की यात्रा
सोनू ने रात्रि ऊधमपुर में विश्राम कर सुबह आगे का सफर शुरू किया। कंधों पर 18 लीटर गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर चल रहे सोनू ने बताया कि 7 जुलाई को राजस्थान से वह हरिद्वार के लिए निकले थे। नौ जुलाई को हरिद्वार हर की पौड़ी से गंगा जल कांवड़ (Kanwar Yatra 2024) में भरकर 900 किलोमीटर की लंबी पैदल यात्रा पर अमरनाथ (Amarnath Yatra) की ओर निकल पड़े।
कांवड़ के साथ ऊधमपुर पहुंचने पर सोनू का विभिन्न स्थानों पर लोगों ने स्वागत किया। रात को ऊधमपुर में विश्राम के बाद सुबह आगे की यात्रा शुरू की। सोनू की यह यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि महादेव के प्रति अटूट विश्वास गहरी श्रद्धा का प्रतीक है।
महादेव में दिखती अपने पिता की छवि- सोनू
सोनू ने बताया कि अधिकांश लोग अपने घरों के पास के मंदिरों में ही जल चढ़ा पाते हैं। ऐसा करने के लिए किसी ने कहा, बल्कि यह खुद से मन में आया और यह करने का निर्णय लिया। महादेव को मैं अपने पिता के रूप में मानता हूं और उनमें मुझे अपने पिता की छवि दिखती है। महादेव के बिना न कुछ अच्छा लगता है और न ही कुछ दिखाई देता है। शायद उनकी कृपा से ही वह अमरनाथ की इस कठिन यात्रा कर पा रहे हैं। कई लोगों ने टोका भी इसे उलटी परंपरा तक कहा, मगर उसका इरादा अटल था।
मां गंगा को कंधों पर लेकर जाना सौभाग्य की बात- सोनू
सोनू ने बताया कि कांवड़ उठाने से कोई थकावट नहीं हो रही। थकावट जबरदस्ती के काम में होती है, जिस काम में खुशी मिले, उसमें कभी नहीं थकता। गंगा मां को कंधों पर लेकर जाना सौभाग्य की बात है। मां जब साथ हो किसी को कष्ट या थकावट हो ही नहीं सकती। ऐसा करने से उसके और उकके माता-पिता के कई जन्मों के पाप धुल जाएंगे।ये भी पढ़ें: जमीन का मालिकाना अधिकार मिलने पर झूमे पाकिस्तानी विस्थापित, PM मोदी का किया शुक्रिया; कहा- भाजपा सरकार ने पूरा किया सपना
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