बोकारो के पेटरवार के रहने वाले धर्मेंद्र प्रसाद के इकलौते बेटे विशाल कुमार की सड़क हादसे में मौत हो गई है। उनके मुताबिक हिट एंड रन का नया कानून एकदम ठीक है न्याय के लिए हो समय सीमा का निर्धारण होना चाहिए। धर्मेंद्र प्रसाद का कहना है कि अगर यह कानून पहले आया होता तो उन्होंने अपना बेटा न खोया होता।
जागरण संवाददाता, बोकारो। काश! हिट एंड रन कानून पहले आता, तो हमारा जवान बेटा आज भी जिंदा होता। कानून के डर से वाहन चालक रफ्तार से गाड़ियां न चलाते। यह कहते हुए पेटरवार के धर्मेंद्र प्रसाद रो पड़े। वे कहते हैं कि हिट एंड रन कानून में हुआ बदलाव बिल्कुल ठीक है।
यह कानून चालकों को सचेत करेगा: धर्मेंद्र प्रसाद
उनका कहना है कि गाड़ी चलाने वाले नियम तोड़ते हैं, तेज गति से गाड़ी चलाते हैं। यह कानून चालकों को सचेत करेगा। तेज गति से गाड़ी चलाने वाले अक्सर लापरवाही में लोगों को कुचल देते हैं। जिस परिवार के सदस्य की हादसों में जान जाती है जरा उनके दिल से पूछिए। ऐसे दुखियारों की चिंता कौन करेगा। एक कानून बना है, उसका भी विरोध हो रहा है। यह कतई ठीक नहीं है। केंद्र सरकार हमारे जैसे दुखी परिवारों के दर्द पर मरहम लगाए, न्याय दिलाए, यह कानून जल्द लागू कराए।
कार चालक के टक्कर से हुई बेटे की मौत
धर्मेंद्र बताते हैं कि हमने अपना इकलौता पुत्र विशाल कुमार खोया है। उसकी उम्र तब केवल 22 वर्ष थी। जवान था वो, हमारे बुढ़ापे का सहारा भी। 05 अगस्त, 2020 को रांची में उसे एक कार चालक ने टक्कर मार थी। वह तो बेचारा ऑटो से जा रहा था। अचानक कार के रूप में उस पर मौत झपट पड़ी।
तीन साल से हमारे आंसू थम नहीं रहे हैं। अब तक न्याय नहीं मिला है। कार चालक को आज तक सजा नहीं मिली। हमारे जीवन का एकमात्र सहारा पुत्र विशाल ही तो था।
उन्होंने आगे कहा, सरकार हम जैसे परिवारों का दर्द समझे। कार हादसों को अंजाम देने वालों को कड़ी सजा जरूर मिले, ऐसा प्रविधान करे।
पुलिस करे ईमानदारी से काम, यहां अनुसंधानकर्ता ने केस ही पलट दिया
बालीडीह शिवपुरी कालोनी के आमोद सिंह व उनका परिवार चार साल से थाना व अधिकारियों का चक्कर लगा रहा है। बालीडीह थाने के जांच अधिकारी ने ऐसा खेला किया कि बेटे की मौत का मुआवजा मिलना तो दूर दोषी बाइक चालक को भी बचा लिया।
इलाज के लिए ले जाते वक्त हुई मौत
वे कहते हैं कि 17 फरवरी 2020 को बेटा शिवा सड़क पार कर घर आ रहा था। तभी तेज रफ्तार बाइक सवार ने उसे टक्कर मारी। वह जख्मी हो गया, उसे लेकर थाने पहुंचे।
पुलिस ने तुरंत अस्पताल भेजा, वहां से रांची रेफर कर दिया गया। रास्ते में ही बेटे की मौत हो गई। वे उसका शव लेकर वापस लौटे।
दोबारा थाना पहुंचे तो मदद की बजाय बाइक को पुलिस छोड़ चुकी थी। अज्ञात के खिलाफ एफआइआर की गई थी। पुलिस अनुसंधान करती तो बहुत कुछ सामने आता।
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