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175 सालों से यहां हो रही मां मनसा की पूजा, राजा ने रोकने का किया था प्रयास तो देवी के प्रकोप से मची थी तबाही

Jharkhand News in Hindi नावाडीह प्रखंड के आदर्श ग्राम पंचायत खरपिटो में मां मनसा की पूजा विगत 175 वर्षो से निरंतर की जा रही है। 18 अगस्त को नहाय खाय के साथ पर्व की शुरुआत होगी व मां मनसा का आह्वान किया जाएगा। 19 अगस्त को दिन भर उपवास रहकर रात्रि में मां मनसा की पूजा-अर्चना की जाएगी। संतान सुख पाने वाले दंपति की हर मनोकामना यहां पूरी होती है।

By Arijita SenEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 17 Aug 2023 02:52 PM (IST)
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खरपिटो में मां मनसा की पूजा विगत 175 वर्षो से निरंतर की जा रही है।
संसू, नावाडीह (बेरमो)। Jharkhand News in Hindi: नावाडीह प्रखंड के आदर्श ग्राम पंचायत खरपिटो में मां मनसा की पूजा विगत 175 वर्षो से निरंतर की जा रही है। इसे लेकर पूरे गांव में उत्सव जैसी नजारा है। 18 अगस्त को नहाय खाय के साथ पर्व की शुरुआत होगी व मां मनसा का आह्वान किया जाएगा।

मां भक्‍तों की हर मनोकामना करती हैं पूरी

19 अगस्त को दिन भर उपवास रहकर रात्रि में मां मनसा की पूजा-अर्चना की जाएगी। यहां ऐसी मान्यता है कि संतान सुख पाने वाले दंपति की हर मनोकामना यहां पूरी होती है।

खरपिटो मां मनसा पूजा के मुख्य पुजारी छक्कन साव ने बताया कि लगभग 175 वर्ष पूर्व गांव के गणेश पंडित, कनीय गोठयत, हरदयाल महतो एवं तुलाराम महतो ने आपसी सहमति से मां मनसा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करने का निर्णय लिया।

तब गणेश पंडित, कनीय गोठयत एवं हरदयाल महतो ने मां मनसा, मां लखी एवं मां सरस्वती की प्रतिमा बनवाने का प्रण लिया। वहीं तुलाराम महतो ने पूजा सामग्री देकर पूजा आरंभ की।

राजा चांद को झेलना पड़ा था मां मनसा का प्रकोप

इसके बाद चोपाई नगर के राजा चांद ने इन लोगों की पूजा-अर्चना पर रोक लगा दी, जिससे यहां लगभग दस वर्षो तक पूजा नही हुई। मां मनसा की प्रकोप के कारण राजा चांद के सात पुत्रों में से छह पुत्रों की असमय मृत्यु हो गई।

मां मनसा ने सपना दिया तब राजा चांद, रानी सोनिका, पुत्र लखीदर व पुत्रवधु बेहुला ने आकर मां मनसा की विधिवत पूजा कर बली दी। तब से यहां मां मनसा की पूजा पूरे गांव के ग्रामीणों द्वारा उत्सव के साथ मनाया जाने लगा, जो आज तक जारी है।

1998 में मंडप का दिया गया भव्य रूप

ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 150 वर्षो तक मां मनसा की पूजा गणेश पंडित के खपरैल मकान में किये जाने के बाद सन 1997 में ग्रामीणों ने बैठक कर मंडप को भव्य रूप देने का निर्णय लिया। पूरे गांव के लोगों ने चंदा देकर मां मनसा के लिए भव्‍य मंडप का निर्माण कराया।

पिछले वर्ष स्थानीय मुखिया नंदलाल नायक एवं पूर्व मुखिया गुड़िया देवी ने निजी मद से सहयोग कर मंडप का सौंदर्यीकरण कर इसे आकर्षक रूप दिया। पूजा को सफल बनाने में नीलकंठ नायक, हीरालाल तुरी, हेमलाल महतो, जागेश्वर पंडित, अन्तु रविदास, राम कुमार, अरबिंद नायक, जोगी कुमार आदि सक्रिय हैं।

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