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डाकिया डाक लाया...ईमेल के जमाने में फिर से चिट्ठियां भेजने हैं लोग, अकेले बोकारो में पोस्‍टकार्ड से एक लाख लोगों ने भेजा खत

डिजिटल भारत में चिट्ठियां भेजने का चलन एक बार फिर से हुआ है जिसकी पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है। बोकारो में बीते डेढ़ वर्ष में एक लाख से अधिक लोगाें ने पोस्‍टकार्ड के माध्यम से पत्र भेजा है। इससे डाककर्मियों के चेहरे खिल गए हैं। इसी खुशी में विभाग की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जो एक सप्‍ताह तक चलेगा।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 10 Oct 2023 12:28 PM (IST)
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बोकारो स्‍टील सिटी के प्रधान डाकघर की तस्‍वीर।
बीके पाण्डेय, बोकारो। डिजिटल क्रांति के युग में माेबाइल के उपयोग से परेशान डाक विभाग व डाककर्मियों के लिए प्रधानमंत्री मोदी की पहल ने फिर से ऊर्जाजनित कर दिया है। जो लोग यह समझ चुके थे कि पत्र लिखना पुराने जमाने की बात है वे अब पत्र लिखने को अपना गौरव समझ रहे हैं। इससे डाक विभाग व डाककर्मियों को लाभ तो मिला ही। साथ ही बच्चों को पत्र लिखना आ गया।

फिर से चिट्ठियां लिखने का बढ़ रहा चलन

पूरे बोकारो में बीते डेढ़ वर्ष में 1 लाख से अधिक लोगाें ने पोस्‍टकार्ड के माध्यम से पत्र भेजा है। यदि यह आंकड़ा एक जिले का है, तो पूरे देश में इतने पत्राचार से डाक विभाग, डाकिया, लेटर बाॅक्स सबकी प्रासंगिकता को बढ़ा दिया है। इसी खुशी में विभाग की ओर से एक सप्ताह तक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

बोकारो में डाक टिकटों के प्रेमियों का जवाब नहीं

अकेले बोकारो जिले में वर्ष 2021 से 2023 के बीच 1 लाख 6 हजार 353 पोस्टकार्ड की बिक्री हुई। वर्तमान में एक पोस्‍टकार्ड का मूल्य 50 पैसे है। वहीं अंतरदेशीय पत्र का मूल्य 2.50 रुपये है। इस दौरान लगभग तीन सौ लोगों ने अपने स्वजनों को अंतरदेशीय पत्र भेजा।

जबकि पूरे जिले में प्रत्येक माह 70 हजार से अधिक का डाक टिकट बेचा जाता है। वर्तमान में कम से कम एक रुपया और सबसे अधिक 400 रुपये का डाक टिकट मिलता है।

खास बात यह है कि प्रधान डाकघर में स्थित फिलेटलिक ब्यूरो डाक टिकट संग्रह के शौकीनों के लिए प्रमुख स्थल है। जहां तमाम नए.पुराने डाक टिकट प्रदर्शित हैं। प्रत्येक माह तीन हजार रुपये मूल्य का टिकट बेच दिया जाता है।

डाक सेवाओं का रहा है पुराना इतिहास

भारत में डाक सेवा अंग्रेजों ने शुरू की थी। इसकी स्थापना 1854 में लॉर्ड डलहौजी ने की थी। वर्तमान में यह संचार मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और सबसे अधिक दुनिया में व्यापक रूप से वितरित डाक प्रणाली है।

डाकघर डाक भेजता है, मनी ऑर्डर के रूप में धन भेजता है, जो कि कई भारतीयों के लिए पैसे भेजने का एकमात्र तरीका है।

डाक विभाग छोटी बचत योजनाएं भी चलाते हैं। इसके अलावा डाक जीवन बीमा और ग्रामीण डाक जीवन बीमा के तहत जीवन बीमा कवरेज सेवा भी दी जाती है।

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जानें देश के पिन कोड प्रणाली को

डाक विभाग अपनी डाक सेवाओं के नेटवर्क को शहर के अनुसार तय करने के लिए एक पिन कोड का इस्तेमाल करता है, जो डाक सूचकांक संख्या के लिए यूज किया जाता है। इसके बारे में विपणन पदाधिकारी कौशल उपाध्याय ने बताया कि डाक विभाग में पिन प्रणाली केंद्रीय संचार मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्रीराम भीकाजी वेलणकर की देन है।

उन्होंने 15 अगस्त, 1972 को 6-अंकीय पिन प्रणाली लागू किया था। पिन का पहला अंक क्षेत्र को दर्शाता है, दूसरा अंक उप-क्षेत्र को दर्शाता है और तीसरा अंक जिले को दर्शाता है। बाकी अंतिम तीन पिन अंक डाकघर के कोड को प्रदर्शित करते हैं, जिसके तहत संबंधित पत्र अपने पते पर पहुंच जाता है।

पत्र लिखने एवं पुराने डाक टिकट संग्रहित करने में बोकारो वासी आगे हैं। यहां अब फिर से लोग अपने चाहने वालों के साथ-साथ आवश्यक कार्य के लिए पत्र लिख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल काम आई है। बच्चे अब शौक से पत्र लिख रहे हैं- कौशल उपाध्याय : विपणन पदाधिकारी।

पुराने डाक टिकटों को रखने वाले बोकारो में काफी लोग हैं। यहां प्रत्येक माह तीन हजार रुपये का डाक टिकट की बिक्री होती है। पोस्टकार्ड की बिक्री पीएम के आह्वान पर अधिक हुआ है- देवेन्द्र कुमार : डाक खंजाची।

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