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Bokaro News: आनंद मार्ग स्कूल तोड़े जाने के विरोध में साध्वी ने किया आत्मदाह, फोरलेन हाइवे के रास्ते पर आ रहा था

झारखंड के बोकारो में भारत माला परियोजना के तहत बन रहे फोर लेन हाइवे के मार्ग पर आनंद मार्ग स्कूल आ गया। साध्वी ने स्कूल तोड़े जाने का विरोध किया। बाद में साध्वी उद्धत आनंद हितकारिणी ने कमरे में बंद करके खुद को आग लगा ली। पेटरवार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके बाद उग्र ग्रामीणों ने थाने का घेराव किया।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 13 Aug 2024 06:30 AM (IST)
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स्कूल के मुआवजे को लेकर दो पक्षों में चल रहा था विवाद।
जागरण संवाददाता, बोकारो। झारखंड के बोकारो जिले में सड़क निर्माण के रास्ते में आ रहे आनंद मार्ग के स्कूल को तोड़े जाने का विरोध करते हुए स्कूल संचालिका 68 वर्षीय साध्वी उद्धत आनंद हितकारिणी ने आत्मदाह कर लिया। सोमवार को स्कूल तोड़े जाने का अल्टीमेटम देने पुलिस के साथ एनएचएआई व सड़क निर्माता कंपनी एनजी इंफ्रा के अधिकारी पहुंचे थे।

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कमरे में बंद कर स्वयं को लगाई आग

साध्वी का कहना था कि जबतक मुआवजे के विवाद का समाधान नहीं हो जाता है, तब तक स्कूल नहीं तोड़ा जाए। साध्वी के समर्थन में आनंदमार्ग संस्था से जुड़े अन्य लोग भी इसे लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी क्रम में पुलिस और एनएचएआई की टीम से उनकी नोंकझोंक हुई। विरोध के बीच साध्वी आनंद हितकारिणी ने स्वयं को कमरे में बंद कर आग ली। इस घटना में वह 80 प्रतिशत जल गईं।

अस्पताल में तोड़ा दम

मौके पर पहुंचे अंचलाधिकारी अशोक राम ने उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पेटरवार में भर्ती कराया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने थाने का घेराव कर काफी देर तक हंगामा किया। बताया गया कि भारत माला परियोजना के तहत बोकारो के जैनामोड़ से रांची के ओरमांझी तक फोरलेन सड़क का निर्माण हो रहा है।

रास्ते में आ रहा स्कूल

पेटरवार में संचालित यह स्कूल रास्ते में आ रहा है। इस बाबत एनएचएआई ने इसका अधिग्रहण कर रखा है। स्कूल सह आश्रम की जमीन के एवज में बतौर मुआवजा 4.10 करोड़ रुपये दिए जाने हैं। समर्थकों के अनुसार, मुआवजे की राशि तय होते ही पूर्व के संचालक आचार्य सर्वआत्मानंद ने इस पर दावा कर दिया, जबकि स्कूल की पावर ऑफ अटार्नी पूर्व संचालक ने आनंद हितकारिणी को दे दी थी।

न्यायालय में जमा है मुआवजा राशि

इस बात को लेकर दोनों पक्षों में लगभग दो वर्षों से विवाद चल रहा था। इस बीच एनएचएआई ने मुआवजे की राशि न्यायालय में जमा करा दी। मामला अब भी न्यायालय में विचाराधीन है।

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