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इस उद्यान का हर वृक्ष खास, कलाम का लगाया पौधा भी अब बन चुका है पेड़ Bokaro News

इस्पात नगर बोकारो का जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान। आम लोगों की जुबान के मुताबिक चिडिय़ाघर। बोकारो में जो भी अतिथि आए हैं उन्होंने इस जैविक उद्यान में पौधारोपण किया।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Updated: Fri, 20 Sep 2019 06:37 AM (IST)
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इस उद्यान का हर वृक्ष खास, कलाम का लगाया पौधा भी अब बन चुका है पेड़ Bokaro News
राममूर्ति प्रसाद, बोकारो: इस्पात नगर बोकारो का जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान। आम लोगों की जुबान के मुताबिक चिडिय़ाघर। बोकारो में जो भी अतिथि आए हैं, उन्होंने इस जैविक उद्यान में पौधारोपण किया। भारत रत्न से सम्मानित मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अबुल कलाम ने जैविक उद्यान में महोगनी का पौधा लगाया था, जो अब वृक्ष बन चुका है।

तीन दशक से इस जैविक उद्यान में विशिष्ट अतिथियों से पौधे लगवाने का सिलसिला चलता आ रहा है। अतिथियों ने इतने पौधे लगाए हैं कि चिडिय़ाघर में अब हर ओर हरियाली छा गई है। संदेश सिर्फ एक कि हमारी धरा को सुंदर और स्वच्छ हवा से परिपूर्ण बनाना है तो पौधे लगाने के साथ इसे सहेजने होगा। कई लोगों ने उद्यान के रजिस्टर में दर्ज किया है कि उन्हें यहां आकर पौधा लगाने की प्रेरणा मिली है।

1 अक्टूबर 2001 को डॉ एपीजे अबुल कलाम जब भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार थे तब वे बोकारो आए। बोकारो स्टील लिमिटेड प्रबंधन उन्हें जैविक उद्यान ले गया। यहां उन्होंने पौधा लगाया और पेड़ों के महत्व को बताया था। इस उद्यान में कलाम ही नहीं, वर्तमान पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पूर्व इस्पात मंत्री दिनेश गोस्वामी, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, झारखंड के पूर्व राज्यपाल वेद मारवाह, एमओएच फारुख एवं डॉ. सैयद रजी, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी, सेल के पूर्व अध्यक्ष एमआरआर नायर, एसआर जैन, अरविंद पांडेय, एसके रुंगटा, सीएस वर्मा समेत ३२५ अति विशिष्ट अतिथियों ने पौधारोपण किया है।

हर पेड़ के साथ कोई न कोई सुखद स्मृति: बोकारो के सेक्टर चार में बनाए गए जैविक उद्यान में नाग केसर, महोगनी, क्रिसमस ट्री, नीम, कचनार, सेमल, शीशम, गुलमोहर, महुआ, शहतूत, अशोक, साल, गम्हार, अर्जुन समेत अनेक प्रजातियों के पौधे लगाए गए जो अब पेड़ बन चुके हैं। हर पेड़ के साथ कुछ न कुछ सुखद स्मृति जुड़ी हुई है। जो यहां पौधा लगाता है वह किसी न किसी स्मृति के तहत इसे लगाकर आजीवन याद रखता है। इस बगीचे से लोगों की यादें जुड़ गई हैं। पेड़ के नजदीक उसे लगाने वाले अतिथि का नाम पढऩे के बाद चिडिय़ाघर में आने वाले लोगों में सहसा जिज्ञासा जग जाती है। स्वाभाविक तौर पर इससे लोगों में पौधरोपण के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है। कई लोगों ने जैविक उद्यान के रजिस्टर में दर्ज किया है कि उन्हें यहां आकर पौधा लगाने की प्रेरणा मिली है।

इस संबंध में बोकारो इस्पात संयंत्र के संचार प्रमुख मणिकांत धान बताते हैं कि बोकारो इस्पात संयंत्र का अवलोकन करने के लिए अति विशिष्ट अतिथियों का आगमन होता है। पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए अतिथियों से जैविक उद्यान में पौधारोपण कराया जाता है। अब यह परंपरा हो गई है। उन्‍होंने कह‍ा कि पेड़ के साथ अतिथियों की भी यादें जुड़ी हुई हैं।

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