Varanasi-Ranchi-Kolkata Expressway: कोयले व लोहे के व्यपार को मिलेगी रफ्तार... बोकारो के पिछड़े व नक्सल इलकों की बदलेगी किस्मत
अगर बात करे बोकारो जिले की। यहां कई ऐसे सुदूर गांव है जहां से सड़क हो कर गुजरेगी। ज्यादातर ये इलाकें नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आते है। ऐसे में इन पिछड़े क्षेत्रों की किस्मत बदलने की पूरी संभावना है। सड़क समाज को सबल बनाती है।
By Atul SinghEdited By: Updated: Thu, 11 Aug 2022 04:23 PM (IST)
बीके पाण्डेय, बोकारो : Varanasi-Ranchi-Kolkata Expressway 593 किलोमीटर लंबी सड़क। लागत 28 हजार 500 करोड़। इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण होने से सड़कों का जाल पूरे पूर्वी भारत को एक सूत्र में बांध देगा। झारखंड सीधे तौर पर बिहार, बंगाल, यूपी से जुड़ जाएगा। जहां पहले बनारस से कोलकता की दूरी 16 से 18 घंटे तय होती थी। घटकर अब 8 घंटे हो जाएगी। बाबा विश्वनाथ से कालीघाट तक का सफर आठ घंटे में ही पूरा हो जाएगा। इससे व्यपार भी हाई स्पीड से एक्सप्रेस-वे पर आगे बढ़ेगा। यात्री भी कम समय में ज्यादा स्थानों तक पहुंच पाएंगे। समय व ऊर्जा दोनों की बचत होगी। प्लानिंग के अनुसार पूर्वी भारत के सभी धार्मिक स्थलों को इससे कनेक्ट करने की रणनीति तैयार की जा रही है। सबसे अच्छी बात यह सड़क बोकारो व धनबाद से भी गुजर रही है। इसका सबसे बड़ा लाभ यहां के स्थानीय लोगों को होगा। बोकारो व धनबाद में कोयले व लोहे के व्यवसाय को रफ्तार मिलेगी। आमजन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़ने का मौका मिलेगा। जिससे क्षेत्र में आर्थिक संपन्नता आएगी।
अगर बात करे बोकारो जिले की। यहां कई ऐसे सुदूर गांव है जहां से सड़क गुजरेगी। ज्यादातर ये इलाकें नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आते है। ऐसे में इन पिछड़े क्षेत्रों की किस्मत बदलने की पूरी संभावना है। सड़क प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों रूप से समाज को सबल बनाती है। अब उग्रवादियों के प्रमुख शरण स्थली झूमरा का ही उदाहरण लें। जब सड़के यहां नहीं थी तो नक्सलियों का यहां बोल बाला था। सड़क बनते ही सीआइएसएफ से लेकर पुलिस प्रशासन की छावनी लगने लगी। नक्सलियों की हलचल पहले कम हुई। फिर नगण्य हो गई। सड़क के माध्यम से लोग रोजगार के लिए बाहर निकलने लगे। स्कूल, चिकित्सा की सुविधा गांव तक पहुंचने लगी। रोजगार के कई आयाम खुलने लगे। आज झूमरा की स्थिति सड़क की कनेक्टिविटी से काफी बेहर हुई है।
भारतमाला फेज दो के तहत बनने वाली वाराणसी- कोलकाता एक्सप्रेस-वे तो काफी बड़ा प्रोजेक्ट है। इससे बहुत कुछ बदलने वाला है। सड़क के निर्माण के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी है। जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। यह सड़क देश की तरक्की में कितनी सहायक होगी या नहीं पता पर सड़क जिले के विभिन्न प्रखंडों से उग्रवाद का दाग धोने में कामयाब जरूर होगी। सड़क निर्माण का जो रास्ता तय किया गया है, बोकारो जिले की जिन 32 पंचायताें को लिया गया है इनमें से 20 से अधिक उग्रवाद प्रभावित हैं। राष्ट्रीय स्तर की सड़क बनने के बाद यह इलाका विकसित होगा, यहां पलायन के बदले रोजगार का सृजन होगा।
एनएच दो से अलग होगी यह सड़क भारतमाला परियोजना के तहत दूसरे चरण में वाराणसी से कोलकाता तक लगभग 593 किलोमीटर के ग्रीन फिल्ड एक्सप्रेस वराणसी से प्रारंभ हाेकर चंदौली होते हुए बिहार के कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जिला से गुजरते हुए झारखण्ड के चतरा, हज़ारीबाग़, रामगढ़ से बोकारो जिले में प्रवेश करेगा यहा से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और बांकुरा, पश्चिमी मेदिनीपुर, हुगली और हावड़ा को जोड़ते हुए कोलकाता तक जाएगी। यह सड़क राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या दो दिल्ली-कोलकाता सड़क से अलग होगी। खास बात यह है कि झारखंड के पिछड़े इलकों को जोड़ने में मदद मिलेगी।
धार्मिक व औद्योगिक स्थलों को भी जोड़ेगा यह एक्सप्रेस-वे यह एक्सप्रेस-वे एक ओर जहां बाबा विश्वनाथ की नगरी से शुरू होगा। वहीं कैमूर के मुंडेश्वरी, औरंगाबाद के देव , गाया के धार्मिक स्थल, चतरा के भद्रकाली, रामगढ़ का रजरप्पा , बोकारो का लुगू बुरू, पुरूलिया का अयोध्या पहाड़ के साथ अन्य धार्मिक स्थल जुड़ेंगे। वहीं लोहा, कोयला के साथ अन्य व्यवसाय के लिए यह सड़क विकास का द्वार खोल देगी।
वर्जनवराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए प्रक्रिया चल रही है। जिला प्रशासन इसे समय से पूरा करने का प्रयास कर रहा है।सदात अनवर, अपर समहर्ता, बोकारो
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