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चतरा और सिमरिया में रोचक 'खेल', चुनावी दंगल में पहली बार नहीं दिखेगी कांग्रेस; JMM-RJD पर जताया भरोसा

चतरा और सिमरिया विधानसभा सीटों से इस बार कांग्रेस गायब है। यह पहली बार है जब कांग्रेस इन दोनों सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है। चतरा सीट राजद के पक्ष में और सिमरिया सीट झामुमो के पक्ष में छोड़ दी गई है। 1985 के बाद से कांग्रेस सिमरिया से नहीं जीती है। 1985 एवं 1990 के चुनाव में भाजपा के उपेंद्रनाथ दास निर्वाचित हुए थे।

By Julqar Nayan Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 22 Oct 2024 03:16 PM (IST)
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पहली बार चतरा और सिमरिया सीट से कांग्रेस गायब। (जागरण ग्राफिक्स)

जुलकर नैन, चतरा। विधानसभा के चुनावी दंगल में चतरा की दोनों सीटों से कांग्रेस गायब हो गई है। ऐसा पहली बार हुआ है। इससे पूर्व जितने भी चुनाव हुए हैं, उसमें कांग्रेस मैदान में रही है। यदि चतरा की सीट गठबंधन के लिए छोड़ी है, तो सिमरिया में स्वयं का उम्मीदवार खड़ा करती रही। सफलता नहीं मिली, लेकिन अपनी उपस्थिति बनाए रखती थी, लेकिन इस बार चतरा और सिमरिया दोनों विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस गायब है।

चतरा की सीट गठबंधन के घटक दल राष्ट्रीय जनता दल के पक्ष में, तो सिमरिया की सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के पक्ष में छोड़ दी है। चतरा सीट राजद के पक्ष में जाना पहले से ही निश्चित था। चूंकि यहां पर राजद का विधायक है। 2019 के चुनाव में भी कांग्रेस ने राजद के पक्ष में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था।

कांग्रेस के साथ हुआ 'खेला'

माना यह जा रहा था कि सिमरिया की सीट कांग्रेस के पक्ष में जाएगी। चूंकि लंबे समय से स्थानीय नेता व कार्यकर्ता इसके लिए प्रयास कर रहे थे। कई संभावित उम्मीदवार रांची और दिल्ली का चक्कर काट रहे थे। प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश सिमरिया की सीट को लेकर आश्वस्त थे। बाद में सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन दलों की बैठक हुई, तो उसमें कांग्रेस ने दावा छोड़ दिया।

क्या है सिमरिया सीट का अब तक का गणित?

दरअसल, 2019 के चुनाव में सिमरिया में कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा था। पार्टी प्रत्याशी योगेंद्रनाथ बैठा को 27,665 वोटों से संतोष करना पड़ा था, जबकि जीत भाजपा के किशुन कुमार दास को मिली थी। भाजपा को 61,438 वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर आजसू के मनोज चंद्रा को 50,442 तथा तीसरे स्थान पर झाविमो के रामदेव सिंह भोगता को 31,346 वोट आए थे।

राजनीति विश्लेषक उसी समय यह अनुमान लगा लिए थे कि आने वाले चुनाव में गठबंधन में सिमरिया की सीट कांग्रेस को नहीं मिलेगी।

1985 के बाद से कांग्रेस के लिए नहीं आई अच्छी खबर

  • 1985 के बाद कांग्रेस यहां से नहीं जीती है।
  • 1985 एवं 1990 के चुनाव में भाजपा के उपेंद्रनाथ दास निर्वाचित हुए थे।
  • 2000 के चुनाव में राजद के योगेंद्रनाथ बैठा बाजी मारी थी।
  • 2005 के चुनाव में एक बार फिर उपेंद्रनाथ दास विजयी हुए थे। डेढ़ से दो वर्ष के बाद उनका निधन हो गया।
  • उपचुनाव में भाकपा के रामचंद्र राम निर्वाचित हुए।

दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि कार्यकाल पूरा करने से पहले उनका निधन हो गया। 2009 के चुनाव में झाविमो के जयप्रकाश सिंह भोगता निर्वाचित हुए। 2014 के चुनाव में झाविमो के ही गणेश गंझू निर्वाचित हुए। जबकि 2019 के चुनाव में भाजपा ने बाजी मारी।

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