Chatra Vidhan Sabha Seat: चतरा विधानसभा सीट का क्या है गणित? पढ़ें क्षेत्र का पूरा इतिहास
चतरा विधानसभा क्षेत्र का इतिहास दिलचस्प है। 1952 से 1977 तक यह सीट सामान्य थी फिर 1977 के बाद सुरक्षित हो गई। पहले विधायक कांग्रेस के महेश राम थे जिन्होंने भाजपा के बीकु राम को हराया था। इसके पहले जनता पार्टी के डा. एम अहमद साबरी यहां से निर्वाचित हुए थे। चतरा विधानसभा क्षेत्र में कई पार्टियों का प्रभाव रहा है जिनमें कांग्रेस भाजपा राजद और जनता पार्टी शामिल हैं।
जुलकर नैन, चतरा। 1952 से लेकर 1977 के चुनाव तक चतरा विधानसभा की सीट सामान्य थी। 1977 के चुनाव के बाद सुरक्षित कर दी गई। सुरक्षित विधानसभा का पहला चुनाव 1980 में हुआ। बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ महीना पहले भाजपा का गठन हुआ।
सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र के पहले विधायक कांग्रेस के महेश राम हुए। उन्होंने भाजपा के बीकु राम को हराया था। विधानसभा को सुरक्षित होने से पहले इस निर्वाचन क्षेत्र से जनता पार्टी के उम्मीदवार डा. एम अहमद साबरी निर्वाचित हुए थे।
डा. साबरी ने जनसंघ के उम्मीदवार प्रजापालक सिंह को मात्र 179 वोटों के अंतर से हराया था। डा. साबरी मूल रूप से बिहार शरीफ के रहने वाले थे। हंटरगंज में निजी क्लीनिक चलाते थे। जेपी आंदोलन से जुड़े थे।
यही कारण था कि उन्हें पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था। लेकिन जानकार आश्चर्य होगा कि चुनाव जीतने के बाद मात्र एक बार अपने निर्वाचन क्षेत्र में आए थे। 1977 से पूर्व अर्थात 1972 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार तपेश्वर देव ने जनसंघ के प्रत्याशी प्रजापलक सिंह को पराजित किया था।
1970 में उपचुनाव हुआ था
उसके पूर्व 1970 में यहां उप चुनाव हुआ था। विधायक कामाख्या नारायण सिंह का निधन के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई थी। जिसमें कुंदा राजा प्रजापालक नाथ सिंह ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार उपेंद्र नाथ वर्मा को परास्त किए थे।1969 के चुनाव में कामाख्या नारायण सिंह ने कांग्रेस के सुखलाल सिंह को हराया था। 1962 और 1967 के चुनाव में केशव प्रताप सिंह निर्वाचित हुए थे। 1967 की विधानसभा अधिक दिनों तक नहीं चल सकी। चूंकि किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिली थी। 1968 में विधानसभा भंग हो गई थी।
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