Jharkhand Politics: झारखंड में Lalu Yadav की सियासत पर संकट, इस अकेली सीट पर भी खिसक गया RJD का जनाधार
एक समय था जब झारखंड की चतरा लोकसभा सीट (Chatra Lok Sabha Election Result 2024) पर राजद का प्रभाव था। यही कारण है कि इस सीट से 4 बार इस पार्टी के सांसद निर्वाचित हुए। लेकिन झारखंड गठन के बाद राजद की जमीन खिसक गई है। एकीकृत बिहार में चतरा लोकसभा क्षेत्र में गया जिले के 3 विधानसभा क्षेत्र आते थे।
जागरण संवाददाता, चतरा। Chatra Lok Sabha Election Result 2024 । एक समय था, जब चतरा संसदीय क्षेत्र पर जनता दल या फिर राष्ट्रीय जनता दल का प्रभाव था। यही कारण है कि चार बार इस पार्टी के सांसद निर्वाचित हुए। हालांकि तब और अब में काफी फर्क आया है। बल्कि यूं कहें कि झारखंड गठन के बाद राजद की जमीन खिसक गई है।
एकीकृत बिहार में चतरा संसदीय क्षेत्र में गया जिले के तीन विधानसभा आते थे। जिसमें बाराचट्टी, इमामगंज और फतेहपुर शामिल था। यही वजह है कि 1984 के बाद इस क्षेत्र से कांग्रेस का आधिपत्य समाप्त होते ही जनता दल और राजद ने अपना वर्चस्व कायम कर लिया।
1989 का चुनाव में जनता दल के उम्मीदवार उपेंद्र वर्मा निर्वाचित हुए। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी युगेश्वर प्रसाद योगेश को पराजित किया था। जनता दल उम्मीदवार उपेंद्र नाथ वर्मा को 2,24,839 और कांग्रेस प्रत्याशी को 1,47,468 वोट मिले थे।
1991 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र नाथ वर्मा लगातार दूसरे बार निर्वाचित हुए। इस बार उन्हों ने भाजपा को हराया था। 1991 में पहली बार भाजपा से चुनाव लड़ रही थी। उपेंद्र नाथ वर्मा को 1,52,477 मत मिले थे। वहीं भाजपा उम्मीदवार धीरेंद्र अग्रवाल को 1,11,098 मत प्राप्त हुआ था।
1996 में भाजपा उम्मीदवार धीरेंद्र अग्रवाल चुनाव जीते थे। उन्होंने जनता दल के कृष्णनंदन वर्मा को पराजित किया था। 1998 में एक बार फिर धीरेंद्र विजय रहे। उस बार उन्होंने राजद के नागमणि को परास्त किया था। लेकिन कुछ ही महीनों के बाद 1999 में हुए चुनाव में राजद के नागमणि ने भाजपा के धीरेंद्र को परास्त कर दिया।
2000 में झारखंड का गठन हुआ। परिसीमन में बिहार के तीनों विधानसभा क्षेत्र इमामगंज, फतेहपुर और बाराचट्टी कट गया। इधर सिमरिया और मनिका विधानसभा को चतरा में शामिल कर दिया गया। राज्य गठन के पहले लोकसभा चुनाव 2004 में एक बार फिर राजद ने बाजी मारी। राजद की ओर धीरेंद्र अग्रवाल निर्वाचित हुए और भाजपा प्रत्याशी नागमणि पराजित हुए।
2009 में राजद यहां पर खिसक कर तीसरे स्थान पर रहा। चूंकि नागमणि ने एक बार फिर पार्टी बदल कर राजद से उम्मीदवार थे। विजयी निर्दलीय उम्मीदवार इंदर सिंह नामधारी हुए। दूसरे स्थान पर कांग्रेस के धीरज प्रसाद साहू थे। 2014 में राजद ने यहां से उम्मीदवार नहीं दिया। गठबंधन में यह सीट कांग्रेस को चली गई और 2019 के चुनाव में राजद तीसरे स्थान पर रही।2024 में एक बार फिर सीट शेयरिंग में कांग्रेस के पक्ष में चला गया। राजद का उम्मीदवार नहीं था। इस प्रकार राजद की जमीन खिसकते चली गई। जिस तेजी से राजद की जमीन खिसकी है, उससे अधिक गति से भाजपा की जमीन मजबूत हुई है। भाजपा जीत की हैट्रिक के साथ विजया राजे का कीर्तिमान की बराबरी कर ली है। विजया राजे 1957 से लगातार तीन बार सांसद निर्वाचित हुई थी।
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