Jharkhand Road Accident: झारखंड के चतरा में चोर पकड़ने वाली पुलिस के जिम्मे यातायात व्यवस्था
Jharkhand Road Accident झारखंड का चतरा उन जिलों में शामिल है जहां ट्रैफिक पुलिस है ही नहीं। सिपाही ही चौक-चौराहों पर बस नाम के लिए नजर आएंगे। यहां लोग भी यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं। हर कोई अपनी मर्जी से गाड़ी चलाते दिखेगा।
By Jagran NewsEdited By: M EkhlaqueUpdated: Thu, 17 Nov 2022 04:47 PM (IST)
चतरा, जागरण संवाददाता। Traffic System In Chatra Jharkhand किसी शहर में सड़क सुरक्षा के लिए ट्रैफिक व्यवस्था भी जरूरी है। लेकिन चतरा जिले का आलम यह है कि यहां ट्रैफिक पुलिस ही नहीं है। जिला बल के जवानों को प्रशिक्षित कर ट्रैफिक व्यवस्था की जिम्मेदारी दे दी गई है। यह व्यवस्था अस्थायी है। चतरा को जिला बने तीस साल से अधिक हो गया, लेकिन आज तक यहां ट्रैफिक पुलिस के पद सृजित नहीं किए गए। शहर से लेकर गांव तक सड़क सुरक्षा नियमों की अवहेलना करते लोग नजर आएंगे। यहां दायें बायें में लोग कोई अंतर नहीं जानते हैं। अपनी मर्जी से गाड़ी चलाते हैं। सड़क पर चलते हैं।
सड़क पर डिवाइडर और संकेतक का अभाव
यहां न तो सड़क पर डिवायडर बनाए गए हैं और ना ही एंट्री एवं एग्जिट के लिए पथ प्रमंडल ने कोई सूचना बोर्ड लगाया है। हां, एनएच एवं स्टेट हाइवे की कुछ सड़कों पर संकेतक जरूर दिख जाएंगे। राष्ट्रीय उच्च पथ 22, स्टेट हाइवे अथारिटी की चतरा-चौपारण वाया इटखोरी मार्ग, चतरा-हजारीबाग वाया गिद्धौर मार्ग एवं चतरा-सिमरिया मुख्य पथ पर जगह-जगह संकेतक लगाए गए हैं। लेकिन एनएच-100 एवं स्टेट हाइवे अथारिटी तथा दूसरी अन्य एजेंसियों की सड़कों पर साइनेज की व्यवस्था नहीं है।माटी से सड़क बंद कर ठेकेदार उड़ा रहा धूल
डायवर्सन पर सुरक्षा मानक की काेई व्यवस्था नहीं है। चंदवा-डोभी एनएच-22 पर चतरा से हंटरगंज के बीच सात-आठ साल से दो पुलों का निर्माण कार्य लंबित है। संवेदक ने दोनों स्थानों पर डायवर्जसन का निर्माण कराया है। पर उसके आसपास किसी प्रकार का कोई संकेत बोर्ड नहीं है। जहां से डायवर्सन प्रारंभ होता है, उसके कुछ फीट की दूरी पर मिट्टी के ढेर से सड़क को बंद कर दिया गया है। डायवर्सन की कच्ची सड़क पर उड़ने वाला धूल कण आसपास के निवासियों के लिए सिर दर्द बना हुआ है।
यातायात ठीक करने के लिए संसाधन की कमी
स्थानीय जतराबाग गांव निवासी सुरेंद्र कुमार कहते हैं कि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर किया जा सकता है। लेकिन उसके लिए संसाधन चाहिए। जब तक संसाधन उपलब्ध नहीं होंगे, तब तक इसी तरह राइट और रांग का अनुपालन नहीं होगा। अव्वल मोहल्ला निवासी सतीश कुमार कहते हैं कि यहां पर ट्रैफिक व्यवस्था की बात करनी ही बेमानी है। मुख्य पथ पर यात्री वाहनों का ठहराव होता है। केसरी चौक के समीप से आज भी गया के लिए यात्री बसों का परिचालन होता है। शहर की आबादी बढ़ गई है। वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है। लेकिन संसाधनों की कमी हो गई। मानव संसाधन से लेकर दूसरी सारी व्यवस्था सीमित होती जा रही है।चतरा जिले में नहीं है एक भी ट्रामा सेंटर
जिले में राष्ट्रीय उच्च पथ की दो सड़कें हैं। जिसकी दूरी करीब 120 किलोमीटर है। इसी प्रकार स्टेट हाइवे अथारिटी की 18 सड़के हैं। जिसकी कुल दूरी 334.22 किलोमीटर है। सीसीएल की आम्रपाली एवं मगध कोल परियोजनाएं यहां स्थित है। दोनों परियोजनाओं में करीब डेढ़ हजार मालवाहक वाहनों का परिचालन होता है। जिले में सड़क दुर्घटनाएं भी निरंतर होती है। जनवरी से लेकर अब तक 134 दुर्घटनाएं हुई हैं। जिसमें 101 लोगों की जाने जा चुकी है तथा 79 घायल हुए हैं। एनएच हो या स्टेट हाइवे इस जिले में कहीं भी ट्रामा सेंटर नहीं है।
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