सोहर की बगिया में लहलहा रहे चंदन के पेड़
नैसर्गिक सुंदरता से परिपूर्ण सिमरिया प्रखंड का सोहर गांव की छटा निराली है।
सुशांत पाठक, सिमरिया (चतरा) : नैसर्गिक सुंदरता से परिपूर्ण सिमरिया प्रखंड का सोहर गांव खेती-किसानी में अव्वल है। यहां के खेतों में सालों भर हरियाली छाई रहती है। इस गांव के बच्चे भले ही पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी में हो, अथवा सफल व्यवसायी। कितु गांव के लोग आज भी खेती को पूजा आराधना समझते हैं। यही कारण है कि सोहर गांव हर मोर्चे पर सुखी संपन्न और खुशहाल है। खेती-किसानी के अलावा यहां की बगिया भी लोगों को आकर्षित करते हैं। यहां की एक बगिया में चंदन के लहलहाते पेड़ देखकर सुखद अनुभूति होती है। यह बगिया है गांव के किसान कुमार शुभम की। शुभम ने यह बगिया अपने दादा पूर्व प्रमुख स्वर्गीय ईश्वर दयाल सिंह की याद में उगाई है। शुभम किसान के अलावा सफल व्यवसायी है और भाजपा जिला किसान मोर्चा के महामंत्री हैं। शुभम ने अपनी बगिया में एक सौ चंदन के वृक्ष लगाएं है, जो आज सर्द हवा के झोंकों में लहरा रहे हैं। उनकी बगिया में श्वेत और रक्त दोनों प्रकार के चंदन के वृक्ष मौजूद हैं। उनका लगाया चंदन के दो पौधों ने तो वृक्ष का रूप ले लिया है। बाकी अभी छोटे हैं। उनकी बगिया लगभग सात एकड़ भूमि पर फैली हुई है, जिसमें विभिन्न प्रकार के उन्नत किस्म के फल फूल और इमारती वृक्ष मौजूद है। कुमार शुभम ने बताया कि चंदन का वृक्ष काफी महंगा है। इसकी लकड़ियां सात हजार रुपये से लेकर दस हजार रुपए प्रति किलो तक बिकती हैं। यह वृक्ष बागवानी करने वालों को आर्थिक रूप से सशक्त करने में सहायक है। चंदन का उपयोग संपूर्ण भारत वर्ष में पूजा सामग्री, औषधि और सौंदर्य प्रसाधनों में होता है। जब इसका वृक्ष तैयार होता है तब वहां का संपूर्ण वातावरण चंदन की खुशबू से सुवाषित हो उठता है। बहरहाल शरद ऋतु परवान पर है और इस बगिया में चंदन के वृक्ष सुंदरता लुटा रहे हैं।