एक मासूम से बच्चे की खूंखार नक्सली बनने की कहानी, जिससे खौफ खाता था पूरा बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़
एक मासूम सा बच्चा महत 15 साल की उम्र में इस कदर बदले की आग में जल उठा कि उसने अपने हाथ में बंदक थाम ली। यहां बात हो रही है सिंघु यादव के बेटे नवीन यादव की। अपने चचेरे भाई के साथ भूमि विवाद में वह इस कदर उलझ गया कि उसे कुछ और नहीं सूझा और वह भाकपा माओवादियों की शरण में चला गया।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 09 Nov 2023 10:21 AM (IST)
जागरण संवाददाता, चतरा। प्रतापपुर थाना क्षेत्र के बसबुटा गांव निवासी सिंघु यादव का पुत्र नवीन यादव प्रतिशोध की आग में जल रहा था। कारण भूमि विवाद था। जमीन का विवाद गांव के किसी दूसरे व्यक्ति से नहीं, बल्कि अपने चचेरे भाई के साथ था। बात वर्ष 2000 की है। उस वक्त नवीन की उम्र करीब 15 वर्ष की होगी।
इस वजह से भाकपा माओवादियों की शरण में गया नवीन
भूमि का विवाद इतना बढ़ गया था कि विवश होकर नवीन भाकपा माओवादियों की शरण में चला गया। माओवादियों ने बाल दस्ता सदस्य के रूप में उसे अपने साथ रख लिया। दो ढाई साल के बाद दस्ता सदस्य के रूप में प्रोन्नति मिली। उसके बाद उसने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
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धीरे-धीरे बन गया झारखंड और बिहार का चीफ
एरिया कमांडर, सब जोनल कमांडर और पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी का झारखंड एवं बिहार का चीफ बन गया। जहानाबाद जेल ब्रेक के बाद पीएलजीए का चीफ बनाया गया था।
दरअसल, वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद तत्कालीन पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी का झारखंड एवं बिहार का चीफ अमित उर्फ सहेंद्र भुइयां और तत्कालीन रीजनल कमांडर गौतम पासवान के बीच रिश्तों में कड़वाहट आ गई थी।
दोनों के बीच उत्पन्न विवाद को पाटने के लिए संगठन ने हर संभव प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली, बल्कि दोनों के बीच का तनाव और बढ़ गया।
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