Jharkhand Politics: आदिवासी वोट बैंक पर BJP-JMM की बढ़ी बेचैनी, गुलाबी ठंड में राजनीतिक सरगर्मी से चढ़ा सियासी पारा
झारखंड की राजनीति की धुरी संताल परगना है। यह धरती दिशोम गुरू शिबू सोरेन के चलते अभेद्य दुर्ग झामुमो का बना। हालांकि इस दुर्ग को भाजपा ने तोड़ा। पहले तो अटल बिहारी वाजपेयी के समय और अब दूसरी बार इस किला को नरेन्द्र मोदी के समय भेद दिया गया। अटल बिहारी वाजपेयी के वक्त सेहरा बाबूलाल के माथे बंधा तो पीएम मोदी के समय रघुवर दास ने मोर्चा संभाला था।
जागरण संवाददाता, देवघर। गुलाबी ठंड के बीच राजनीतिक सरगर्मी ने राजनीतिक तापमान को आंच दे दिया है। झारखंड की राजनीति की धुरी संताल परगना रही है। संताल परगना की धरती दिशोम गुरू के कारण अभेद्य दुर्ग झामुमो का बना। इस दुर्ग को भाजपा ने तोड़ा। पहले अटल बिहारी वाजपेयी के समय और दूसरी बार नरेन्द्र मोदी के समय।
अटल बिहारी वाजपेयी के समय यह सेहरा बाबूलाल के माथे बंधा तो नरेंद्र मोदी के समय रघुवर दास मोर्चा संभाले हुए थे। पीएम मोदी के आने के बाद संताल परगना में विकास दिखा। एयरपोर्ट और एम्स आया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने के हाथ जब सत्ता की बागडोर आई तो आदिवासी वोट बैंक को समेटने में पहले से ज्यादा प्रखर और मुखर हुए तो भाजपा ने जनजातीय दिवस की घोषणा कर आदिवासी समूह को यह बताने की कोशिश किया कि वह ना सिर्फ सोचते हैं, बल्कि उस दिशा में काम भी करते हैं।
आदिवासी क्षेत्र में केंद्र सरकार ने विकास की लंबी लकीर खींची
आदिवासी और आदिवासी क्षेत्र में लगातार केंद्र सरकार ने विकास की लंबी लकीर खींची। उसमें गोड्डा संसदीय क्षेत्र विकास का एक बड़ा उदाहरण है। यहां से पूरे संताल परगना को साधने की कोशिश की गई है। स्वस्थ समाज की कल्पना में अब तक बाधक रहे उच्च चिकित्सीय संस्थान के रूप में एम्स को दिया।
औद्योगिक विकास, पर्यटकों को लाने की कोशिश और कंम्यूनिकेशन का विस्तार करने के लिए देवघर को मोदी ने एयरपोर्ट दिया। भाजपा लगातार इस बात पर हमलावर हो रही है कि हेमंत सरकार आदिवासी वोट बैंक को केवल अपनी राजनीतिक इस्तेमाल के लिए रखा। कभी उसका भला नहीं किया।
देश की राजनीति में पीएम मोदी का चेहरा सबसे आगे
आज मोदी एक ऐसा चेहरा है जो देश की राजनीति में सबको स्वीकार है। लोकसभा चुनाव का शंखनाद झारखंड में 15 नवंबर को मोदी ने बिरसा की धरती से कर दिया। एक पखवारे के भीतर प्रधानमंत्री फिर झारखंड की राजनीति में 30 नवंबर को एम्स के जन औषधि केंद्र के लोकार्पण में जनता से जुड़कर आशीर्वाद मांगा।
संताल में आदिवासी और पिछड़े वर्ग को एम्स में मुफ्त इलाज के साथ सस्ती दवाई के लिए जन औषधि केंद्र ही नहीं दिया। लगे हाथ उसके प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी जनता को सौंप दिया। बार बार मोदी की गारंटी वाला वाहन विकसित भारत संकल्प यात्रा से जनता को जोड़ते गए।
झामुमो को एक नयी दिशा दे रहे मुख्यमंत्री हेमंत के सामने भाजपा ने आदिवासी का बड़ा चेहरा प्रथम मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी को लाया है। पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री जैसे ही बरहेट आए तो उसी दिन बाबूलाल ने भी सिदो कान्हु की धरती से बाइक यात्रा कर काउंटर किया।
झारखंड की सभी लोकसभा सीट जीतनी है- गृह मंत्री
मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में बीमार लोगों से मिलकर मरहम लगाने का काम किया। दरअसल, भाजपा लोकसभा की राजमहल सीट झामुमो से उसी तरह छीनना चाहती है, जिस तरह दुमका सीट जीत लिया तो पीएम मोदी के 15 दिन में झारखंड आने के राजनीतिक मायने हैं।
यह मानना होगा कि गृह मंत्री अमित शाह ने सांगठनिक बैठक में इस साल के प्रारंभ में ही कह दिया था कि झारखंड की सभी लोकसभा सीट जीतनी है। इसमें संताल का साहिबगंज और कोल्हान से चाईबासा है। संताल में साहिबगंज की सीट झामुमो तो कोल्हान में कांग्रेस है।
देवघर की सभा में अमित शाह ने ये कहा था
भाजपा की घेराबंदी को हेमंत सोरेन भली-भांति समझ रहे हैं और वह फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। उनकी सभा में भीड़ जुट रही है, लेकिन जिस तरह बाबूलाल ने मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में बाइक रैली निकाली और रोड शो किया, वह झामुमो को परेशान करने वाला रहा है। आदिवासियों को भाजपा यह बताने की कोशिश कर रही है कि मोदी ही उसके जीवन में रंग भर सकते हैं।
चार फरवरी को अमित शाह ने देवघर की सभा में कहा था कि साहिबगंज सीट दीजिए तो गोड्डा की तरह विकास होगा। आज झारखंड में गोड्डा एक विकास मॉडल है। संताल की तीन लोकसभा सीट में गोड्डा और दुमका भाजपा की झोली में है। राजमहल झामुमो के पास है। भाजपा की नजर अभी केवल और केवल लोकसभा पर है। विधानसभा की चर्चा भी नहीं की जा रही है।
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