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Chhath Puja 2023: नहाय-खाय आज, एक-एक कद्दू की कीमत 30 से 40 रुपये; जमकर खरीददारी कर रहे हैं लोग

लोग आस्था का महापर्व छठ आज से शुरू हो रहा है। बाजार में लोगों की चहल-पहल बढ़ गई है। सभी खरीददारी करने में जुटे हुए हैं। बाजार में इस दौरान कद्दू का भाव थोड़ा चढ़ा हुआ है। 30 से 40 रुपये में हो रही है एक-एक पीस की बिक्री। हालांकि इस साल सामान का दाम अन्य सालों से सस्ता है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 17 Nov 2023 09:03 AM (IST)
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छठ महापर्व को लेकर बाजार में कद्दू खरीदती महिला।
संवाद सूत्र, देवघर। लोग आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार से आरंभ हो रहा है। बाजार में चहल-पहल तेज हो गयी है। नहाय-खाय के लिए गुरूवार को सब्जी बाजार से लेकर किराना की दुकान में खूब भीड़ रही। नहाय खाय का मुख्य कद्दू भात होता है। कद्दू का भाव थोड़ा चढ़ा हुआ है। 30 से 40 रुपया पीस की बिक्री हुई है।

इस साल सामान का दाम अन्‍य सालों से सस्‍ता

कतरनी चावल 60 रुपया से शुरू होकर 120 तक प्रति किलो के भाव से बाजार में है। सभी तरह के चावल की खरीददारी हो रही थी। हालांकि, फल का भाव स्थिर है।

महापर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस साल सामान का दाम अन्य सालों से सस्ता है और छठ पर्व को लेकर बाजार में हर तरह के सामान उपलब्ध है।

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कुछ इस तरह है बाजार में फल-सब्जियों की कीमत

बाजार में मूली 15 रुपया किलो, चना 80 रुपया प्रति किलो, घाघरा 90 रुपया किलो, गुड़ 50 रुपया, गेहूं 40 रुपया, अरवा चावल मोटा 40 रुपया, कतरनी चावल 60 रुपया प्रति किलो। सभी प्रकार के फल बाजार में उपलब्ध हैं।

पिछले साल के अनुपात में इस साल फल भी सस्ते भाव में मिल रहा है। अंगूर 240 रुपया प्रति किलो, माल्टा 220 रुपया प्रति किलो, संतरा 70 से लेकर 120 रुपया प्रति किलो, अनार 220 रुपया प्रति किलो, केला 20 से 30 रुपया प्रति दर्जन, केला एक घानी 220 से 350 रुपया तक मिल रहा है। नारियल प्रति पीस 30 रुपया, पानी फल 80 रुपया।

आज लगाएंगे आस्‍था की डुबकी

लोक आस्था का महापर्व छठ शुरु करने से पहले छठव्रती गंगा स्नान करने जाते हैं। जो श्रद्धालु गंगा किनारे नहीं जा पाते हैं वह शिवगंगा में आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं।

देवघर में गुरूवार की सुबह झाझा-बैद्यनाथधाम लोकल ट्रेन से हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा धाम पहुंचे और शिवगंगा में आस्था की डुबकी लगाई।

पुरोहित बताते हैं कि शिव गंगा को गंगा का ही प्रारूप माना गया है। यही वजह है कि जो छठव्रती गंगा नहीं जा पाते हैं वह इसी शिवगंगा में डुबकी लगाकर बाबा बैद्यनाथ की पूजा अर्चना कर छठ की शुरुआत करते हैं।

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