Deoghar Assembly Seat: देवघर में तीसरी बार BJP-RJD के बीच सीधा मुकाबला, कौन मारेगा बाजी? जानें समीकरण
देवघर विधानसभा सीट पर भाजपा और राजद के बीच तीसरी बार सीधा मुकाबला है। 2014 में भाजपा ने राजद से यह सीट छीनी थी। इस बार राजद महागठबंधन के साथ चुनाव मैदान में है। दोनों ही पार्टियां जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं। देखना होगा कि इस बार किसका पलड़ा भारी रहता है। भाजपा के विधायक नारायण दास का सीधा मुकाबला राजद के सुरेश पासवान से है।
आरसी सिन्हा, देवघर। देवघर राजनीतिक दृष्टिकोण से संताल परगना का बैरोमीटर कहा जाता है। संताल परगना की राजनीति का ताप नापना है तो देवघर से पता चल जाएगा। देवघर जिला में तीन विधानसभा है। इसमें एक देवघर। देवघर पहले बांका लोकसभा में आता था। बाद में यह गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में आ गया। देवघर विधानसभा सीट का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। 1951 में हुए विधानसभा चुनाव में देवघर सामान्य सीट थी। 1967 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गयी और आज भी है। 2026 में होने वाले परिसीमन में हो सकता है इसमें बदलाव हो जाए।
खैर बात कर रहे हैं वर्तमान चुनावी परिदृश्य की तो अभी इस सीट पर दो टर्म से भगवा लहरा रहा है। भाजपा के विधायक नारायण दास जीतते रहे हैं। इनका सीधा मुकाबला राजद के सुरेश पासवान से हो रहा है। दरअसल, 2014 में राजद से ही इस सीट को भाजपा ने छीना था। पहली बार देवघर सीट गठबंधन में जदयू से भाजपा के हिस्से आयी थी और जनता ने भरपूर वोट किया। जिसका नतीजा रहा कि नारायण 45 हजार वोट से चुनाव जीते थे, लेकिन 2019 में यह लीड घटकर पांच हजार पर आकर सिमट गयी।
2009 में जदयू से सीट झटकने वाले राजद के सुरेश पासवान तीसरी बार चुनावी रण में भाजपा प्रत्याशी नारायण दास के सामने ताल ठोक रहे हैं। इस बार के चुनाव में पिछले चुनाव की कसक निकालने के लिए राजद के साथ महागठबंधन एकजुट है। 2019 में मोहनपुर निर्णायक बन गया।
यही कारण है कि दोनों प्रत्याशी मोहनपुर पर फोकस कर रहे हैं। भाजपा अपनी जड़ यहां मजबूत करने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को रविवार को मोहनपुर में बुलायी है। यादव वोटर को साधने की जदोजहद दोनों ओर से है। हालांकि वोटर अब मतदान करने से पहले बहुत सोच समझकर निर्णय लेते हैं।
यदि महागठबंधन की गांठ मजबूत बनी तो नारायण के हैट्रिक की राह में कांटा बिछा देंगे । भाजपा को मोदी का विकास और शहर का भगवा मिजाज पर भरोसा है।
फाब्ला, कांग्रेस, राजद के बाद भाजपा
फारवर्ड ब्लॉक के भुवनेश्वर पांडेय देवघर के पहले विधायक बने थे। 1957 के चुनाव में देवघर से दो विधायकों का प्रविधान हो गया। एक सामान्य वर्ग और दूसरा अनुसूचित जाति वर्ग के लिए हुआ था। इस चुनाव में सामान्य जाति से शैलबाला राय और अनुसूचित जाति से मंगूलाल दास चुनाव जीते थे। 1962 के चुनाव में देवघर को दो विधानसभा सीट में बांट दिया गया। देवघर और मधुपुर।
मधुपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुआ तो देवघर सामान्य सीट बना। तब देवघर से कांग्रेस की शैलबाला राय विधायक बनी। जबकि,मधुपुर (एससी) सीट से एसडब्ल्यूए पार्टी के छट्ठू तुरी चुनाव जीते थे। देवघर शहर जिला की धड़कन है। यहां अब तक तीन सामान्य व 12 एससी विधायक बने हैं। देवघर सीट से 1951 से 2014 तक सामान्य जाति के तीन प्रत्याशी विधानसभा पहुंचे। दो बार शैलबाला राय और एक बार भुवनेश्वर पांडेय देवघर के विधायक बने।
वहीं, अब तक हुए विधानसभा चुनाव में देवघर से अनुसूचित जाति के 12 विधायक चुने गये हैं। 1951 में सामान्य, 1957 में सामान्य और आरक्षित (दोनों) और 1962 में देवघर विधानसभा सीट फिर से सामान्य हो गया। लेकिन, 1967 में देवघर सीट फिर से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया तो आज तक आरक्षित ही है। दूसरी ओर, मधुपुर विधानसभा सीट 1967 में आरक्षित से सामान्य सीट हो गया और आज भी मधुपुर सामान्य सीट ही है।
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- नारायण दास - भाजपा - 95,491
- सुरेश पासवान - राजद - 92,867