Deoghar: बाबा बैद्यनाथ के दर्शन का सौ साल बाद बन रहा ऐसा दुर्लभ संयोग, दरबार में लगाई हर एक अर्जी होगी स्वीकार
बाबा बैद्यनाथ के दरबार में पूजा करने का सर्वोत्तम योग बन रहा है। बाबा बैद्यनाथ के दरबार में पूजा करने का यह दुर्लभ योग सौ साल बाद आया है। बाबा बैद्यनाथ से विशेष फरियाद करने का दिन है सावन का दूसरा सोमवार। 17 जुलाई का सोमवार बेहद खास सोमवार है। सावन के इस दूसरे सोमवार को बेहद ही दुर्लभ योग बन रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Sun, 16 Jul 2023 06:03 PM (IST)
आरसी सिन्हा, देवघर: बाबा बैद्यनाथ के दरबार में पूजा करने का सर्वोत्तम योग बन रहा है। बाबा बैद्यनाथ के दरबार में पूजा करने का यह दुर्लभ योग सौ साल बाद आया है। बाबा बैद्यनाथ से विशेष फरियाद करने का दिन है सावन का दूसरा सोमवार।
17 जुलाई का सोमवार बेहद खास सोमवार है। सावन के इस दूसरे सोमवार को बेहद ही दुर्लभ योग बन रहा है। ऐसा पावन संयोग अमूमन सौ साल में एक बार तब आता है, जब चार संयोग एक साथ जुड़ता है। इन चार संयोगों में पहला सावन, दूसरा सोमवार, तीसरा सोमवती अमावस्या और चौथा बंगला सावन का संक्रांति शामिल है। इस संयोग पर बाबा बैद्यनाथ की आराधना बेहद खास होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बाबा से की गई हर एक फरियाद पूरी होती है।
बाबा को बेहद ही प्रिय है सावन का महीना
सनातन धर्म में शिव की आराधना का विशेष स्थान है। सावन का पावन महीना भगवान शंकर का प्रिय महीना है। दुनिया का सबसे बड़ा मेला झारखंड के देवघर में लगा हुआ है। झारखंड समेत पूरे देश से बाबा के भक्त दर्शन के लिए बाबा की नगरी देवघर पहुंच रहे हैं।बंगला पंचांग से चलता बाबा मंदिर
बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पूजा-पाठ से लेकर अन्य सभी चीजें भी बंगला पंचांग से निर्देशित होती हैं। 17 जुलाई को सोमवार और संक्रांति है। बाबा को पूड़ी-भुजिया का भी भोग लगेगा। भोलेनाथ को यह भोग पूरे एक महीने तक लगेगा।
बेलपत्र प्रदर्शनी की भी होगी शुरुआत
बाबा बैद्यनाथ के तीर्थ पुरोहित की अनोखी बेलपत्र प्रदर्शनी भी शुरू होगी। संक्रांत से संक्रांत तक चलने वाली प्रदर्शनी भी एक महीने की होगी, इसलिये बैद्यनाथ मंदिर के दरबार में लगने वाला दुर्लभ संयोग है।सुल्तानगंज घाट से पिछले तीन दिन में जल भरने की जो सूचना है, वह यह बता रही है कि दूसरे साेमवार को हाेने वाली भीड़ पिछला रिकॉर्ड तोड़ सकती है।
तीर्थ पुरोहित, दुर्लभ मिश्र बताते हैं कि बाबा बैद्यनाथ मंदिर पहले वीरभूम बंगाल क्षेत्र में आता था, इसलिए यहां की पूजा व्यवस्था बंगला पंचांग से ही चलना शुरू हुआ। जबकि वाराणसी पंचांग से सावन पूर्णिमा से शुरू होता है, जिसका एक पक्ष कृष्ण पक्ष 17 को समाप्त हो रहा है।
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