मधुपुर के सूप-डाला की बढ़ती डिमांड, बिहार-यूपी समेत इन राज्यों में भेजे जाते हैं सामान; जानिए क्या है खासियत
chhath puja 2023 लोक आस्था के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। आज खरना है। ऐसे में सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूप-डाला का विशेष महत्व होता है। छठ का जुड़ाव बिहार की माटी से है। आज वह वैश्विक पटल पर आ गया है। रेल मार्ग से जुड़े होने के चलते मधुपुर को व्यापार का केंद्र बनाकर यहां से सूप-डाला का व्यापार पटना को केंद्र में लेकर किया गया।
By Ravish SinhaEdited By: Shashank ShekharUpdated: Sat, 18 Nov 2023 05:07 PM (IST)
अजय तिवारी, मधुपुर (देवघर)। लोक आस्था के महापर्व छठ में बांस का बना सूप-डाला अहम होता है। छठ का जुड़ाव बिहार की माटी से है। आज वह वैश्विक पटल पर आ गया है।
आज से 23 साल पहले देवघर भी अविभाजित बिहार का हिस्सा था। रेल मार्ग पर होने के कारण मधुपुर को व्यापार का केंद्र बनाकर यहां से सूप और डाला का कारोबार बिहार की राजधानी पटना को केंद्र में लेकर किया जाने लगा।
आज छठ के समय में तकरीबन एक करोड़ का कारोबार होता है। तकरीबन 70 ट्रक सूप-डाला पटना भेजा जाता है। इस कारोबार का आर्थिक अंश देवघर ही नहीं, बल्कि संताल परगना के मोहली समुदाय के घर तक पहुंचता है।
सूप-डाला के बढ़ते व्यापार के कारण मधुपुर हब बनता जा रहा है। संताल परगना के विभिन्न गांवों में सूप-डाला बनाने वाले लोगों से खरीदारी कर मधुपुर लाया जाता है।
कारोबारियों ने क्या बताया
कारोबारी प्रवीण जायसवाल ने बताया कि 62 साल से इस व्यापार को उनके परिजनों द्वारा किया जा रहा है। धंधे की शुरुआत उनके पिताजी ने की थी। ट्रक से पटना सिटी ले जाकर सूप को गोदाम में जमा करते हैं। वहां से उत्तर प्रदेश भेजा जाता है। बिहार के विभिन्न शहरों में पटना सिटी से ही सूप और डाला गया जाता है।बताया कि इस धंधे में काफी मेहनत है। सूप व डाला बनाने में मोहली समुदाय के ही लोग जुड़े हुए हैं। एक माह पहले से ही स्टाक रखना शुरू हो जाता है। पुश्तैनी धंधे से जुड़े मोहली समुदाय के लोगों को सालों भर रोजगार मिल जाता है।मधुपुर अनुमंडल के चितरा, पालोजोरी, सारठ, मारगोमुंडा के अलावा पाकुड़ जिला के विभिन्न प्रखंडों में बड़े पैमाने फर मोहली समुदाय के लोगों द्वारा बांस से निर्मित सूप-डाला व अन्य सामग्री बनाया जाता है।
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