Jharkhand Election 2024: देवघर-सारठ और मधुपुर में BJP और I.N.D.I.A के बीच सीधा मुकाबला; पढ़ें रिपोर्ट
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 (Jharkhand Election 2024) में देवघर-सारठ और मधुपुर में भाजपा और I.N.D.I.A. के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलेगा। देवघर में भाजपा के नारायण दास लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं जबकि सारठ में रणधीर सिंह का दबदबा है। मधुपुर में झामुमो का कब्जा है। इस बार के चुनाव में सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
आरसी सिन्हा, देवघर। Jharkhand Vidhan Sabha Chunav 2024 झारखंड में नई सरकार बनाने की रणभेरी आयोग ने बजा दी है। संताल में दूसरे चरण में 20 नवंबर को चुनाव होगा। देवघर के तीन विधानसभा में देवघर सुरक्षित सीट है। यह सीट एससी के लिए है। बाकि की दो विधानसभा सारठ और मधुपुर सामान्य सीट है। देवघर के तीन विधानसभा में दो देवघर और सारठ में भाजपा का कब्जा है, जबकि मधुपुर झामुमो के पास है।
विधानसभा 2024 का चुनाव बहुत ही रोचक होगा। तीनों सीट पर सीधा मुकाबला होगा। चुनावी शतरंज की चाल बदल गई है। दोनों तरफ गठबंधन की मजबूत गांठ है। देवघर और सारठ में भाजपा हैट्रिक लगाने की तैयारी में लगी है, तो मधुपुर सीट को भी अपने कब्जे में लेने के लिए कोशिश जारी है। संताल में भाजपा के पास बांग्लादेशी घुसपैठ का बड़ा मुद्दा है।
- 2019 की बात करें तो तीनों सीट को अलग-अलग दृष्टि से देखना होगा।
- पिछली बार गठबंधन की गांठ इतनी मजबूत नहीं थी जो लोकसभा चुनाव के समय चट्टान की तरह हो गई है।
देवघर सीट पर क्या है समीकरण? (Deoghar Assembly Seat)
देवघर में भाजपा के विधायक नारायण दास 2009 से लगातार कमल खिला रहे हैं। इनका मुकाबला राजद के सुरेश पासवान से रहा है। पिछले दो चुनाव काे देखें तो झामुमो और कांग्रेस का गठजोड़ चुनाव के वक्त नहीं रहता था। वहीं, भाजपा के साथ इस बार आजसू और जद यू का खुला समर्थन है, सो चुनाव दिलचस्प होगा, क्योंकि पिछले चुनाव में कांटे की टक्कर हो चुकी है। तो दोनों ओर से जोर आजमाइश है।सारठ विधानसभा सीट का हाल (Sarath Assembly Seat)
सारठ में रणधीर सिंह लगातार दो चुनाव से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2014 में झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़े और झामुमो के लगातार विधायक रहे शशांक शेखर भोक्ता को पराजित कर जीते। और 2019 में भाजपा की टिकट पर विजय हासिल किए। इस बार भाजपा के सबसे मजबूत चेहरा हैं जो लगातार क्षेत्र में पकड़ बनाए हुए हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने झाविमो के उदय शंकर सिंह को पराजित किया था। उदय शंकर सिंह एक समय में कांग्रेस के टिकट पर लगातार चुनाव जीतते रहे थे। यहां भी सीधा मुकाबला ही होगा।
मधुपुर में क्या है स्थिति? (Madhupur Assembly Seat)
मधुपुर में जब उपचुनाव हुआ था तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरी ताकत यहां लगा दी थी। इसी वक्त आइएनडीआइए का गठबंधन मजबूत हुआ था। यही कारण रहा कि कांटे की टक्कर हुई। झामुमो उम्मीदवार साढ़े पांच हजार वोट से जीत बना पाया।मधुपुर में बीजेपी-झामुमो के बीच रहा मुकाबला
मधुपुर सीट पर 1995 तक लगातार तीन बार कांग्रेस के कृष्णानंद झा का कब्जा रहा। इसके बाद झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी ने कांग्रेस से सीट झटक लिया। दूसरी बार 2000 में भी वह सीट को बचा लिए। लेकिन 2005 में बीजेपी के राजपलिवार ने यह सीट झामुमो से छीन लिया।
पांच साल बाद 2009 में हाजी हुसैन ने पुन: जीत लिया। शह और मात का खेल चलता रहा। विधानसभा चुनाव 2014 आया और भाजपा ने राज पलिवार को टिकट दिया और वह कमल खिलाने में कामयाब रहे। लेकिन 2019 में झामुमो ने फिर से अपनी झोली में सीट को ले लिया।मधुपुर सीट का दिलचस्प पहलू यह है कि 2019 में झामुमो जीती। बाद में हेमंत कैबिनेट में मंत्री रहते हाजी हुसैन के निधन के बाद 2021 में उप चुनाव हुआ। झामुमो ने अपनी सीट पर हाजी के बेटे हफीजुल हसन को उतारा और कब्जा बरकरार रखा। इस सीट को जीतने के लिए हेमंत ने हफीजुल को चुनाव में उतारने से पहले ही मंत्री पद का ताज पहना दिया। जनता को अपने भरोसे में ले लिया।
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